- फरवरी के 28 दिनों में सामने आए महिला अपराध के 28 मामले

- सरकारी हेल्पलाइन भी नहीं लगा सकीं महिला अपराधों पर अंकुश

आगरा। 'हाय अबला तेरी यही कहानी, आंचल में दूध आंखों में पानी' राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त द्वारा लिखी गई ये चंद लाइनें आज भी प्रासंगिक जान पड़ती हैं। प्रदेश हो या केन्द्र सरकार, हर बार महिला से दरिंदगी होने के बाद सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे करती हैं, आरोपियों को कठोर सजा दिलाने के लिए सख्त कानून बनाने का वादा किया जाता है। लेकिन, बीतते वक्त के साथ ही यह वादे और दावे धुंधले हो जाते हैं।

मंडल में अव्वल रहा आगरा

सरकार महिला अपराधों में कमी होने के चाहे कितने ही दावे करे, लेकिन सरकारी आंकड़े इस दावे की चुगली करते नजर आते हैं। फरवरी में आगरा मंडल में शान्ति एवं कानून-व्यवस्था की समीक्षा के दौरान इस बात का खुलासा हुआ। मंडल में महिला अपराध का ग्राफ आगरा में सबसे ज्यादा है।

सारी कवायद गई बेकार

बता दें, प्रदेश सरकार द्वारा महिला अपराधों में कमी के लिए राज्य महिला आयोग का गठन किया है। हर महीने की पहली तारीख को महिला आयोग की सदस्य जिले में आकर महिला अपराधों की समीक्षा कर निस्तारण करा रहीं हैं। इसके अलावा सरकार ने वीमेंस हेल्पलाइन-1090 भी संचालित कर रखा है। इस हेल्पलाइन नम्बर पर कोई भी पीडि़त महिला अपनी रिपोर्ट दर्ज करा सकती हैं, लेकिन ये सारी कवायद भी बेकार ही साबित हो रही है।

समीक्षा मीटिंग में कमिश्नर ने जताई नाराजगी

पिछले दिनों शांति एवं कानून व्यवस्था को लेकर मंडलीय मीटिंग में कमिश्नर ने नाराजगी जताई। मीटिंग में फरवरी के जो आंकड़े प्रस्तुत किए गए, उनमें महिलाओं से संबंधित आपराधिक घटनाओं में 28 आगरा में और 15 घटनाएं फीरोजाबाद में घटित हुई। वहीं, आपराधिक मामले में आगरा में 37 मामले नामजद और 259 अज्ञात मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा आगरा में वाहन चोरी की सर्वाधिक 179 घटनाएं दर्ज की गई हैं। मंडल में 3225 वांछित अभियुक्तों में 2726 के विरुद्ध कार्रवाई हुई है। वहीं, आगरा में पांच और मथुरा में 14 अपराधी तो ऐसे हैं, जिन्हें एक वर्ष की अवधि व्यतीत हो जाने के बाद भी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।