- तीन दिन कोर्ट संचालित करने की मांग पर अडे़ तहसील के अधिवक्ता

- तहसील सदर में कोर्ट की हुई शुरूआत शुक्रवार और शनिवार दो दिन लगेगा कोर्ट

आगरा। डीएम के आदेश का एक माह सात दिन में इंप्लीमेंटेशन हुआ है। इसके बाद तहसील बार के अधिवक्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। लेकिन हड़ताल अभी खत्म नहीं की है।

कोर्ट की हुई शुरुआत

तहसील सदर बार एसोसिएशन के अधिवक्ता लम्बे समय से सदर तहसील में एसडीएम की कोर्ट लगाए जाने की मांग कर रहे थे। जिसका संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी एनजी रवि कुमार ने तीन दिन तहसील और तीन दिन कलेक्ट्रेट में कोर्ट लगाए जाने के आदेश दिए थे। जिसके बाद कलेक्ट्रेट बार ने इसका विरोध किया। कलेक्ट्रेट बार के अध्यक्ष वृजेंद्र सिंह रावत और महासचिव ने विरोध व्यक्त करते हुए जिलाधिकारी से कहा था कि शुरू से ही एसडीएम कोर्ट कलेक्ट्रेट में लगता आया है, जिसे तहसील में लगाया जाना ठीक नहीं है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जिलाधिकारी ने चार दिन कलेक्ट्रेट और दो दिन तहसील में कोर्ट लगाए जाने के निर्देश 23 अक्टूबर को दिए थे। 17 नवम्बर के लिखित में आदेश हुए। 25 को आदेश की कॉपी अधिवक्ताओं को मिली। 30 नवम्बर को सदर तहसील में कोर्ट लगने की शुरुआत हुई है।

गुलदस्ता भेंट कर किया स्वागत

कोर्ट की शुरूआत के पहले दिन कलेक्ट्रेट बार ने एसडीएम सदर अभिषेक कुमार का गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया। इसके बाद बार के महासचिव लाल बहादुर राजपूत ने बताया कि हड़ताल जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी ने तीन दिन तहसील में कोर्ट लगाए जाने का आश्वासन दिया था, जिसे कलेक्ट्रेट बार के दबाव में बदल दिया है, जो कि न्याय संगत नहीं है। दो के स्थान पर तीन दिन कोर्ट लगाए जाने का जब तक आदेश नहीं हो जाता तब तक धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा।

व्यवस्था पर उठे सवाल

अधिवक्ताओं का यह भी कहना है कि डीएम के आदेश को इंप्लीमेंटेशन होने में एक माह से अधिक समय लग गया। इससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि व्यवस्था कैसी है। इसके लिए भी अधिवक्ता धरने पर बैठे रहे। तब कहीं जाकर आदेश का पालन हो सका है।

ये थे मौजूद

स्वागत करने वालों में स्वयं प्रकाश शर्मा, राम कुमार रावत, राजीव उपाध्याय, लाल बहादुर राजपूत, ज्ञानेश राजपूत, शम्भू नाथ वर्मा, मुकेश मुकेश गुप्ता, सुरेश कंसल, बाल कृष्ण अग्रवाल प्रमुख थे।