उत्तराखंड में पांच बावरिया गिरोह सक्रिय हैं।

-यूपी से सटी सीटीआर की 60 किमी लंबी सीमा पर बढ़ाई चौकसी

DEHRADUN:

कार्बेट टाइगर रिजर्व में बावरिया गिरोह की दस्तक से कार्बेट प्रशासन की नींद उड़ी हुई है। सुरक्षा को लेकर उत्तर प्रदेश से सटी सीटीआर की म्0 किलोमीटर लंबी सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है। दोनों राज्यों के वन महकमों की टीमें गश्त में लगी हुई हैं। इसके तहत वनकर्मियों की फ्0 टीमें एंबुश पेट्रोलिंग (जगह-जगह घात लगाकर बैठना) भी कर रही हैं। यही नहीं सीमा पर खुफिया जानकारियां भी जुटाई जा रही हैं।

कुख्यात खुशीराम बावरिया गिरोह सक्रिय

सूत्रों के मुताबिक कार्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन को खुफिया जानकारी मिली है कि कुख्यात खुशीराम बावरिया और उसके साथी डेरा डाले हुए हैं। संभावना जताई गई है कि पंजाब से ताल्लुक रखने वाले इस गिरोह के सदस्य खनन मजदूरों के वेश में रिजर्व में घुसकर शिकार की घटना को अंजाम दे सकते हैं। बता दें कि बावरिया गिरोह सबसे बड़ी मुसीबत बनकर उभरे हैं। वन विभाग की पड़ताल पर ही गौर करें तो उत्तराखंड में पांच बावरिया गिरोह सक्रिय हैं। संरक्षित क्षेत्रों में शिकार की 80 फीसद घटनाओं में इन गिरोहों का नाम ही सामने आता रहा है।

सुरक्षा को लेकर एंबुश पेट्रोलिंग

हालांकि, बेहद संवेदनशील समझे जाने वाले सीटीआर में पहले से ही कड़ी चौकसी का दावा है, लेकिन अब बावरिया गिरोह की दस्तक के बाद इसमें इजाफा कर दिया गया है। सीटीआर के निदेशक सुरेंद्र मेहरा बताते हैं कि सीमाओं पर सघन गश्त चल रही है। उप्र वन विभाग के कार्मिकों के साथ संयुक्त पेट्रोलिंग की जा रही है। उन्होंने बताया कि सीटीआर की उप्र से लगी सीमा म्0 किमी लंबी है। इसमें कालागढ़ व रामनगर डिवीजन की भ्0 किमी और सीटीआर से सटे लैंसडौन वन प्रभाग की क्0 किमी लंबी सीमा शामिल है। इस सीमा पर एंबुश पेट्रोलिंग भी चल रही है। यही नहीं, सीटीआर से लगे रामनगर समेत अन्य आबादी वाले इलाकों में संभावित स्थलों पर विशेष निगरानी भी की जा रही है।