सुबह दिखा धुआं

एलटी कॉलेज कैम्पस में ही पूर्व माध्यमिक विद्यालय है। इसमें पढ़ाई नहीं होती है। स्कूल के कमरों में बोर्ड के एग्जाम की कापियां रखी जाती हैं। तीन कमरों में इंटरमीडिएट और हाई स्कूल की कापियां रखी थीं। इनमें बलिया। जौनपुर, मुफ्फरनगर, आगरा समेत कई जिलों की कापियां थीं। विद्यालय की देखरेख सर्वजीत सिंह करते हैं। सुबह 9 बजे एक कमरे से धुआं निकलता दिखायी दिया। इसमें मुजफ्फरनगर और आगरा जिले की हिन्दी, समाजशास्त्र समेत तमाम सबजेक्ट की एक लाख कापियां मौजूद थीं। सूचना पर सर्वजीत सिंह पहुंचे और फायर ब्रिगेड को सूचना दी। कापियों में आग तेजी से फैल रही थी। आधे घंटे बाद पहुंची फायर ब्रिगेड ने आग बुझाना शुरू किया। आग बुझने तक अधिकांश कापियां राख हो चुकी थीं। जो बची थीं वह पानी और राख ने नष्ट हो गयीं।

शरारती तत्वों ने लगायी आग

एलटी कॉलेज कैम्पस में डीआईओएस और जेडी है। यहीं बोर्ड एग्जाम की कापियां रखी जाती हैं। बावजूद इसके सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। शरारती तत्व का अक्सर जमावड़ा लगा रहता है। वह शराब-सिगरेट पीते हैं। मारपीट करते हैं। केयर टेकर सर्वजीत सिंह की मानें तो जहां कापियां रखी थीं वहां तक पहुंचने के लिए चैनल गेट पार करना पड़ता है। चैनल गेट पर अक्सर ताला बंद रहता है। साथ ही कमरे के दरवाजे पर भी ताला लगा रहता है। आग की सूचना के बाद वह मौके पर पहुंचे तो देखा कि चैनल का ताला टूटा है। बिल्डिंग के पास ही शराब की बोतलें, सिगरेट के टुकड़े और माचिस की तीलियां पड़ी हैं। आशंका है कि शरारती तत्वों ने खिड़की रास्ते कमरे में आग लगायी होगी। कागज की कापियों में आग तेजी से बढ़ी और कापियों को राख कर दिया।

आधा दर्जन हिरासत में

सूचना पर पहुंची पुलिस ने भी मौैके की आरंभिक जांच की। इसमें स्पष्ट हुआ कि किसी ने शरारतवश आग लगायी है। विद्यालय भवन जर्जर हो चुका है। इसमें बिजली की व्यवस्था भी नहीं है। दरवाजे और खिड़की की भी हालत खस्ता है। खिड़की से कापियां नजर भी आती हैं। इसके रास्ते आसानी से आग कापियों तक पहुंचायी जा सकती है। शरारती तत्वों ने भी इसी रास्ते आग कापियों तक पहुंचायी होगी। आग की सूचना पर एजुकेशन डिपार्टमेंट के आफिसर भी मौके पर पहुंचे। उप सचिव बोर्ड नंदलाल ने अज्ञात लोगों के खिलाफ कैंट थाने पर तहरीर दी है। पुलिस इस मामले में आधा दर्जन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।

फंस जाएगी स्क्रूटनी

कापियों के राख हो जाने से स्टूडेंट्स की स्क्रूटनी फंस जाएगी। जिन छात्रों को अपने माक्र्स पर आशंका होती है। वह कापियों की स्क्रूटनी के लिए आवेदन करते हैं। इसके तहत उनकी एग्जाम कॉपी को फिर से चेक किया जाता है। फिर उनका मूल्यांकन करके नए सिरे से नम्बर दिये जाते हैं। आग में जली कापियों का स्क्रूटनी संभव नहीं होगा। जिन स्टूडेंट्स की यह कापियां हैं उनमें से यदि किसी ने स्कू्रटनी के लिए आवेदन किया तो उसकी जनरल मार्किंग कर दी जाएगी। इसका इफेक्ट उसके रिजल्ट पर होगा. 

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