मलबे से पटा केदारनाथ

त्रासदी के प्रत्यक्षदर्शी केदारनाथ में तैनात रुद्रप्रयाग के पुलिस उपाधीक्षक आर डिमरी ने बताया कि मंदिर परिसर मलबे और बोल्डर से पटा हुआ है. परिसर में जहां-तहां शव भी पड़े हुए हैं. मंदिर के गर्भगृह में पानी के साथ बहकर मलबा घुस गया है. लगातार बारिश और पानी के तेज बहाव से मंदिर के आसपास के ज्यादातर भवन जमींदोज हो गए हैं. इसके अलावा गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर सात किलोमीटर दूर स्थित रामबाड़ा का वजूद खत्म हो गया है. शासन ने भी इसकी पुष्टि कर दी है. 100-150 दुकानों वाले रामबाड़ा बाजार में यात्रा काल में पांच सौ या छह सौ लोग हमेशा मौजूद रहते थे. यहां कितने लोग हताहत हुए हैं, इसका पता नहीं चल सका है. रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी वीके ढौंडियाल ने बताया कि केदारनाथ में मरने वालों की संख्या सैकड़ों में हो सकती है. शासन के अनुसार पूरे प्रदेश में आपदा से मरने वालों का आंकड़ा 102 तक पहुंच गया है. लापता लोगों की संख्या भी सैकड़ों में है.

तीन दिन बाद हो सका राहत कार्य

तीन दिन बाद मंगलवार को बारिश थमते ही राहत एवं बचाव कार्य आरंभ हो पाया. हालांकि सड़कें व संपर्क मार्ग ध्वस्त होने के कारण प्रभावित क्षेत्रों तक मदद पहुंचाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. मौसम में आ रही खराबी के कारण हेलीकॉप्टर से राहत कार्य चलाने में बाधा भी आ रही है. सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) और नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) की टीम राहत कार्यो में जुटी हैं. केदारनाथ से हेलीकॉप्टर के जरिए फंसे लोगों को निकालने का सिलसिला भी मंगलवार को शुरू हो सका. करीब 800 श्रद्धालुओं को निकालकर गुप्तकाशी और फाटा पहुंचाया गया है.

तीथयात्री अब भी फंसे

प्रशासन के अनुसार केदारनाथ में पांच सौ और आसपास के इलाकों में अभी भी साढ़े तीन हजार लोग फंसे हैं. चार धाम के विभिन्न पड़ावों पर फंसे 50 हजार से ज्यादा तीर्थयात्रियों को अभी भी नहीं निकाला जा सका है. इन यात्रियों के लिए खाने के पैकेट गिराए जा रहे हैं. दूसरी ओर उत्तरकाशी पहुंचे आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य को प्रभावितों के गुस्से का सामना करना पड़ा. हालात बिगड़ते देख आर्य उत्तरकाशी में बामुश्किल 15 मिनट रहकर लौट आए. हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा समेत पहाड़ की ज्यादातर नदियों के जलस्तर में अपेक्षाकृत कमी दर्ज की गई है, लेकिन ये खतरे के निशान से ऊपर बह रही है.

रुद्रप्रयाग में हालात बेहद गंभीर

रुद्रप्रयाग जिले में हालात बेहद गंभीर हैं. सड़कें, पुल और संपर्क मार्ग क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. 20 हजार से ज्यादा प्रभावितों को विभिन्न स्कूलों में ठहराया गया है. मंगलवार को अलग-थलग पड़े झींगुरपानी, मुनकटिया और गौरी गांव में हेलीकाप्टर से खाने के पैकेट गिराए गए. चमोली जिले में मदद का कार्य दोपहर बाद शुरू हो सका. हेमकुंड साहिब के विभिन्न पड़ावों पर हेलीकॉप्टर से खाने के पैकेट गिराए गए. उल्लेखनीय है कि हेमकुंड साहिब और बदरीनाथ के विभिन्न पड़ावों पर 20 हजार से ज्यादा तीर्थ यात्री भी फंसे हुए हैं. हेमकुंड और जोशीमठ इलाकों में 19 शव मिले हैं. इनके श्रद्धालु होने की आशंका है.

