विभाग पहले भी कई भ्रष्ट बीएसए पर कार्रवाई करने से कतराया

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Lucknow: भाजपा सरकार में अपने कारनामों से चर्चा में रहने वाला बेसिक शिक्षा विभाग भ्रष्ट अफसरों को बचाने में भी आगे है। मथुरा में शिक्षकों की भर्ती से फिर सुर्खियों में आया यह विभाग पहले भी कई भ्रष्ट बीएसए पर कार्रवाई करने से कतराता रहा है। यही वजह है कि जिलों में बीएसए पर लगातार कभी जूता-मोजा खरीद तो कभी शिक्षकों के तबादलों में रिश्वत लेने के मामले सामने आते रहे हैं। हैरत की बात यह है कि शासन के निर्देश के बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने एक बीएसए के खिलाफ ईओडब्ल्यू जांच तक नहीं होने दी।

भाजपा नेता ने की थी शिकायत

सुल्तानपुर के बीएसए कौस्तुभ कुमार सिंह के खिलाफ शासन ने विगत 18 जनवरी को ईओडब्ल्यू जांच के आदेश दिए थे। उनके खिलाफ भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य शिवाकांत मिश्रा ने अवैध कृत्य और भ्रष्टाचार करने की शिकायत की थी जिसके बाद यह मामला ईओडब्ल्यू के सुपुर्द करने का निर्णय लिया गया ताकि आरोपी बीएसए की संपत्तियों की पड़ताल की जा सके। हैरत की बात यह है कि गृह विभाग द्वारा इसका आदेश जारी करने के करीब छह माह गुजरने के बाद भी विभागीय अधिकारियों ने यह मामला ईओडब्ल्यू के सुपुर्द नहीं किया। बहरहाल यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी आधा दर्जन से ज्यादा बीएसए के खिलाफ शासन में शिकायतें दर्ज कराई जा चुकी हैं जो ठंडे बस्ते में पड़ी है।

मथुरा के पूर्व बीएसए पर भी शक

मथुरा में शिक्षकों की भर्ती में हुई बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के तार पूर्व बीएसए से भी जुड़ रहे हैं। दरअसल भर्ती घोटाले के आरोप की जद में आए तत्कालीन बीएसए ने एसटीएफ को बयान दिया है कि शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया उनसे पहले तैनात रहे बीएसए शौकीन सिंह यादव ने की थी। फिलहाल एसटीएफ को अब मथुरा के रिकार्ड रूम से मिलने वाले दस्तावेजों का इंतजार है। इसके बाद यह तय हो जाएगा कि शिक्षकों की भर्ती में किसने हेराफेरी अंजाम दी। एसएसपी एसटीएफ अभिषेक सिंह ने बताया कि मथुरा में नये एसएसपी की तैनाती हो चुकी है, रिकार्ड रूम खंगालने के बाद जांच तेज की जाएगी और बाकी आरोपितों को गिरफ्तार किया जाएगा।   

जूते के टेंडर में भी गड़बड़ी

वहीं हाल ही में बेसिक शिक्षा विभाग में स्कूली बच्चों को जूता-मोजा बांटने के लिए जारी हुए टेंडर में भी गड़बड़ी की शिकायतें आई हैं। जिस कंपनी को एल-1 होने की वजह से टेंडर मिलना था, विभागीय अधिकारियों ने उसे टेंडर में भाग लेने वाली दस कंपनियों में बांट दिया। इसके बाद कंपनी ने अदालत ने शरण ली है।

तबादलों में भी गड़बडिय़ां

बेसिक शिक्षा विभाग में तबादलों में गड़बडिय़ों की तमाम शिकायतें भी शासन को मिल चुकी है हालांकि इनमें किसी तरह की जांच शुरू नही की गयी। हाल ही में तबादला सत्र खत्म होने के बाद भी प्रतिबंधित जिलों में शिक्षकों को ट्रांसफर करने का सिलसिला जारी है।

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