- महिला अपराध के मामले में यूपी में हम लखनऊ आगरा गाजियाबाद के बाद चौथे नंबर पर

- रेप केसेस में प्रदेश में पहले पायदान पर पहुंचा मेरठ

- एनसीआरबी की रिपोर्ट ने प्रदेश और जिले की दिखाई भयावह स्थिति

sharma.saurabh@inext.co.in

Meerut : वर्ष ख्0क्फ् में जो महिलाओं के साथ अपराध होने का सिलसिला शुरू हुआ वो अभी तक जारी है। जो लगातार बढ़ता ही जा रहा है आज हम जो आपको स्थिति दिखाने जा रहे हैं, उससे आप भी चौंक जाएंगे और एक बार जरूर सोचेंगे कि आखिर हम इस प्रदेश और शहर में रह कैसे रहे हैं? महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों में हमारा प्रदेश आंध्रप्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर है। अगर अपने शहर की बात की जाए तो लखनऊ आगरा गाजियाबाद के बाद चौथे नंबर पर हम हैं। रेप जैसे घिनौने अपराध में तो पूरे देश में एमपी और राजस्थान के बाद तीसरे पायदान पर काबिज हो चुके हैं। वहीं प्रदेश में तो हम अव्वल हैं।

क्म् मिनट में एक महिला अपराध

प्रदेश की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि हर क्म् मिनट में कोई न कोई महिला प्रदेश में प्रताडि़त हो रही है। एनसीआरबी वर्ष ख्0क्फ् की रिपोर्ट की मानें तो प्रदेश में फ्ख्,भ्ब्म् मामले सामने आए। जो महिला अपराधों की श्रेणी में आते हैं। यह पूरे देश में दूसरे नंबर की स्थिति है। वहीं अगर सिटी की बात करें तो महिलाओं के साथ हर क्क् घंटे में कोई न कोई अपराध हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक 7म्म् मामले महिला अपराधों की श्रेणी में दर्ज हुए थे, जोकि प्रदेश में हम चौथे नंबर पर हैं।

तीन घंटे में एक रेप

अगर हम रेप के मामलों की करें तो प्रदेश की स्थिति और भी खराब हो चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में हर फ् घंटों में महिला के साथ रेप हुआ है, जो काफी शर्मनाक स्थिति है। प्रदेश में वर्ष ख्0क्फ् में ख्987 रेप केस दर्ज हुए थे। वहीं बात मेरठ सिटी करें तो स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। प्रदेश के प्रमुख शहरों में मेरठ रेप केसों के मामलों में अव्वल है। रिपोर्ट के अनुसार मेरठ में हर एक हफ्ते में रेप हुआ। यानि भ्9 केस दर्ज हुए हैं।

महिला अपराधों में देश में प्रदेश

प्रदेश केस रिपोर्टेड

आंध्रप्रदेश : फ्ख्,809

उत्तरप्रदेश : फ्ख्,भ्ब्म्

वेस्ट बंगाल : ख्9,8ख्म्

राजस्थान : ख्7,9फ्फ्

महाराष्ट्र : ख्ब्,89भ्

महिला अपराधों में यूपी का दूसरे पायदान में होना कोई नई बात नहीं है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की नेक्स्ट रिपोर्ट में यूपी पहले पायदान पर भी आ सकता है। खैर इस रिपोर्ट की बात करें तो देश में महिला अपराधों का हिस्सा क्0.भ्क् फीसदी है। जबकि प्रदेश में महिलाओं की संख्या 988.फ्क् लाख है।

महिला अपराधों में प्रदेश में शहर

प्रदेश केस रिपोर्टेड

लखनऊ : क्ब्फ्क्

आगरा : 870

गाजियाबाद : 8फ्0

मेरठ : 7म्म्

वाराणसी : भ्ख्भ्

कानपुर : ब्ब्म्

इलाहाबाद : फ्म्फ्

महिला अपराधों के मामले में शहर दूसरे शहरों के मुकाबले आगे बढ़ने की ओर अग्रसर है। रिपोर्ट के अनुसार महिला अपराधों में प्रदेश की टोटल सिटी के महिला अपराधों का मेरठ का हिस्सा क्.ब्फ् फीसदी है। जबकि रिपोर्ट में सिटी में महिलाओं की संख्या म्.70 लाख बताई गई है।

रेप केसों में देश में प्रदेश

प्रदेश केस रिपोर्टेड

मध्यप्रदेश ब्फ्क्फ्

राजस्थान फ्ख्ख्9

उत्तरप्रदेश ख्987

महाराष्ट्र ख्9भ्भ्

अगर यूपी में रेप केसों को एज ग्रुप के हिसाब से देखा जाए तो सबसे ज्यादा रेप क्8 से फ्0 साल की उम्र की महिलाओं के साथ हुए रेप केस दर्ज हुए। उसके बाद क्ब् से क्8 साल के एज ग्रुप की युवतियों के साथ हुए रेप में 7म्7 केसों को दर्ज किया।

रेप केसों में प्रदेश में शहर

प्रदेश केस रिपोर्टेड

मेरठ : भ्9

लखनऊ : भ्भ्

गाजियाबाद : भ्0

आगरा : फ्ब्

वाराणसी : ख्9

इलाहाबाद : ख्म्

कानपुर : क्म्

इस शर्मनाक हरकत में पूरे प्रदेश में मेरठ का नाम टॉप पर होना सिटी के लोगों के लिए बड़े ही शर्मनाक बात है। एज ग्रुप के हिसाब से क्8 से फ्0 साल की महिलाओं के साथ हुए रेप केसों में ख्भ् मामले दर्ज हुए। वहीं क्7 केस दर्ज क्ब् से क्8 साल की युवतियों के साथ हुए मामलों में हुए।

महिला अपराधों को रोकने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। ये प्रयास सिर्फ एक शहर में नहीं पूरे लेवल पर हो रहे हैं। जल्द ही आपको इसके बेहतर रिजल्ट सामने मिलने लगेंगे।

- आलोक शर्मा, आईजी, मेरठ रेंज

पुलिस अपने प्रयास में कोई कमी नहीं छोड़े हुए है। ऐसे केसों को रोकने अपराधियों को पकड़कर सख्त से सख्त सजा दिलाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है।

- के सत्यनारायण, डीआईजी, मेरठ रेंज

ये आंकड़े पुलिस और प्रदेश सरकार के लचीलेपन की निशानी है। जब तक पुलिस कोई कठोर कदम नहीं उठाएगी। साथ ही सरकार पुलिस को थोड़ी फ्रीडम नहीं देगी तब महिला अपराध और रेप केसों में कोई कमी नहीं आएगी।

- अतुल शर्मा, अध्यक्ष, संकल्प संस्था

रेप केसों को लेकर ये आंकड़ें काफी चौंकाने वाले हैं। प्रदेश सरकार की नाकामी और पुलिस की सुस्ती ये आंकड़े साफ बयां कर रहे हैं। साथ ही इस ओर भी इशारा कर रहे हैं कि ये प्रदेश और सिटी महिलाओं के रहने लायक नहीं रह गया है।

- गरिमा त्यागी, अध्यक्ष, महिमा महिला संस्थान

इस रिपोर्ट के बाद प्रदेश सरकार और पुलिस को अपनी आंखों से पट्टी उतारकर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कढ़े कदम उठाने ही होंगे। अगर अब कोई कदम नहीं उठाए तो स्थिति और भी बुरी हो सकती है।

- रजनीश कौर, एडवोकेट