- दरोगा के कहने पर सिपाही ने खोली थी हथकड़ी

- चार पुलिस कर्मचारियों पर मुकदमा, किए गए गिरफ्तार

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में दरोगा और सिपाहियों को चकमा देकर भागे शातिर बदमाश शाका पांडेय के खिलाफ 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया गया है। गोरखपुर जिले की पुलिस के साथ-साथ देवरिया पुलिस की टीम उसकी तलाश में जुटी है। शातिर के भागने के मामले में दरोगा और तीन सिपाहियों के खिलाफ गुलरिहा थाना में मुकदमा दर्ज कराया गया। गुलरिहा पुलिस ने चारों को अरेस्ट कर लिया है। अभियुक्त के फरार होने के बाद इस बात की चर्चा रही कि दरोगा के कहने पर सिपाहियों ने हथकड़ी खोली थी। कमर में गोली लगने से घायल बदमाश ने कहा कि वह कैसे भाग पाएगा। उसकी बातों में आकर पुलिस ने हथकड़ी निकाल दी। एसएसपी शलभ माथुर ने घटना की जानकारी ली। उनके निर्देश पर पुलिस की टीम बदमाश की तलाश में जुटी है।

महकमे में हड़कंप

17 अगस्त को देवरिया जिले के भाटपाररानी में पुलिस मुठभेड़ के दौरान बरहज, फुलवरिया निवासी शाका पांडेय पकड़ा गया था। पुलिस मुठभेड़ के दौरान उसने कांस्टेबल अखिलेश यादव के पेट में गोली मार दी थी। पुलिस की गोली लगने से शाका घायल हो गया। इलाज के लिए देवरिया जिला अस्पताल से उसे बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। रविवार रात नेचुरल कॉल के बहाने वह टॉयलेट में घुसा। पीछे की टूटी खिड़की के सहारे फरार हो गया। आधे घंटे तक वह बाहर नहीं निकला तो सिपाही ने दरवाजा खटखटाया। भीतर से कोई आवाज न आने पर मालूम हुआ कि शाका गायब है। तीन दिन से वह उसी टॉयलेट को यूज कर रहा था। पुलिस का मानना है कि भागने के लिए उसने रेकी कर ली थी। शाका के कमर में फंसी गोली निकालने के लिए सोमवार को ऑपरेशन की तैयारी थी। वार्ड नंबर तीन से फरार हुए बंदी के मामले में भाटपाररानी प्रभारी रविंद्र कुमार रवि की तहरीर पर एसआई तसरीफ अहमद, कांस्टेबल शिवेंद्र चौधरी, मनीष रौनियार और रवि सिंह के खिलाफ लापरवाही बरतने का मामला दर्ज करके गुलरिहा पुलिस ने गिरफ्तार किया। बाद में चारों को निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया। एक दरोगा और तीन सिपाहियों की कस्टडी से बदमाश के भागने की घटना से पुलिस महकमा हिल उठा है। बदमाश की तलाश में क्राइम ब्रांच, गुलरिहा पुलिस के अलावा देवरिया की पुलिस टीम को लगाया गया है।

हथकड़ी खुली तो मुसीबत, बांध के रखी तो आफत

बीआरडी मेडिकल कॉलेज से शातिर बदमाश के फरार होने के बाद हथकड़ी खोलने और बांधने को लेकर चर्चा होती रही। तीन दिन से बंदी की तीमारदारी कर रही पुलिस ने हथकड़ी खोलकर बड़ी गलती कर दी। हथकड़ी खुलते ही बदमाश खिड़की से निकलकर भाग गया। बदमाश की फरारी से पुलिस की खूब किरकिरी हुई। गुलरिहा प्रभारी ने सभी को निजी मुचलके पर छोड़ने की तैयारी कर ली। लेकिन बाद में दरोगा और सिपाहियों को गिरफ्तार करने का निर्देश जारी होने पर उनको हिरासत में ले लिया गया। सीनियर ऑफिसर्स का मानना है कि दरोगा और सिपाहियों की वजह से बदमाश फरार हुआ है। विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि किसी भी व्यक्ति को हथकड़ी पहनाकर नहीं रखा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में गाइड लाइन जारी की है। लेकिन पुलिस अपनी सुविधा के अनुसार बदमाशों को हथकड़ी पहना देती है।

हाल में फरार हुए बंदी

19 अगस्त 2018: बीआरडी मेडिकल काॉलेज से देवरिया का शातिर बदमाश शाका फरार। टॉयलेट के बहाने भागा।

29 जुलाई 2018: जेल गेट पर सिपाहियों से हाथ छुड़ाकर झंगहा का संदीप त्रिपाठी फरार हुआ। छह अगस्त को दोबारा किया गया अरेस्ट।

29 अप्रैल 2018: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती बस्ती जिले का अब्दुल फरार हो गया। उसे रेप के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

30 जुलाई 2017: खोराबार के रानीबाग स्थित राजकीय संप्रेषण गृह में झगड़े के बाद आठ बाल बंदी रक्षक फरार हो गए।

11 जुलाई 2016: सेशन न्यायालय में पेशी पर गया दहेज हत्या का आरोपित बिट्टू यादव फरार हो गया था।

वजर्न

हथकड़ी पहनाने से व्यक्ति की मानवीय गरिमा, सम्मान और सार्वजनिक प्रतिष्ठा नष्ट हो जाती है। हथकड़ी पहनाकर गिरफ्तार व्यक्तियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना अमानवीय, अपमानजनक और उत्पीड़क है। इससे मानवाधिकारों का हनन होता है। व्यक्ति की मानवीय गरिमा धूल-धूसरित हो जाती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हथकड़ी पहनाने पर रोक लग गई थी।

- ओंकार नाथ भट्ट, अधिवक्ता, सिविल कोर्ट