- नगर निगम ने कान्हा उपवन में रखे गए प्रत्येक गोवंश के प्रतिदिन के पोषण के लिए शासन से मांगे थे 80 रुपए, मिले सिर्फ 30

BAREILLY:

नगर निगम ने छुट्टे घूम रहे गोवंश के लिए कान्हा उपवन तो बना दिया, लेकिन इनका पेट कैसे भरें इसका कोई उपाय नहीं सूझ रहा। शासन ने भी नगर निगम को हेल्प के नाम पर लॉलीपॉप थमा दिया है। नगर निगम ने शासन से गोवंश के पोषण के लिए 80 रुपए प्रति जानवर के हिसाब से धनराशि उपलब्ध कराने को कहा था, लेकिन शासन ने केवल 30 रुपए प्रति जानवर धनराशि उपलब्ध कराने को मंजूरी दी है। शासन का मानना है कि भूखे गोवंश के पोषण के लिए रोज के 30 रुपए काफी हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस राशि से कान्हा उपवन में गोवंश भूखे ही रहेंगे।

आईवीआरआई से बनवाया चार्ट

पर्यावरण अभियंता संजीव प्रधान ने बताया कि उन्होंने आईवीआरआई से गाय की डायट का एक चार्ट बनाकर एप्रोक्स रेट की लिस्ट मांगी थी। इस पर आईवीआरआई ने एक गाय का करीब 150 से 200 रुपए के बीच का चार्ट बनाकर दिया। नगर निगम ने उसे कम करके 80 रुपए प्रति गाय का चार्ट बनाकर शासन को भेजा। लेकिन, शासन ने 80 रुपए को घटाकर 30 रुपए प्रति गाय के हिसाब से ही पैसे भेजने की बात कही है।

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क्या होती है एक गाय की डायट

डेयरी मालिक धर्मेद्र सिंह के मुताबिक, एक दुधारू गाय के खाने पर एक दिन में 190 रुपए खर्च होते हैं। जबकि दूध न देने वाली गाय पर 125 रुपए।

दुधारू गाय की एक िदन की डायट

सामग्री रेट

10 किलो भूसा 100

2 किलो चोकर 40

1 किलो अरहर चुनी 20

2 किलो मसूर चुनी 30

बिना दूध वाली गाय की एक िदन की डायट

सामग्री रेट

08 किलो भूसा 80

1 किलो चोकर 20

500 ग्राम अरहर चुनी 10

1 किलो मसूर चुनी 15

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आश्रय स्थल में पहुंचाने से पहले गोवंशीय पशुओं का होगा सर्वे

-सीडीओ ने सभी बीडीओ को सर्वे रिपोर्ट भेजने के दिए आदेश

बरेली -गोवंशीय पशुओं को आश्रय स्थल में पहुंचाने से पहले पशुओं का सर्वे भी होगा। किस एरिया में कितने पशु, कितने दुधारू पशु, कितने पशुपालक व कितने आश्रय स्थल हैं, इसका सर्वे जल्द से जल्द करना होगा। सर्वे की जिम्मेदारी ग्रामीण लेवल पर सफाईकर्मियों और रोजगार सेवकों को सौंपी गई है। सीडीओ ने इस संबंध में सभी बीडीओ को आदेश जारी कर दिए हैं।

पशुपालकों की भी होगी गणना

पशु आश्रय स्थल और पशुओं की संख्या के लिए शासन से डेली रिपोर्ट मांगी जा रही है। डेली रिर्पोट में पशु आश्रय स्थल निर्माण की रिपोर्ट में कितने पशु आश्रय स्थल पहले से हैं और कितने बनाए जा रहे हैं। इनमें कितने पशु रखे जा रहे हैं। इसी तरह से निराश्रित और अनुपयोगी पशुओं की संख्या, चारागाह की संख्या व जमीन व अन्य की भी रिपोर्ट भेजी जानी है। इसके अलावा कितने पशुपालक हैं, उनके पास कितने दुधारू पशु, कितने गोवंशीय पशु और कितने अनुपयोगी पशु हैं की भी गिनती की जा रही है।