बच्चों को भी उल्टी होने लगी।

मैंने तो सिर्फ सब्जी खाई थी। वह भी सोयाबीन के दो दाने। उसके कुछ देर बाद ही मेरे साथ बाकी बच्चों को भी उल्टी होने लगी.' यह कहना है छपरा में मिड डे मिल बनाने वाली मंजू देवी का। मंजू को छह महीने पहले स्कूल खुलने पर एक हजार रुपए के महीने पर खाना बनाने के लिए रखा गया है।

'तेल गाढ़ा और गंदा था'

मंजू बताती है कि खाना बनाने के लिए सारा सामान मीना मैडम देती हैं। हर दिन वे खुद ही बच्चों को काउंट करती हैं और उसी के हिसाब से सामान देती हैं। खाने का का पूरा सामान उनके घर में ही रहता है। मंगलवार को भी उन्होंने ही सबकुछ दिया। चावल, दाल, सोयाबीन सबकुछ तो ठीक ही था। हां तेल गाढ़ा और गंदा दिख रहा था।

सबसे लास्ट में बनाई थी सब्जी

सबसे अंत में मैंने सब्जी बनाई थी। चूल्हा पर भगौना चढ़ाया और जैसे ही उसमें तेल डाला, वह तुरंत लाल हो गया। मैंने समझा आंच तेज है। जल्दी से उसमें जीरा, प्याज, तेजपत्ता, मिर्च आदि डालकर सोयाबीन भूनने लगी। सोयाबीन भी जल्दी से लाल हो गया।