- स्वास्थ्य निदेशालय से बार-बार तलब किया जा रहा है हिसाब

- डीजी हेल्थ ने 24 अक्टूबर को भेजे पत्र में फिर मांगा है यूसी सर्टिफिकेट

- विभाग ने अभी तक नहीं दिया जवाब, मिल ही नहीं रहा हिसाब

>DEHRADUN: मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना (एमएसबीवाई) के तहत दून सीएमओ ऑफिस में करीब आठ लाख रुपए का हिसाब-किताब नहीं मिल रहा। दरअसल योजना लागू होने के बाद सीएमओ ऑफिस को कई चरणों में आठ लाख रुपए जारी हुए थे। लेकिन, इस रकम का कहां उपयोग हुआ, इसका पता सीएमओ ऑफिस को भी नहीं है। योजना के तहत इस रकम को लेकर स्वास्थ्य महानिदेशालय से यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट मांगा गया है, लेकिन अब तक सीएमओ अॉफिस से इसका जवाब नहीं दिया गया।

दो बार मांगा जा चुका हिसाब

पूर्ववर्ती सरकार में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना के तहत तमाम जिलों में कार्ड छापने, प्रचार-प्रसार किए जाने के लिए धनराशि जारी की थी। दून जिले में भी सीएमओ कार्यालय को दो-तीन चरणों में आठ लाख रुपए जारी किए गए थे। लेकिन, जारी धनराशि का उपयोग कहां किया गया, इस बारे में सीएमओ ऑफिस में कोई हिसाब नहीं मिल रहा। खास बात यह है कि 24 अक्टूबर को ही स्वास्थ्य महानिदेशालय ने सीएमओ ऑफिस से यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट को लेकर जवाब मांगा गया है। इससे पहले भी सितंबर के महीने में स्वास्थ्य महानिदेशालय से जवाब मांगा जा चुका है, जब सीएमओ ऑफिस से इसका कोई जवाब नहीं आया तो अब डीजी हेल्थ डॉ। अर्चना श्रीवास्तव की तरफ से दोबारा जवाब मांगा गया है।

सीएमओ ऑफिस में मचा हड़कंप

सीएमओ ऑफिस को डीजी हेल्थ डॉ। अर्चना श्रीवास्तव के हस्ताक्षरयुक्त पत्र में साफ कहा गया है कि 2014-15, 2015-16, 2016-17 व 2017-18 (अब तक) धनराशि कहां खर्च की गई है। सीएमओ ऑफिस के अधिकारिक सूत्रों की मानें तो सीएमओ ने एमएसबीवाई के नोडल अधिकारी से इस रकम का हिसाब मांगा है। बदले में इतना वक्त बीत जाने के बाद भी एमएसबीवाई नोडल अधिकारी द्वारा इसका जवाब नहीं मिल रहा है, बाकायदा नोडल अफसर ने भी सीएमओ को हिसाब न मिलने की सूचना दी है। सूत्रों में मानें तो डीजी हेल्थ से लगातार यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट मांगें जाने पर सीएमओ ऑफिस में हड़कंप मचा हुआ है। सीएमओ ऑफिस के सूत्र योजना के लिए दी गई इस धनराशि में बड़ा खेल होने की संभावना जता रहे हैं।

- 8 लाख रुपए जारी किए गए थे विभाग को

- इस रकम से किया जाना था योजना का प्रचार-प्रसार

- विभाग को नहीं पता कहां खर्च हुई रकम

- दो बार हिसाब मांग चुका स्वास्थ्य निदेशालय

- सीएमओ ने नोडल अफसर से मांगा हिसाब

- नोडल अफसर ने बताया नहीं मिल रहा हिसाब