- दिल्ली के समयपुर बादली में 1998 में हुई थी एसटीएफ से मुठभेड़

- दिल्ली के अलावा मध्य प्रदेश में भी फैला था गिरोह

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आईएस (इंटरस्टेट)- 233 नंबर गैंग का मुखिया मुन्ना बजरंगी वर्षो तक पुलिस और एजेंसियों के लिए यूं ही सिरदर्द नहीं बना रहा। एसटीएफ और दिल्ली पुलिस की टीम ने एक बार उसे दिल्ली में घेरा भी। 11 सितंबर-1998 को दिल्ली के समयपुर बादली में दोनों तरफ से एक-47 से फायर झोंका गया। बजरंगी को इसमें 14 गोलियां लगी थीं, उसका एक साथी यतींद्र मारा गया मगर अस्पताल ले जाने तक बजरंगी की सांसें चलती रहीं और डॉक्टर्स ने उसे बचा लिया था।

उठा तो 11 साल बना रहा पहेली

तब एक लाख रुपये के इनामी बजरंगी की तलाश में यूपी एसटीएफ और दिल्ली पुलिस लगी हुई थी। बजरंगी पर दिल्ली में हत्या और असलहों की तस्करी जैसे कई केस दर्ज थे। हरियाणा के गिरोहों से भी इस गिरोह का संपर्क था और नेपाल के रास्ते एके-47 जैसे असलहे धड़ल्ले से मंगाए जा रहे थे। बजरंगी के पीछे लगी एसटीएफ ने अलसुबह एक लग्जरी कार में जा रहे बजरंगी को समयपुर बादली के ग्रामीण क्षेत्र में घेर लिया था। बदमाशों ने पुलिस पर फायर झोंका और भागने की कोशिश की। पुलिस टीम भी तैयार थी और बजरंगी को छलनी कर दिया। एनकाउंटर के बाद दिल्ली के शातिर यतींद्र और बजरंगी को अस्पताल पहुंचाया गया तो डॉक्टर्स ने उसे जिंदा पाया। महीनों इलाज के बाद बजरंगी उठा तो फिर 11 साल तक पुलिस के लिए पहेली बना रहा।