- जेल में बंदियों के सुसाइड के मामले आने के बाद शासन भी है गंभीर

- जिला कारागार में बंद बंदियों की काउंसलिंग कराने के दिए हैं निर्देश

- सामाजिक संगठन की मदद से मनोवैज्ञानिक जेल में जाकर करेंगे काउंसलिंग

- काउंसलिंग से जरिए बंदियों को तनावमुक्त करने का प्रयास

- जेल अधिकारियों ने शुरू की काउंसलिंग के लिए मनोवैज्ञानिक की तलाश

Meerut: जिला कारागार में बंदी तनावमुक्त जीवन व्यतीत करेंगे, क्योंकि यहां जेल में पहली बार बंदियों का तनाव खत्म करने के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था की जा रही है। जेल प्रशासन ने काउंसलिंग के लिए मनोवैज्ञानिक की तलाश भी शुरू कर दी है।

तनावमुक्त जिंदगी के लिए काउंसलिंग

मेरठ में तो नहीं लेकिन यूपी समेत दूसरे प्रदेशों की जेलों में सुसाइड के केस होते रहते हैं। जिसके पीछे का कारण बंदियों का मानसिक तनाव होता है। सुसाइड के मामलों को रोकने के लिए शासन से समय-समय पर बंदियों की काउंसलिंग कराने के निर्देश मेरठ जेल सुप्रीडेंट एचएम रिजवी को मिले हैं। लखनऊ, कानपुर समेत तमाम जेलों में काउंसलिंग होती रहती है, लेकिन मेरठ में अभी तक नहीं हुई है। इसलिए मेरठ जेल में काउंसलिंग कराने का निर्णय लिया गया है। जल्द ही काउंसलिंग के माध्यम से बंदियों को तनावमुक्त किया जाएगा।

क्यों की जाएगी काउंसलिंग?

जेल सुप्रीडेंट एचएम रिजवी ने बताया कि जेल में बंद कुछ बंदी मानसिक रूप से परेशान हैं। कुछ बंदी बताते हैं कि उन्हें रिश्तेदारों ने फर्जी मुकदमों में बंद करा दिया, तो कोई बताता हैं कि उनका एक लड़की से अफेयर चल रहा था, जब प्रेमिका को पैसे देने बंद कर दिए तो रेप का मुकदमा लगाकर जेल भिजवा दिया। ये अन्याय है। ऐसे बंदी परेशानी में कोई गलत कदम न उठा लें, इसके लिए काउंसलिंग कराना अति आवश्यक बन गया है। काउंसलिंग होने से न केवल मानसिक तनाव दूर होगा बल्कि एक नया जीवन भी बंदी जेल से शुरू कर सकेंगे। जेल के बंदी भी पढ़ाई और कारीगरी के माध्यम से अपनी प्रतिभा का आगाज करा रहे हैं।

अलग-अलग होगी काउंसलिंग

जेल में पुरुष और महिला दोनों बंदी हैं। पुरुषों की संख्या ख्फ्म्0 और महिलाओं की संख्या भ्00 के करीब है। महिला और पुरुषों की अलग-अलग शिफ्टों में काउंसलिंग होगी। काउंसलिंग में हाई सिक्योरिटी और नॉर्मल बैरक में रहने वाले कोई बंदी हिस्सा ले सकता है।

काउंसलिंग के फायदे

क्। काउंसलिंग के माध्यम से मानसिक तनाव दूर होता है।

ख्। अपनी बात काउंसलर से शेयर करके समस्या का निस्तारण होता है।

फ्। किसी भी बात को सोचकर शरीर में बीमारियां जन्म लेने लगती हैं, इससे मुक्ति मिलती है।

ब्। काउंसलिंग से मन के अन्दर होने वाला चिड़चिड़ापन भी दूर होता है।

भ्। काउंसलिंग से तनावमुक्त होकर एक नए जीवन की शुरुआत इंसान करता है। अच्छे के बारे में सोचता है, बुरे के बारे में ख्याल नहीं आते।

जेल में काउंसलिंग कराई जाएगी, ताकि जिन बंदियों को तनाव रहता है, उनका तनाव दूर करा जा सके। सामाजिक संगठन के सहयोग से मनोवैज्ञानिक से काउंसलिंग कराई जाएगी। महिला और पुरुषों की अलग-अलग शिफ्टों में काउंसलिंग कराई जाएगी।

एसएचएम रिजवी

जेल सुप्रीडेंट

चौधरी चरण सिंह जिला कारागार

मेरठ