आई रियलिटी चेक

-दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने किया चौंकानेवाला खुलासा

-थानों व चौकियों में भी संदिग्धों का कोई रिकार्ड नहीं

-रख लेते किरायेदार, पर नहीं कराते पुलिस वेरिफिकेशन

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RANCHI(10 March): राजधानी में पिछले पांच सालों से किरायेदारों का पुलिस वेरिफिकेशन नहीं हुआ है। वहीं, संदिग्धों की शिकायत पर भी लोकल पुलिस गंभीर नजर नहीं आती। संदिग्धों के बारे में थानों व चौकियों की पुलिस के पास कोई रिकार्ड भी नहीं है। यह चौंकानेवाला खुलासा हुआ है दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की रियलिटी चेक में। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम को विभिन्न मुहल्ले के लोगों ने बताया कि पुलिस कभी वेरिफिकेशन करने आती ही नहीं है। गौरतलब हो कि अक्सर नाम व पहचान छिपाकर किराये के मकान में क्रिमिनल्स या नक्सली आकर राजधानी में रहते हैं। कांड को अंजाम देने के बाद पुलिस मकान मालिकों को घेरे में लेती है। इससे उनकी परेशानी बढ़ जाती है।

इलाका: चुटिया

समय: दोपहर 1.00 बजे

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम यहां पहुंची तो लोगों ने बताया कि कोई वारदात होने पर ही पुलिस पहुंचती है। चुटिया के बलराम चौधरी ने बताया कि यहां कई मकानों में किरायेदार रहते हैं। लेकिन कोई कभी वेरिफिकेशन नहीं कराने जाता और न पुलिस किसी से इस संबंध में कोई जानकारी लेती है।

इलाका: रातू रोड, इंद्रपुरी

समय- दोपहर 2.00 बजे

इस कॉलोनी में सैकड़ों की तादाद में किरायेदार रहते हैं। लेकिन उनके बारे में पास-पड़ोस के लोगों को जानकारी नहीं होती। रमेश सिंह ने बताया कि करीब चार साल पहले पुलिस ने मोहल्ले के एक मकान में किराए पर रह रहे बदमाशों को अरेस्ट किया था। बावजूद इसके बाकी किरायेदारों का वेरिफिकेशन तो आज तक कभी नहीं हुआ।

इलाका: शांति नगर, पिस्कामोड़

समय- दोपहर 3.00 बजे

इस कॉलोनी में बदमाशों के छिपने की सूचना पर पुलिस कई बार छापेमारी कर चुकी है। पुलिस ने चोरी के एक मामले में यहां के एक युवक को अरेस्ट भी किया था। इस मुहल्ले में आकाश वर्मा ने ने बताया कि यहां किरायेदारों का पुलिस वेरिफिकेशन कभी नहीं हुआ।

इलाका: दयाल नगर, पिस्कामोड़

समय: दोपहर 4.00 बजे

पंडरा एरिया का दयाल नगर मोहल्ला काफी संवेदनशील है। इस मोहल्ले के आसपास के इलाकों में कई बार आपराधिक वारदातें भी हो चुकी हैं। यही से करीब दो साल पहले पुलिस ने एक बाइक चोर को अरेस्ट किया था। पहले भी ऐसे मामले सामने आते रहे हैं। इनमें किराएदार अपराध में पकड़े जा चुके हैं।

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क्या है कानूनी प्रावधान

मकान मालिकों द्वारा पुलिस को अपने यहां किरायेदार रखने की जानकारी नहीं देने को धारा 188 का उल्लंघन माना जाता है। इसके तहत संबंधित लोगों को छह माह तक की सजा भी हो सकती है। शहर में कई मकान मालिकों को यह तक पता नहीं कि किसे किराए पर मकान दिया है, वह कौन है, कहां से आया है और क्या काम करता है।

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53 वार्ड हैं पूरे रांची शहर में

400 मोहल्ले रजिस्टर्ड हैं आरएमसी में

2,00,000 के करीब मकान रजिस्टर्ड हैं आरएमसी में

12 थाने हैं रांची शहर मे

पुलिस वेरिफिकेशन के फायदे

- किरायेदारों के बारे में सटीक जानकारी मुहैया हो जाती।

- किरायेदारो के नाम, पता के संबंध में पुलिस का रिकॉर्ड हमेशा मेंटेंन रहता।

- मकान मालिक और किरायेदारों का मोबाइल नंबर आसानी से मिल जाता।

- किसी मामले में जरूरत पड़ने पर पुलिस आसानी से लोगों का पता लगा लेगी।

- गश्त के दौरान पुलिस सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कराती।

क्या कहती है पब्लिक

मुहल्ले में सभी लोग रहते हैं। इनमें से मकान मालिकों द्वारा चंद पैसों के लालच में मकान तो दे दिया जाता है, लेकिन उनका कभी कोई वेरीफिकेशन पुलिस नहीं कराती। न तो उनके आधार कार्ड लिए जाते हैं और न ही कोई और पहचान पत्र।

-निशांत कुमार, पिस्कामोड़

कांके रोड एरिया में किरायेदारों की तादाद काफी बढ़ी है। लेकिन शायद ही किसी के किरायेदार का पुलिस वेरिफिकेशन होता हो।

-राजेश भगत

रातू रोड के मोहल्ले अपराधियों के शरणगाह बन गए हैं। आए दिन यहां से किसी न किसी गैंग के लोग पकड़े जा रहे हैं। वेरिफिकेशन होने पर ऐसे लोग मोहल्लों में टिक नहीं पाते।

आकाश वर्मा, शांतिनगर

मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि पुलिस किरायेदारों का वेरिफिकेशन भी करती है। मेरी जानकारी में ऐसा कभी नहीं हुआ है।

-निर्मल शर्मा, रातू रोड

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ऐसे किरायेदारों को दीजिए मकान

बिना जांच पड़ताल के घर किराए पर दिया तो मुसीबत में फंस सकते हैं। किराएदार ने शहर में किसी घटना को अंजाम दिया हो, तो पुलिस आपके पीछे पड़ जाएगी। झमेले से बचना है तो घर किराए पर देने से पहले किराएदार का वेरीफिकेशन जरूर करवाएं। सिटी एसपी अमन कुमार ने उन इलाकों में विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है, जहां किराएदारों की संख्या बहुत ज्यादा है। किराएदारों का रिकॉर्ड संबंधित थानों में भी रखा जाएगा। रांची पुलिस ने अपील की है कि किराया देने से पहले यह वेरीफाई करें कि किराएदार कहां रहता था और काम क्या करता है। उसका पारिवारिक बैकग्राउंड कैसा है। यदि किराएदार के पास वोटर आई कार्ड, आधार कार्ड है तो उसे अपने पास जरूर रखे लें। उसके घर का नाम, पता, पिता का नाम भी जरूरी होना चाहिए।

कोट

इस मामले में पुलिस को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने इलाकों में मकान मालिकों को नोटिस भेजें कि उनके घरों में कौन किरायेदार हैं। उनका पेशा क्या है? पुलिस जल्द ही इस पर मॉनिटरिंग भी करेगी।

-एवी होमकर, डीआईजी, रांची।