- हर बार राष्ट्रगीत के साथ होती है हर कार्यक्रम की शुरुआत

- इस बार राष्ट्रगीत भूले, राष्ट्रगान को दो बार गाया

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Meerut भारतीय संविधान के अनुसार होने वाले हर महत्वपूर्ण कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगीत से होती है, वहीं मंगलवार को दीक्षांत समारोह में हमारे राष्ट्रगीत को ही भूला दिया। कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख अतिथिगण से लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन तक ने इसका बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया, जबकि कार्यक्रम के बाद स्टूडेंट्स व कुछ शिक्षकों में इसकी चर्चा तो रही लेकिन उस समय किसी ने भी इस बारे में कुछ नहीं कहा।

हर कार्यक्रम में राष्ट्रगीत

हम उस राष्ट्रगीत की बात कर रहे हैं जिसे बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा संस्कृत में रचा गया है। यह स्वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत था। इसका स्थान जन गण मन के बराबर है। इसे पहली बार 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में गाया गया था। इसकी लाइने कुछ इस प्रकार है। वंदे मातरम्, वंदे मातरम् सुजलाम् सुफलाम् मलयज शीतलाम् शस्यश्यामलाम मातरम, वंदे मातरम् इस गीत का हमारे संविधान में बहुत ही महत्व दिया गया है। इसलिए हर राष्ट्रीय कार्यक्रम में राष्ट्रगीत गाना नहीं भूल सकते हैं। लेकिन सीसीएस यूनिवर्सिटी में होने वाले 27 वें दीक्षांत समारोह में किसी को भी राष्ट्रगीत वंदे मातरम् की याद तक नहीं आई।

दो बार गाया राष्ट्रगान

दीक्षांत समारोह के दौरान वंदे मातरम् गाना सभी भूल गए, वहीं राष्ट्रगान को दो बार गाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में भी वेलकम सोंग के तौर पर राष्ट्रगान जन गण मन गाया गया और कार्यक्रम के समापन में भी दोबारा से जन-गण-मन ही गाया गया। कार्यक्रम खत्म होने के बाद कुछ टापर्स स्टूडेंट्स व आने वाले मेहमानों व अन्य में यह चर्चा का विषय बना हुआ था। सभी को यह सोचकर हैरानी हो रही थी कि ऐसा पहली बार देखा है कि राष्ट्रगीत गाया ही न गया हो और राष्ट्रगान दो बार गाया गया हो। सभी का सवाल था कि हम इस तरह की गलती कैसे कर सकते हैं?

सभी ने साधी चुप्पी

यूनिवर्सिटी प्रशासन से लेकर प्रो। वीसी तक कोई भी इस गलती के बारे में कुछ कहने को तैयार नही है। इस बारे में प्रो वीसी व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से बात करने पर किसी के पास भी इसका जवाब नहीं मिला।