- 90 नेपालियों के नाम-पते से बने थे पासपोर्ट

- एसपी ग्रामीण की जांच में धारक ही बने अभियुक्त

GORAKHPUR:

नेपाली नागरिकों का पासपोर्ट बनाने के मामले की जांच क्राइम ब्रांच करेगी। मंगलवार को भारत नेपाल मैत्री समाज के कार्यवाहक अध्यक्ष अनिल कुमार गुप्त ने एसएसपी से मिलकर कार्रवाई की गुहार लगाई। एसएसपी ने मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपते हुए रिपोर्ट मांगी। इसके पहले इस प्रकरण की जांच एसपी ग्रामीण कर चुके हैं। एसपी ग्रामीण की जांच में सिर्फ पासपोर्ट धारकों को दोषी ठहराया गया है।

पासपोर्ट न देने सामने आया मामला

रेलवे स्टेशन पुलिस चौकी के पास भारत-नेपाल मैत्री समाज का आफिस है। वर्ष 2012 में नेपाली नागरिक सहायता केंद्र पर पहुंची दो महिलाओं ने पासपोर्ट बनवाने के बजाय रुपए हड़पने का आरोप लगाया। तत्कालीन अध्यक्ष मोहनलाल गुप्ता ने इसकी शिकायत पुलिस अधिकारियों से दर्ज कराई। तब सामने आया कि 90 नेपाली नागरिकों का पासपोर्ट फर्जी तरीके से बना दिया गया है। बड़े पैमाने पर हेराफेरी की शिकायत सामने आने पर एसएसपी आशुतोष कुमार ने जांच कराई। इस मामले में एक अभियुक्त परशुराम को पुलिस ने अरेस्ट किया। दूसरे आरोपी राजेश तक पुलिस नहीं पहुंच सकी।

जांच की आंच में झुलसे आवेदक

फर्जी तरीके से पासपोर्ट बनवाने का मामला सामने आने पर खुफिया एजेंसी सक्रिय हो गई। तब पूर्व आईजी जकी अहमद ने इस मामले की तफ्तीश का निर्देश दिया। एसपी ग्रामीण ने मामले की जांच करते हुए पासपोर्ट बनवाने वाले लोगों को दोषी पाया। उनके खिलाफ कैंट और शाहपुर थानों में केस दर्ज कराया गया। पासपोर्ट बनाने के रैकेट में शामिल पुलिस-एलआईयू, मकान मालिक सहित तमाम लोगों को क्लीन चिट दे गई। इसलिए पासपोर्ट मामले की दोबारा जांच की मांग उठी।