-शहर में अवैध वाहनों पर नकेल कसने के लिए कमिश्नर ने की पहल

- जाम से मिलेगी निजात, वाहनों पर रखी जा सकेगी नजर

तमाम कोशिशों के बावजूद शहर की सड़कों पर इस समय सबसे बड़ी समस्या ट्रैफिक जाम ही है। रोजमर्रा के जाम में फंसने वालों का मानना है कि 90 फीसदी जाम का कारण बेतरतीब चलने वाले ई-रिक्शा और ऑटो बनते हैं। जाम की इस वजह से निजात पाने के लिए प्रशासन ने पहल की है। अब शहर के रूट की 'कलर कोडिंग' की जाएगी। इससे वाहनों की संख्या नियंत्रित करने में आसानी होगी।

क्या होती है कलर कोडिंग?

महानगरों में ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए यह प्रयोग किए गए जो काफी हद तक सफल रहे हैं। इसके तहत किसी रूट का एक रंग तय कर दिया जाता है। यानी इस रास्ते पर चलने वाले पब्लिक ट्रांसपोर्ट के वाहनों को एक रंग में करा दिया जाता है। इसका लाभ यह है कि रूट पर वाहनों की संख्या निर्धारित रहती है और एक रूट का वाहन दूसरे रूट पर नहीं चलाया जा सकेगा।

क्यों पड़ी जरूरत?

शहर में ज्यादातर रूट्स पर अवैध ऑटो और ई-रिक्शा का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है। आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस वाहनों की जांच शुरू करते हैं तो वाहन चालक रूट ही बदल देते हैं। इसके चलते दूसरे रूट पर जाम की समस्या रहती है। इन दिक्कतों को देखते हुए शहर के प्रमुख मार्गो पर कलर कोडिंग की जरूरत महसूस की गई।

कमिश्नर ने कसे आरटीओ के पेंच

कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने शहर में अवैध वाहनों पर नकेल न कसने के लिए आरटीओ के पेंच टाइट किए हैं। उन्होंने परिवहन विभाग के अफसरों को 15 दिन के भीतर चौराहों की कलर कोडिंग करने और अवैध वाहनों को बाहर करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा न होने पर संबंधित अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

यह हैं शहर के प्रमुख रूट

- लंका से कैंट रेलवे स्टेशन

- लंका से गोदौलिया

- लंका से सुंदरपुर-लहरतारा

- गिरजाघर से लहुराबीर

- लहुराबीर से कचहरी

- मैदागिन से कैंट और कचहरी

- कैंट से कचहरी

- कचहरी से पांडेयपुर-सारनाथ

फैक्ट फाइल

15

हजार से ज्यादा ई-रिक्शे शहर में

360

ई-रिक्शे हर घंटे गुजरते हैं गोदौलिया चौराहे से

12

हजार से ज्यादा ऑटो विभिन्न रूट पर

वर्जन

शहर में अवैध वाहनों पर नकेल कसने के लिए विभागीय अफसरों को निर्देश दिए हैं। रूट पर वाहनों की संख्या निर्धारण और निगरानी बेहद जरूरी है। जाम लगने पर संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

दीपक अग्रवाल, कमिश्नर वाराणसी