IIIT में 11वें दीक्षांत समारोह का आयोजन

आउटडेटेड कोर्स पढ़ रहे भावी इंजीनियर्स: डॉ। फकीर

ALLAHABAD: हमने बेहतरीन साफ्टवेयर इंजीनियर दिए। इस फील्ड में अपना लोहा मनवा दिया लेकिन इसका लाभ कोई और उठा रहा है। हमारे पास ऐसे 1200 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। आईआईटी जैसे संस्थानो से तकरीबन साढ़े तीन हजार स्नातक निकल रहे हैं। इसमें से दो हजार विदेश पलायन कर जा रहे हैं क्योंकि हम उन्हें उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं दे पा रहे हैं। नतीजा हमें पीजी और पीएचडी के लिए पर्याप्त संख्या में स्नातक नहीं मिल रहे। यह चिंताजनक है और इस पर गंभीरता से सोचना होगा। यह बात भारतीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) के 11वें दीक्षांत समारोह में भारतीय साफ्टवेयर के पितामह पद्म भूषण डॉ। फकीर चन्द्र कोहनी ने कही।

क्षेत्रीय भाषाओं में साफ्टवेयर

उन्होंने कहा कि आईटी क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में साफ्टवेयर तैयार करने की आवश्यकता है। इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी के अधिकतर पाठ्यक्रम आउटडेटेड हो चुके हैं। टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस के एक्स। वाइस प्रेसिडेंट डॉ। कोहली ने कहा कि हम देश में 50 से 60 इंजीनियरिंग कॉलेजेस में 85 फीसदी अंक पर छात्रों को दाखिला देते हैं। यदि इन्हीं कॉलेजेस को आईआईटी की तर्ज पर विकसित किया जाए तो हम 25 से 30 हजार इंजीनियर और छह हजार पीएचडी होल्डर पैदा कर सकते हैं।

बदलाव की भूमिका

टाटा मोटर्स के एक्स। वाइस प्रेसिडेंट एवं संस्थान के शासी मंडल के अध्यक्ष रविकांत ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी ने देश के बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उन्होंने संस्थान की उन्नति के लिए हर संभव सहायता देने की बात कही। निदेशक प्रो। जीसी नन्दी ने संस्थान की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। दीक्षांत समारोह के पूर्व प्रशासनिक भवन से मुख्य सभागार तक दीक्षांत शोभा यात्रा में मुख्य अतिथि अध्यक्ष, निदेशक, संकाय सदस्य एवं उपकुलसचिव शामिल रहे।

छात्र-छात्राओं को उपाधि

कुल 446 को उपाधि प्रदान की गई

बीटेक, एमटेक, एमबीए.आईटी के वर्ष 2016 के प्रत्येक तीन सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थियों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक दिया गया

छह छात्रों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गयी

चेयरमैन स्वर्ण पदक संस्थान के टॉपर बीटेक इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग के छात्र शुभम खत्री को प्रदान किया गया।

इन्हें मिले पदक

बीटेक आईटी में मानसी अवस्थी को स्वर्ण अनिर्बन इन्द्रनाथ घोष को रजत तथा अभिरुचि गुप्ता को कांस्य पदक

बीटेक इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में शुभम खत्री को स्वर्ण, शुभम गुप्ता को रजत तथा विनीत वर्मा को कांस्य पदक

एमटेक के मुनेन्द्र पांडेय एवं प्रियांशु गोयल को स्वर्ण, उमेश शुक्ल को रजत तथा हर्ष जैन को कास्य पदक

एमटेक ईई की छात्रा मथ्यार्सा भारती देवी को स्वर्ण, सुदा राजेन्द्र को रजत, बंचा दत्त को कास्य

एमबीए की जया को स्वर्ण, इला श्रीवास्तव को रजत, स्नेहिल श्रीवास्तव को कांस्य पदक

अच्छा इंजीनियर बनना ही मेरा लक्ष्य

चेयरमैन गोल्ड मेडल के साथ कुल दो गोल्ड पर कब्जा जमाने वाले छात्र शुभम खत्री चहकते नजर आए। आई नेक्स्ट से बातचीत में कहा कि एक अच्छा इंजीनियर बनना ही उनकी प्राथमिकता है। जिससे वह देश का नाम रोशन कर सकें। उन्होंने संस्थान में पढ़ने आए छात्रों को मैसेज देते हुए कहा कि ऐसी शिक्षा प्राप्त करें जो आपको आपकी मंजिल तक पहुंचा सके। करेंट में बंगलुरु में वालमार्ट में साफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत शुभम ने बताया कि वे मूल रूप से मध्य प्रदेश में स्थित उज्जैन के रहने वाले हैं। उनके पिता मनोज खत्री रतलाम मध्य प्रदेश में स्थित गवर्नमेंट स्कूल के प्रिंसिपल हैं। वे दो भाई हैं। उनकी मां का नाम ऊषा खत्री है।

नॉलेज को ट्रांसफर कैसे करें

पद्म भूषण डॉ। एफसी कोहली ने आई नेक्स्ट से हुई बातचीत में कहा कि हम सबके पास नॉलेज तो है। लेकिन उसका आदान-प्रदान मुश्किल काम है। उन्होंने कहा कि यदि हम देशभर की भाषाओं को कम्प्यूटर की भाषा बना दें तो अपनी ही भाषा में हमें सुविधाजनक तरीके से जानकारी प्राप्त हो सकेगी। डॉ। कोहली ने कहा कि 130 करोड़ भारतीयों में कितनो को अंग्रेजी की जानकारी है। यह अपने आप में बड़ी समस्या है। यह बताता है कि हम कहां खड़े हैं। डॉ। कोहली ने कहा कि देश में जहां कहीं भी अच्छी रिसर्च हो रही है, उसका मार्केट में आना जरूरी है। यह रिसर्च इंस्टीट्यूशंस को अपने पैरों पर खड़ा करने में भी कारगर होगा।