मुशर्रफ को यह ज़मानत वर्ष 2007 में इस्लामाबाद स्थित लाल मसजिद से चरमपंथियों को खदेड़ने के सैनिक अभियान के मामले में दी गई है. अदालत ने उन्हें दो हज़ार डॉलर के मुचलके पर ज़मानत देने का फ़ैसला किया.

बीबीसी संदावदाताओं के अनुसार मुशर्रफ़ को अब उनके ख़िलाफ़ सभी मामलों में ज़मानत दे दी गई है, जिसके बाद उन्हें नज़रबंदी से रिहा किए जाने की संभावना है.

इसके बावजूद पूर्व जनरल सरकार की निर्गम नियंत्रण सूची में रहेंगे जिसकी वजह से देश छोड़ कर नहीं जा सकते हैं.

"मुशर्रफ को अब उनके खिलाफ सभी मामलों में जमानत दे दी गई है, जिसके बाद उन्हें नजरबंद से रिहा किए जाने की संभावना है. इसके बावजूद पूर्व जनरल सरकार की निर्गम नियंत्रण सूची में रहेंगे और जिसकी वजह से देश छोड़ कर नहीं जा सकते हैं."

अदालत के बाहर उनके वकील ने कहा कि मुशर्रफ़ की देश छोड़ कर जाने की कोई मंशा नहीं है. जनरल मुशर्रफ़ ने इस्लामाबाद की लाल मसजिद में सैनिक कार्रवाई के आदेश दिए थे. इसमें एक मौलवी समेत सौ से अधिक लोग मारे गए थे और पाकिस्तान में चरमपंथी बगावत शुरू हो गई थी, जो आज तक जारी है.

मुशर्रफ़ चुनाव लड़ने के लिए इस वर्ष के शुरू में स्वनिर्वासन से पाकिस्तान लौटे थे. मुशर्रफ़ इस बात पर ज़ोर देते रहे हैं कि उनके खिलाफ़ सारे आरोप राजनीति से प्रेरित हैं.

मुशर्रफ़ ने महाभियोग के ख़तरे को देखते हुए अगस्त 2008 में राष्ट्रपति का पद छोड़ा था और उसके बाद से वो दुबई और लंदन में स्वनिर्वासन की ज़िंदगी जी रहे थे. कई बार अपनी वतन वापसी को टालने वाले मुशर्रफ आख़िरकार पिछले दिनों पाकिस्तान लौटे थे.

उनपर पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो और कबाएली नेता अकबर बुग़्ती की हत्या का मुकदमा भी चल रहा है. वर्ष 2007 में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को बर्ख़ास्त करने के मामले में भी उन्हे अभियुक्त बनाया गया है लेकिन इन तीनों मामलों में उन्हें पहले ही ज़मानत मिल चुकी है.

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