-बनारस की अदालत में लगाई थी सुरक्षा की गुहार

- भोजन में जहर मिलाकर हत्या की जताई थी आशंका

- जेल अफसरों और एसटीएफ के अफसरों पर लगाया था आरोप

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पूर्वाचल में आतंक का पर्याय रहे माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी ने पहले ही अपनी जान का खतरा भांप लिया था। बजरंगी ने वाराणसी की अदालत में अर्जी देकर सुरक्षा की गुहार लगाई थी। उसकी पत्‍‌नी सीमा सिंह ने भी लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर झांसी जेल में पति को खाने में जहर मिलाकर खिलाने का आरोप लगाया था।

वाराणसी में एडीजे (चतुर्दश) मो। गुलाम उल मदार की अदालत में बजरंगी ने झांसी जेल में अपनी जान को खतरा बताया था। उसका आरोप था कि जेल के अफसरों के साथ मिलीभगत कर एसटीएफ के कुछ अधिकारी उसे मरवाना चाहते हैं। अदालत ने इस मामले में आईजी जेल से रिपोर्ट और जेल की सीसीटीवी फुटेज भी तलब की थी। 29 जून को लखनऊ में सीमा सिंह ने भी एसटीएफ के कुछ अफसरों से अपने पति को खतरा बताया था।

यह था बजरंगी का प्रार्थना पत्र

बजरंगी ने अपने प्रार्थना पत्र में कहा था कि 9 मार्च को एसटीएफ के दो लोग झांसी जेल आए थे। जेल में कुछ बंदियों को साजिश में लेकर कारागार के अंदर ही उसके भोजन में जहर मिलाकर या अन्य तरीके से उसकी हत्या करने की योजना बनाई और बंदी कमलेश से मिले। जेल के सीसी कैमरे में यह सब रिकॉर्ड है। 30 अप्रैल को मेडिकल बोर्ड ने बजरंगी के खराब स्वास्थ्य की रिपोर्ट दी और कहा कि वह यात्रा करने की स्थिति में नहीं है। मगर एक मई को एएसपी झांसी बाहर के डॉक्टर्स के साथ आए और जेल प्रशासन पर बजरंगी को साथ ले जाने के लिए दबाव बनाया। बजरंगी ने जेल में हत्या कराए जाने के साथ ही सीसी फुटेज से छेड़छाड़ की आशंका भी जताई। बजरंगी की आशंका कुछ हद तक सही साबित भी हुई क्योंकि झांसी जेल ने अदालत को भेजी आख्या में यह स्वीकार किया कि कानपुर से एसटीएफ के इंस्पेक्टर घनश्याम यादव आए थे। मगर जेल ने सीसीटीवी फुटेज नहीं भेजा।