कुमाऊं में भी तबाही

कुमाऊं के पिथौरागढ़ के छिपला केदार में मंगलवार दोपहर बादल फटने से आए मलबे में दबकर दस लोगों की मौत हो गई. मृतकों में एक ही परिवार के पांच सदस्य हैं. उधर अल्मोड़ा के सोमेश्वर में मकान गिरने से एक बच्चे की मलबे में दबकर मौत हो गई, जबकि कोसी नदी में बहने से एक सेल्समैन की मौत हो गई. नैनीताल के ओखलकांडा ब्लॉक में गौला में बहने से एक डाकिए की मौत हो गई, जबकि उसका साथी लापता है. कुमाऊं में बारिश का कहर जारी है. पिथौरागढ़ के छिपला केदार में मंगलवार दोपहर बादल फटने से कई गांवों में मलबा घुस गया. मलबे में दबकर भीमराम व उसके परिवार के पांच सदस्यों, लक्ष्मण व उसकी पत्नी चंपा, केदार व उसकी पत्नी मंजू तथा एक श्रमिक की मौत हो गई. सभी के शव बरामद कर लिए गए हैं.

पीएम व सोनिया ने की बहुगुणा से बात

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से दूरभाष पर बात कर राज्य में आई आपदा का हाल जाना और राहत कार्यों की जानकारी ली. बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की वजह से आई आपदा के मद्देनजर रक्षामंत्री और गृह मंत्री ने संवेदना व्यक्त करते हुए सहयोग का भरोसा दिया. प्रधानमंत्री ने मंगलवार शाम मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से फोन पर राहत व बचाव कार्यों की जानकारी ली. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को ताजा हालात से अवगत कराया. साथ ही केंद्र से और अधिक सहायता का अनुरोध किया. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी मंगलवार को फोन पर मुख्यमंत्री से आपदा की जानकारी ली और जानमाल के नुकसान पर गहरी संवेदना प्रकट करते हुए हर संभव मदद का आश्वासन दिया. मुख्यमंत्री ने केंद्रीय रक्षा मंत्री एके एंटनी व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से भी फोन पर बात कर उन्हें स्थिति की जानकारी दी. सेना के अधिकारियों द्वारा ज्यादा हेलीकॉप्टर की जरूरत बताए जाने पर मुख्यमंत्री ने रक्षा मंत्री से अतिरिक्त हेलीकाप्टर उपलब्ध कराने का अनुरोध किया. इस पर उन्होंने बुधवार को छह मिग हेलीकॉप्टर व छह एएलएच हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराने का भरोसा दिया.

सुषमा का दावा, हजारों लोग मरे

सुषमा स्वराज ने उत्तराखंड में भाजपा नेता अजय भंट्ट के हवाले से कहा है कि पूरी केदारघाटी बह गई है. उन्होंने ट्वीट के जरिये यह भी दावा किया कि हजारों लोग मर गए हैं और फिर भी बचाव के कोई उपाय नहीं किए गए हैं. लोकसभा में नेता विपक्ष ने इस संबंध में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से बात करने और बचाव कार्यों में सेना का इस्तेमाल किए जाने की अपील करने की भी जानकारी दी. उनके अनुसार शिंदे ने हर तरह की मदद का आश्वासन दिया है.

भगवान केदारनाथ

-उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 3,593 मीटर ऊंचाई पर मौजूद प्राचीन केदारनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग देश के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक है.

-पुराणों के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए यहां पर तपस्या की थी. इस दौरान उन्होंने 80 फुट ऊंचे भगवान केदारनाथ के मंदिर का निर्माण करवाया.

-ऐसी मान्यता है कि सतयुग काल में राज करने वाले राजा केदार के नाम पर इस भव्य मंदिर का नाम पड़ा. यह भी कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने केदारनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया.

-प्रतिकूल मौसम के कारण मंदिर के कपाट केवल अप्रैल से नवंबर माह तक ही श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोले जाते हैं.

-हर साल भारी संख्या में श्रद्धालु भगवान केदारनाथ के दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से आते हैं.

-केदारनाथ यात्रा भारत के चार प्रमुख धाम यात्राओं में से एक है। इसके अतिरिक्त बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम हैं.

-मंदाकिनी नदी के घाट पर बने इस मंदिर के भीतर घोर अंधकार रहता है. दीपक के सहारे ही शंकर जी के दर्शन होते हैं. मंदिर में पांचों पांडवों समेत द्रौपदी की भी मूर्तियां हैं.

-छह फुट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बने केदारनाथ मंदिर के बाहर प्रांगण में नंदी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं.

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