-सभी थानों में तैनात होंगे फार्मासिस्ट और मेडिकल स्टाफ
-मारपीट और हादसे में घायलों को मिलेगी त्वरित राहत
-शासन ने पुलिस मुख्यालय को भेजा पत्र, डीजीपी से मांगा जवाब
थाने से अब सुरक्षा और विधिक सहायता के साथ ही लोगों को जल्द प्राथमिक उपचार भी मिलेगा। शासन की तरफ से पुलिस मुख्यालय को इस आशय का प्रस्ताव भेजकर डीजीपी से जवाब मांगा गया है। व्यवस्था के लागू होते ही हादसे और मारपीट की घटनाओं में घायल लोगों का थाने में ही इलाज कर उन्हें शुरुआती मदद दिलाई जा सकेगी।
घंटों खुले रह जाते हैं जख्म
अब तक चली आ रही व्यवस्था में मारपीट या विवाद में घायल लोगों को पुलिस पहले थाने लाती है। यहां लिखा पढ़ी के बाद उन्हें उपचार और मेडिकल मुआयना के लिए अस्पताल भेजा जाता है। मारपीट में कई बार लोगों के सिर और नाजुक अंगों में गहरी चोटें आती हैं मगर मौजूदा व्यवस्था में उनके घाव घंटों खुले रह जाते हैं और खून बहता रहता है। ऐसे में पीडि़तों को कई बार देर से इलाज मिलता है।
दूर के थानों में दिक्कत ज्यादा
ऐसे थाने जो शहर से दूर हैं। वहां घायलों के साथ ही पुलिस को भी ज्यादा दिक्कत पेश आती है। गंभीर रूप से घायलों का त्वरित उपचार जरूरी है। ऐसे में पुलिस की सरकारी जीप कई बार घायलों को अस्पताल पहुंचाने के काम में ही लगी रह जाती है।
कानपुर से आया प्रस्ताव
थानों पर मेडिकल स्टाफ की तैनाती संबंधी प्रस्ताव कानपुर से आया। यहां के फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने शासन से इस व्यवस्था की मांग की। इस पर शासन के अनुसचिव असीम कुमार सिंह ने डीजीपी को पत्र लिखकर उनसे जवाब मांगा है। सूत्रों की मानें तो इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है।
एक नजर
25
थाने हैं वाराणसी जिले में
16
शहरी और 9 ग्रामीण थाने
100
मामले औसतन हर दिन पहुंचते हैं मारपीट और हादसों के
50
से ज्यादा एफआईआर और एनसीआर होते हैं दर्ज