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बिहार का 50 हजार ईनामी धर्मेन्द्र नट गैंग संग गिरफ्तार, फूलपुर डकैती केस में भी था शामिल

इंट्रो

बनारस में पांच ऐसे मोस्ट वांटेड हैं जो सालों से पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। पुलिस उनकी थाह लेते-लेते शायद उन्हें भूल भी चुकी है। अलबत्ता बनारस पुलिस की सक्रियता दूसरे राज्यों के मोस्ट वांटेड की गिरफ्तारी में सामने आ रही है। सोमवार को एसएसपी बिहार के 50 हजार ईनामी के साथ उसके शातिर गैंग को गिरफ्तार करने की खुश खबरी मीडिया से शेयर की।

वाराणसी:

बिहार में 50 हजार का ईनामिया घोषित कुख्यात अपराधी धर्मेद्र नट को उसके चार साथियों के बनारस पुलिस ने सोमवार की रात हल्के मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया है। इस ऑपरेशन में क्राइम ब्रांच और फूलपुर पुलिस साथ रही। धर्मेन्द्र बिहार के अलावा पूर्वाचल में दर्जनों संगीत अपराधों में शामिल रहा है। छह साल से उसे दोनों राज्यों की पुलिस तलाश रही थी।

एसएसपी ने दी जानकारी

एसएसपी आरके भारद्वाज ने मंगलवार को धर्मेद्र और उसके गैंग मेम्बर्स को मीडिया के सामने पेश किया। बताया कि फूलपुर थाना एरिया के रमईपुर-मंगारी मोड़ पर मुठभेड़ के बाद बदमाशों के पास से तीन असलहा, लूट के 17 हजार रुपया व कुछ मोबाइल बरामद हुआ। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए क्राइम ब्रांच टीम को दस हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की।

बताते थे गलत नाम-पता

एसएसपी ने ये भी बताया कि इस गैंग के लोग काफी शातिर हैं। जब भी कोई सदस्य पकड़ा जाता था तो गलत नाम-पता बताकर जेल चला जाता। छह साल पहले फूलपुर में हुई डकैती में पकड़े गए मिथुन व गुड्डू ने भी गलत नाम-पता बताया था। इनका सरगना धर्मेद्र काफी शातिर है जो खुद भी फूलपुर एरिया में कई मुकदमों में नामजद है।

रेकी के बाद करते थे वारदात

एसपी क्राइम ज्ञानेंद्र नाथ ने बताया कि गैंग सरगना बिहार के सासाराम का मूल निवासी धर्मेद्र है जो बिहार और बनारस समेत पूर्वाचल के अन्य जिलों में काफी एक्टिव था। ये गैंग किसी भी जगह 10 दिन से ज्यादा नहीं टिकता था। ये कहीं भी धूमंतूओं की तरह सड़क किनारे डेरा डालते थे। प्लास्टिक बटोरने के नाम पर रेकी करते थे और फिर लूटपाट कर दूसरे जिले में भाग जाते थे। ये घरों के अलावा ट्रेनों में भी चोरी, उचक्कागिरी और लूटपात की वारदातों को अंजाम देते थे।

गिरफ्तार हुए बदमाश

-धर्मेद्र नट, निवासी बाराडीह, सासाराम बिहार

-पप्पू नट, निवासी किशनपुरा भावरकोल गाजीपुर

-दीपक नट, निवासी मुरार बक्सर बिहार,

-सत्यनारायण, निवासी मठिया बक्सर बिहार

-लल्लन, निवासी रिविलगंज, छपरा बिहार

गिरफ्तार करने वाली टीम

क्राइम ब्रांच प्रभारी विक्रम सिंह, फूलपुर एसओ वीपी सिंह, ओम नारायण सिंह, राकेश सिंह, कुलदीप सिंह, सुमंत सिंह, टीपी सिंह, रामभवन, पुनदेव, सुनील राय, चंद्रसेन, विवेकमणि त्रिपाठी।

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- बनारस आधा दर्जन ईनामी बदमाश असरे से चल रहे हैं फरार, शासन ने घोषित कर रखा गिरफ्तारी पर पुरस्कार

-हत्या, लूट, अपहरण जैसे संगीन मामलों में हैं वांछित, ढूंढ नहीं पा रही बनारस की पुलिस

वाराणसी

हत्या, लूट, अपहरण, रंगदारी जैसे दुस्साहसिक वारदातों से बनारस में खौफ का पर्याय बने कई पचास हजार रुपये के ईनामी बदमाश खाकी की पकड़ से कोसों दूर हैं। ये आज भी अपराध की दुनिया में सक्रिय हैं और यूपी-बिहार, नेपाल तक अपना सिंडिकेट चला रहे हैं। इनको दबोचने के लिए कई दफा पुलिस अफसरों की स्पेशल टीम भी गठित हुई मगर पुलिस डाल-डाल तो अपराधी पात-पात की तर्ज पर चलते हुए पकड़ से दूर ही हैं।

