अपराध का रूप
हाल के दिनों में रंगदारी एक संगठित अपराध का रूप ले चुका है। जेल में बैठे कुख्यात बदमाश शहर में किसी को भी फोन कर भारी-भरकम रकम की डिमांड करते हैं। व्यापारी चुपचाप बताई गई जगह पर रकम पहुंचाने के सिवा कुछ नहीं कर पाता। बदमाश ये हिदायत पहले ही दे देते हैं कि अगर पुलिस को बताया तो भुगत लेंगे। बबीता चौधरी के पति मनोज यादव के हवालात से प्रेस कांफ्रेंस करने के बाद ये साफ हो गया है कि रंगदारी का कारोबार अब भी धड़ल्ले से चल रहा है। एक पूरी की पूरी चेन काम कर रही है। हर बदमाश के अपने टारगेट हैं। इनमें हिस्सेदारी बंटती है। इस खुलासे ने शहर के लोगों में दहशत पैदा कर दी है तो पुलिस के कान खड़े कर दिए हैं।

क्या है चैनल
ये हैरत की बात है कि जेल में बंद बदमाश किस तरह रंगदारी मांगता है। दरअसल इस काम के लिए बदमाश अपने गुर्गों का सहारा लेता है। जेल में मिलाई के दौरान या फिर कचहरी में पेशी के दौरान सारी बातचीत होती है। नामी बदमाशों के शूटर या ऐसे लोग जिनका आपराधिक इतिहास नहीं है चैनल का काम करते है। चैनल के जरिए ही सारी फिक्सिंग होती है।

कुछ ऐसे सेट होता है टारगेट
जेल में बैठे बदमाश अपने गुर्गों के जरिए शहर के कुछ सॉफ्ट टारगेट्स की तलाश करवाते हैं। टारगेट सेट करने से पहले ये देख लिया जाता है कि कहीं कोई लोचा तो नहीं है। मसलन टारगेट को किसी अन्य बदमाश का संरक्षण तो प्राप्त नहीं है। अगर ऐसा होता है तो बदमाश टारगेट पर हाथ नहीं डालता। टारगेट सेट करते वक्त उसके बारे में सारी जानकारी जुटाई जाती है। जैसे टारगेट के घर में कौन-कौन है। उसकी कमजोरी क्या है। बदमाश और गुर्गे के बीच जेल में मिलाई के दौरान या कचहरी में पेशी के दौरान बातचीत होती है। आमतौर पर पर्चियों पर कोड लेंग्वेज में लिखकर बात हो जाती है। गुर्गा इशारा समझते ही टारगेट से संपर्क करने में जुट जाता है।

रकम मांगने की बारी
टारगेट सेट होने के बाद रकम मांगने की बारी आती है। इसके लिए गुर्गा बदमाश का नाम लेकर फोन करता है। फोन पर टारगेट को तरह-तरह से धमकाया जाता है। उसे रकम बताई जाती है। ये साथ में बता दिया जाता है कि अगर पुलिस को खबर की तो अंजाम बुरा होगा। टारगेट को रकम पहुंचाने की जगह भी बताई जाती है।

कहां पहुंचती है रकम
ये कैरियर की जिम्मेदारी होती है कि वो रकम बदमाश के घर तक पहुंचाए। कई बार तो बदमाश सीधे टारगेट को फोन कर घर पर रकम पहुंचा देने की बात कर लेते हैं। मिलाई के दौरान या पेशी पर आते वक्त बदमाश तक रकम पहुंचा दी जाती है। जेल में उसका खर्च इसकी रंगदारी की रकम से चलता है।

पुलिस पर कैसे करें भरोसा
धमकी भरी कॉल आने पर व्यापारी दहशत से भर जाता है। वो चुपचाप पैसे पहुंचा देता है। बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो शिकायत करने की हिम्मत जुटा पाते हैं। पुलिस भी ऐसे मामलों में सिर्फ खानापूरी करती नजर आती है। व्यापारी को सुरक्षा दिलाने में कई-कई दिन लग जाते हैं। यहां कि सुरक्षा के लिए हथियार का लाइसेंस लेने की प्रक्रिया भी बड़ी जटिल है।

पुलिस पर लोगों का विश्वास कम होता जा रहा है। हम पुलिस से चाहते हैं कि वो रंगदारी के केस जल्द वर्कआउट करे। व्यापारियों में विश्वास पैदा करे। अगर पुलिस पहले ही एक्टिव रहेगी तो ऐसी घटनाएं नहीं होंगी।
सर्वेश सर्राफ, महामंत्री, मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन

रंगदारी के मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाती है। पुलिस ऐसी घटनाओं को लेकर काफी गंभीर है। बदमाशों को चिन्हित किया जा रहा है। उन पर पुलिस कड़ी निगरानी रखे हुए है। व्यापारी बदमाशों से बिल्कुल भी दहशत में न आएं।
के सत्यनारायण, एसएसपी