- दिव्यांग को भी नहीं बख्श रहे घूसखोर अफसर, ऑफिस के लगवा रहे चक्कर

BAREILLY :

आजादी के 71 वर्ष बाद भी देश के विकास में करप्शन बड़ी बाधा बना हुआ है। करप्शन सिस्टम में इस तरह घुल गया है कि इससे छुटकारा पाना भी मुश्किल हो गया है। तकनीक के इस जमाने में भी सरकारी दफ्तरों में बगैर घूस दिए काम कराना मुश्किल हो गया है। जबकि करप्शन रोकने के लिए से नो टू करप्शन, एंटी करप्शन टीम, विजिलेंस सहित तमाम टीमें लगी हुई हैं। लेकिन घूसखोरों के आगे यह सभी टीमें बौनी साबित हो रही हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने 'कब मिलेगी आजादी' थीम पर शहर में करप्शन की हकीकत की पड़ताल की तो बड़ी संख्या में करप्शन से पीडि़त सामने आए और उन्होंने अपनी पीड़ा बयां की।

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मेडिकल सर्टिफिकेट के मांगे 300 रुपए

शहर के हरूनगला निवासी विकास ने बताया कि वह डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में अपना मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए गए थे। मेडिकल सर्टिफिकेट की उन्हें जॉब के लिए जरूरत पड़ी थी। लेकिन मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए उन्हें दो सप्ताह दौड़ाया गया, बाद में तीन सौ रुपए मांगे, रुपए नहीं देने पर सर्टिफिकेट देने में टाल मटोल करने लगे। तीन सौ रुपए रिश्वत नहीं देने से हॉस्पिटल से उसका सर्टिफिकेट समय से नहीं मिला तो उसकी जॉब की डेट भी निकल गई।

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तीन वर्ष से नहीं मिली पेंशन

संजय नगर निवासी रिंकी पाठक दोनों पैर से दिव्यांग हैं। पति रमेश पाठक प्राइवेट जॉब करते हैं। महिला ने बताया कि उन्हें पहले पेंशन मिलती थी लेकिन तीन वर्ष से पेंशन आनी बंद हो गई। जिसके बाद वह कई बार विकास भवन गई लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था। वहां पर मौजूद क्लर्क से बात की गई तो उसने बताया कि 500 रुपए देने होंगे पेंशन आ जाएगी, रुपए नहीं दे सकी तो पेंशन नहीं आई।

से नो टू करप्शन ऑफिस बंद

ज्ञात हो कलेक्ट्रेट में तत्कालीन डीएम पिंकी जोवेल के समय से नो टू करप्शन के तहत कई कर्मचारी और अफसरों पर रिश्वत की शिकायत पर कार्रवाई हुई थी। कार्रवाई के डर से डिस्ट्रिक्ट के अफसरों में खौफ भी दिखा। इसका प्रभारी एडीएम ई को बनाया गया था, लेकिन कुछ समय बाद ही कलेक्ट्रेट में बना ऑफिस बंद हो गया और घूसखोर अफसरों ने फिर खुलेआम रिश्वत लेनी शुरू कर दी।

पहले भी पकड़े गए घूसखोर

-8 जून 2018 को चकबंदी लेखपाल शैलेन्द्र विशनोई किसानों से कच्ची खतौनी के 100 रुपए और पक्की खतौनी के 150 रुपए वसूल रहे थे। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की न्यूज पर डीएम ने लेखपाल को सस्पेंड किया।

-20 जून 2018 नगर निगम के एक बाबू पर वार्ड 68 निवासी ऋषिकांत ने नाम चेंज कराने के लिए ढाई हजार रुपए मांगने का आरोप लगाया। ऋषिकांत 25 दिनों तक नगर निगम के चक्कर लगाता रहा था, मामला बढ़ा तो खूब हंगामा हुआ।

-29 जुलाई 2017 बीएसए ऑफिस में तैनात बाबू अरविंद पाल पर श्यामगंज निवासी महिला ने रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। महिला ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगने के लिए कई सप्ताह तक ऑफिस के चक्कर लगा रही थीं।

-13 अप्रैल 2017 जीजीआईसी से रिटायर हुई आभा भटनागर से पेंशन देने के लिए अपर निदेशक कोषागार ऑफिस में तैनात कर्मचारी ने 10 हजार रुपए मांगे। जिसकी शिकायत उन्होंने एडीएम ई से भी की।

-13 अप्रैल 2017, राजीव कॉलोनी निवासी राजाराम आबकारी विभाग से रिटायर हैं। वह पेंशन के लिए ट्रेजरी में पहुंचे तो उनसे रिश्वत नहीं मांगी गई लेकिन उनके ही विभाग में तैनात बाबू इवने हसन ने उनसे पेंशन जारी कराने के लिए 10 हजार रुपए ले लिए।