बकाया है 12 लाख रुपए बिजली बिल

पार्क की विद्युत व्यवस्था दुरूस्त करने पर भी खर्च हुआ था लेकिन पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के आंकड़ों पर नजर डाले तो पार्क पर 12 लाख 27 हजार 6 सौ 33 रुपए का बिजली बिल बकाया है, जिसमें से जीडीए ने 29 अप्रैल 2013 को 1 लाख 84 हजार 6 सौ 31 रुपए जमा किए हैं। इसके बाद से बिल जमा नहीं किया गया है।

मुंशी पे्रमचंद पार्क के रेनोवेशन के लिए मिले 31, 82, 412 रुपए से पार्क में इलेक्ट्रिफिकेशन, म्यूरल पेंटिंग (भित्ति चित्र), गेट का निर्माण और सौंदर्यीकरण होना था। इसकी हकीकत जानने आई नेक्स्ट रिपोर्टर जब पार्क पहुंचा तो वहां की स्थिति चौंकाने वाली थी।

जो कार्य किए गए                                 -  जमीनी हकीकत

पार्क का गेट तैयार किया गया                       -  आज उसमें प्रेमचंद का नाम ही नहीं है

पूरे पार्क को रोशन करने के लिए 57 लैंपपोस्ट लगाए गए - 23 लैंपपोस्ट खराब, एकमात्र हाईमास्क भी खराब

म्यूरल पेटिंग (भित्ति चित्र) बनाकर खड़ा कर दिया गया    - आज तक नहीं हुई इन चित्रों की पेंटिंग

पार्क के सौदर्यीकरण के लिए होनी थी पेंटिंग           - पार्क के अंदर की बजाए केवल बाहरी दीवार की हुई पेटिंग

लोगों को आकर्षित करने के लिए तीन फव्वारे बनाए गए - दो फव्वारे रहते हैं बंद और एक हो गया है खराब

पार्क के लिए 2006 में पैसा आया था। उस पैसे से पार्क के निर्माण में खर्च किया गया। शासन ने अगर जवाब मांगा है तो उन्हें जवाब भेज दिया जाएगा।

ओम प्रकाश, सचिव जीडीए

प्रेमचंद संस्थान के लोग इस पार्क को एक स्पंदनशील साहित्यिक केंद्र बनाने की पहल की थी। संस्थान की पहल जारी है लकिन शासन कोई मदद नहीं कर रहा है।

डॉ। सदानन्द शाही, निदेशक प्रेमचंद साहित्य संस्थान, गोरखपुर