पुलिस की पकड़ से दूर पांच

फरार चल रहे बनारस के 50 हजार ईनामी वांटेड की लिस्ट में इंद्रदेव सिंह उर्फ बीकेडी, विश्वास नेपाली, सुनील यादव, मनीष सिंह और अंजीम उर्फ डॉक्टर मेन हैं। ये सभी रिमोट से ही अपने गैंग का संचालन कर रंगदारी वसूली, कांट्रैक्ट किलिंग जैसे कांड करते हैं। कोई सोनभद्र में बालू खनन में लिप्त है तो कोई रियल इस्टेट के बिजनेस वालों के लिए ब्लैक मनी इन्वेस्टर बना है। किसी को आजमगढ़ में संरक्षण प्राप्त है तो कोई गोरखपुर से नेपाल बार्डर एक किये हुए है।

वांटेड-1: इंद्रदेव सिंह उर्फ बीकेडी

कभी डॉन के रूप में चर्चित और मौजूदा समय के एमएलसी बृजेश सिंह के चचेरे भाई सतीश सिंह की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या करने के मामले में इंद्रदेव सिंह बीकेडी फरार है। फरार रहते हुए भी बीकेडी का नाम एमएलसी के करीबी अजय सिंह खलनायक पर टकटकपुर में हुई फायरिंग में भी जुड़ा। इसके अलावा बीकेडी का नाम शहर के कई बड़े कारोबारियों से रंगदारी मांगने के मामले में भी प्रकाश में आ चुका है। तत्कालीन सरकार में मंत्री रहे एक सफेदपोश ने उसे लंबे समय तक संरक्षण दिया था।

वांटेड-2: विश्वास नेपाली

साल 2010, सप्तसागर दवा मंडी में रंगदारी के लिए कारोबारी पर फायरिंग के मामले में विश्वास नेपाली का नाम सुर्खियों में आया था। तब से फरार नेपाली का नाम लूट, हत्या के प्रयास सहित रंगदारी के मामलों में उछलता गया। शुरुआती दौर में नेपाली का नाम मुन्ना बजरंगी से भी जुड़ा। विशेश्वरगंज मंडी में रहते हुए नेपाली कई व्यापारियों को धमकी देकर रंगदारी वसूलता रहा। मगर, इधर कुछ सालों से उसका स्थाई नेटवर्क नेपाल बार्डर बताया जा रहा है।

वांटेड-3: सुनील यादव

अगस्त 2013 में चंदौली पेशी से लौटते समय चौकाघाट पर पुलिस वैन से कूदकर फरार चल रहे चोलापुर निवासी सुनील यादव का आतंक सूबे के पूर्ववर्ती सरकार में खूब चला। जमीन कब्जा कराने सहित हत्या और अपहरण जैसे संगीन मामलों में सुनील यादव का नाम प्रकाश में आता रहा। हालांकि सुनील को लेकर चर्चा ये भी है कि विरोधियों ने उसकी हत्या कर बॉडी को ईट भट्ठे में जला दिया। 2015 के बाद से सुनील का चेहरा किसी ने नहीं देखा, मगर पुलिस के रिकॉर्ड में 50 हजार का ईनामी है।

वांटेड-4: मनीष सिंह

बाबतपुर रोड स्थित सैम्स के डायरेक्टर आरके सिंह सहित एक्ट्रेस मनीषा कोइराला के सचिव अजीत देवानी की हत्या कर सुर्खियों में आए जंसा निवासी मनीष सिंह भी फरार है। बनारस सहित महाराष्ट्र में बिल्डरों को धमकाने, रंगदारी वसूलने के मामले में मनीष कुख्यात रहा है। साल भर पहले रोहनिया एसओ रहते हुए शिवानंद मिश्रा ने घेरेबंदी कर मनीष को दबोचने की प्लैनिंग की थी। मगर, आहट मिलते ही मनीष भागने में सफल रहा। तब से पुलिस को उसकी लोकेशन नहीं मिली। बीते कुछ साल में रियल इस्टेट कारोबार में उसका दखल तेजी से बढ़ा है।

वांटेड-5: अजीम उर्फ डॉक्टर

28 मई 2012 को शिवपुर बाईपास में मार्बल कारोबारी सुशील सिंह की हत्या कर सनसनी फैलाने वाले चौबेपुर निवासी अजीम उर्फ डॉक्टर के वारदात भी जघन्य से जघन्य रहे हैं। वहीं अहरौरा के जंगल में पचास हजार के ईनामिया राजेश चौधरी की हुई हत्या में भी अजीम उर्फ डॉक्टर का नाम सामने आया था। मौजूदा समय में अजीम का नेटवर्क सोनभद्र, एमपी बॉर्डर की ओर बढ़ रहा है। कई सफेदपोश के संरक्षण में अपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहा है।