आई-एनालेसिस

जाने-अनजाने दोनों की कमजोर नब्ज दबा गए मोदी

-स्कूटर तेल की टिप्पणी का बहुगुणा की घेराबंदी से कनेक्शन

-कमजोर मनोबल के साथ चल रही बीजेपी-कांग्रेस की लड़ाई

DEHRADUN: आपदा-घोटाले के जिन्न को पीएम नरेंद्र मोदी जगा गए, जिससे कांग्रेस के अलावा बीजेपी की भी जाने-अनजाने कमजोर नस दब गई है। इस पूरे मामले के केंद्र में उभरे पूर्व सीएम विजय बहुगुणा को लेकर दोनों दल एक-दूसरे पर हमला तो कर रहे हैं, लेकिन कमजोर मनोबल के साथ। क्योंकि बहुगुणा दोनों ही दलों के हलक में अटक से गए हैं। इस नाजुक सियासी मौके पर मजबूत तीसरा विकल्प होता, तो दोनों की आफत तय थी, लेकिन दोनों के लिए ही इस बात से राहत है, कि उन पर दबाव बनाने वाला कोई तीसरा मजबूत मोर्चा सामने नहीं है।

इस तरह है कांग्रेस मुश्किल में

दरअसल, ख्0क्फ् की केदारनाथ आपदा कांग्रेस शासनकाल में ही आई थी। इससे निबटने में सरकार के कमजोर इंतजाम पूरे देश में सुर्खियां बने थे। आपदा राहत के दौरान भ्रष्टाचार के मामले आरटीआई से उजागर हुए थे। हालांकि जब इनकी जांच कराई गई, उस वक्त कांग्रेस सरकार के मुखिया बदल चुके थे, लेकिन फिर भी ये मामला जितना उठ रहा है, उतना कांग्रेस को असहज कर रहा है, क्योंकि तत्कालीन सीएम विजय बहुगुणा के पार्टी छोड़ देने के बावजूद बदनामी कांग्रेस सरकार के जिम्मे जा रही है।

बहुगुणा बगल में, कैसे सधे निशाना

मोदी के मंच में उनके बगल में विजय बहुगुणा के बैठने से पहले ही बीजेपी इस मामले पर असहज होती रही है। ये सवाल उठते रहे हैं कि आपदा-घोटाला जिसकी सरकार के जमाने में हुआ था, उसे पार्टी में आखिर क्यों लिया गया है। इस साल बहुगुणा जब से बीजेपी में आए हैं, तब से इस तरह के सवाल पार्टी को मुश्किल में डाल रहे हैं। बीजेपी आपदा घोटाले पर सवाल और बहुगुणा के बचाव जैसी दो परस्पर विरोधी बातों को साथ लेकर चल रही है। इसलिए उसका विरोध रस्मी ज्यादा दिखाई दे रहा है।

बहुगुणा से बीजेपी में कौन चिढ़ता है

मोदी के भाषण में स्कूटर के तेल का जिक्र हो जाएगा, ऐसा किसी ने नहीं सोचा था। इस टिप्पणी ने निश्चित तौर पर बहुगुणा के उन प्रयासों को धक्का पहुंचाया है, जो कि बीजेपी में पैर जमाने के लिए उनके स्तर पर किए जा रहे थे। माना जा रहा है कि बीजेपी के पुराने नेताओं के निशाने पर विजय बहुगुणा हैं, क्योंकि पार्टी में शामिल होने वाले सभी विधायकों का वह अघोषित तौर पर नेतृत्व कर रहे हैं। हरक सिंह रावत के मुकाबले बीजेपी का हाईकमान भी बहुगुणा को ही तरजीह दे रहा है। इन स्थितियों के बीच वरिष्ठ नेताओं पर मजबूत पकड़ रखने वाले एक युवा नेता की भूमिका को भी अलग नजरिये से देखा जा रहा है।