-शहर में चार ऑटोमेटिक सिग्नल के हिसाब से नहीं चल पा रहे वाहन

- लाल पर चलते और हरे पर रुकते देखे जा रहे वाहन

-चौराहा चलाने में कन्फ्यूज हो जा रहे हैं जवान

लाल मतलब रुको और हरा मतलब आगे बढ़ो, प्राइमरी क्लासेज में ही बच्चों को यह सिखाया जाता है। मगर अपने शहर की सड़कों पर गौर करें तो पता चलेगा कि रंगों की भाषा समझने में ट्रैफिक पुलिस या तो कमजोर है या फिर वाहनों के दबाव के कारण वे उन पर कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं। शहर के चार चौराहों पर लगे ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिग्नल के हिसाब से यहां का यातायात चल नहीं पा रहा है। जरूरत है कि जनता से पहले लाल-हरा का ककहरा पहले ट्रैफिक पुलिस को सिखाया जाए।

बिना ट्रेनिंग शुरू करा दिए सिग्नल

लगभग महीना भर पहले शहर में मलदहिया, साजन, सिगरा और रथयात्रा चौराहे पर ऑटोमेटिक सिग्नल शुरू करा दिए गए। चारों सिग्नलों की टाइमिंग पिछले चौराहे से ट्रैफिक छूटने के हिसाब से सिन्क्रोनाइज की गई थी। हालांकि दिक्कत यह हुई कि ट्रैफिक के जवानों को सिग्नल के साथ चौराहे के संचालन की ट्रेनिंग नहीं दी गई। नतीजा जनता को ही नहीं, खुद ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को भी भुगतना पड़ रहा है।

लाल-हरा में बन रहे घनचक्कर

इन चारों चौराहों का हाल देखें तो ग्रीन सिग्नल पर चल रहे ट्रैफिक को ऑरेंज के बाद रेड सिग्नल होते ही रुकने में ज्यादा समय लग जा रहा है। ऐसे में 40 सेकेंड बाद दोबारा ग्रीन सिग्नल होने पर ट्रैफिक चलता रह जा रहा है। ऐसे में ट्रैफिक की टाइमिंग गड़बड़ा रही है और यातायात पुलिसकर्मी लाल-हरा के चक्कर में खुद घनचक्कर बन जा रहे हैं।

इसीलिए बंद कराया था सिग्नल

साल-2013 में शहर के 16 चौराहों पर एक साथ सोलर लाइट शुरू की गई थीं। हालांकि तत्कालीन एसएसपी ने सप्ताहभर बाद मुआयना किया तो उन्हें चौकाघाट चौराहे पर वही लाल लाइट पर चलना व हरे पर रुक जाने की समस्या दिखी। लगभग आधे घंटे तक चौराहे पर रुककर उन्होंने हाल देखा था इसके बाद शहर के यातायात को मैनुअल ढंग से ही चलाने के निर्देश दिए थे।

वर्जन--

चारों चौराहों पर तैनात जवानों को कुछ दिक्कत आ रही है। इसका कारण यह भी है कि सिग्नल की टाइमिंग सेट नहीं हो सकी है। सभी चौराहों पर सिग्नल शुरू होते ही इस समस्या का समाधान हो जाएगा।

आनंद कुलकर्णी, एसएसपी वाराणसी