- 20 करोड़ के पटाखे गोदामों पर पड़े डंप

- 14 अस्थाई लाइसेंस पिछली वर्ष जारी किए थे बिक्री के लिए

- 34 लाइसेंसी फुलझड़ी और पटाखा मैक्न्युफैक्चरर हैं मेरठ

- 8 प्रमुख स्थानों पर सजता था पटाखों का बाजार

- 500 तकरीबन लाइसेंस अस्थाई किए जाते थे जारी

- सीएम और सीओ अपने क्षेत्रों में रखेंगे निगरानी

-पटाखा बिक्री रोकने को प्रशासन ने कसी कमर

मेरठ: पटाखा की बिक्री को पूरी तरह से प्रतिबंधित रखने के लिए जिला प्रशासन ने कमर कस ली है तो वहीं आतिशबाजी से जुड़े कारोबारियों की सांस हलक में है। मेरठ में करीब 20 करोड़ का पटाखा कारोबार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राहत की राह देख रहा है। शासन के निर्देश के बाद एडीएम सिटी मुकेश ने एक ओर जहां ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पटाखा बिक्री पर रोक के लिए एसडीएम को जिम्मेदारी दी है तो वहीं शहरी क्षेत्र में एसीएम और सीओ अपने-अपने क्षेत्र में निगरानी रखेंगे।

नहीं आया एक भी आवेदन

मेरठ समेत एनसीआर में पटाखे की बिक्री, ट्रेडिंग और आतिशबाजी पर रोक के आदेश के बाद स्थायी और अस्थायी लाइसेंस को रद कर दिया गया। मेरठ में पटाखा की ट्रेडिंग के लिए करीब 14 अस्थायी लाइसेंस पिछली वर्ष जारी किए थे, इसके अलावा 34 लाइसेंसी फुलझड़ी और पटाखा मैन्युफैक्चर मेरठ में हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी लाइसेंस डेड हो गए हैं तो वहीं प्रशासन के समक्ष अस्थायी लाइसेंस के आवेदन भी नहीं आ रहे हैं। मेरठ में 8 प्रमुख स्थानों पर करीब 500 अस्थायी लाइसेंस जारी किए जाते थे। इस बार एक भी आवेदन स्थायी पटाखा दुकान के लिए नहीं आया।

फंस गए 20 करोड़

मेरठ में आतिशबाजी का सालाना 20 करोड़ रुपये का अनुमानित कारोबार है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद 20 करोड़ के पटाखे गोदामों में डंप पड़े हैं तो वहीं सीमाओं पर चौकसी के चलते इन्हें पड़ोसी जनपदों में खपाना भी मुश्किल हो रहा है। एक थोक कारोबारी के मुताबिक रक्षाबंधन के आसपास ब्रांडेड पटाखों का स्टाक जुटाया जाता है। ज्यादातर रिटेलर भी रक्षाबंधन तक अपनी बिक्री के अनुमान से पटाखे स्टाक कर लेते हैं। ऐसे में पटाखों की ज्यादातर खरीददारी हो चुकी है, कई ट्रेडर्स ने तो लोकल मैन्युफैक्चरिंग का भी बड़ा स्टॉक जुटा रखा है।

गली-मोहल्लों पर नजर

एडीएम सिटी मुकेश चंद्र ने बताया कि पटाखों की बिक्री पर रोक के आदेश के बाद चिह्नित स्थानों के अलावा गली-मोहल्लों में भी पुलिस-प्रशासन के अफसरों की नजर रहेगी। बड़ी संभावना है कि चिह्नित स्थानों पर दुकानों पर प्रतिबंध के बाद चोरी-छिपे पटाखों की बिक्री गली-मोहल्लों में होगी। ऐसे में थाना पुलिस के साथ-साथ संबंधित क्षेत्र के एसीएम की जिम्मेदारी होगी कि वे निगरानी रखें।

सोशल मीडिया पर भी चर्चा

दिवाली पर पटाखों के बैन की चर्चा सोशल मीडिया पर भी खूब हो रही है। फेसबुक, व्हाट्सअप, ट्विटर और इंस्ट्राग्राम जैसी सोशल साइट्स पर लोगों के विभिन्न मत सामने आ रहे हैं। फेसबुक पर देवलोक कॉलोनी निवासी नरेश सिंह कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही है। दिवाली दीपों का त्योहार है ना कि पटाखों और बम फोड़ने का। और हां इस साल प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी। वहीं, ट्वीटर साधना मिश्रा ने कहा कि भले ही मेरठ में पटाखों को बैन कर दिया गया हो लेकिन चोरी छिपे ही सही लोग पटाखे चलाकर खुशियां मनाएंगे। इन दिनों पटाखों पर बैन की खबर सोशल मीडिया की जमकर सुर्खियां बनी है।

वर्जन

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। थाना पुलिस और संबंधित क्षेत्र के एसीएम -एसडीएम का जिम्मा होगा कि निगरानी रखें।

मुकेश चंद्र, एडीएम सिटी, मेरठ