जीना है, तो मान लो बात

उनकी यहां से भी चलती है और चलती रहेगी। जेल से ही बैठे-बैठे किसी का मर्डर, किडनैपिंग या फिर रंगदारी वसूल सकते हैं। कुख्यात अजय वर्मा ने जेल से एक बिल्डर को धमकाकर और रंगदारी मांग जेल प्रशासन और पुलिस को चैलेंज तो कर ही दिया है.अजय वर्मा पटना सिटी इलाका दहशत। धीरे-धीरे पूरे शहर में उसका राज होने लगा। हर इलाके में उसके लोग बन गए। पिछले साल कुख्यात अशोक गुप्ता की हत्या मामले में उसे गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल बेऊर जेल में बंद अजय वर्मा इन दिनों फिर सुर्खियों में है।

सलामती के लिए पुलिस से हेल्प

दरअसल, एक बिल्डर से तीन करोड़ की रंगदारी मांगने के मामले में उसका नाम आया है। जक्कनपुर थाने में जितेन्द्र कुमार नाम के बिल्डर ने मामला दर्ज कराकर अपनी जान की सलामती के लिए पुलिस से हेल्प मांगी है। जितेन्द्र का बहादुरपुर थाना के महावीर कॉलोनी में कंस्ट्रक्शन वर्क चल रहा है। उस जमीन का पहले से अग्रीमेंट था, जो फेल हो गया था। इसके बाद इस मामले में अजय वर्मा ने जेल से धमकी देनी शुरू कर दी। जितेन्द्र ने जो नम्बर पुलिस को दिया, वह नम्बर पुलिस के पास पहले से था। किसी और भी उसने इसी नम्बर से रंगदारी मांगी थी। अजय वर्मा की हरकतों से लगता है कि वह जेल में सजा नहीं काट रहा, बल्कि आराम फरमा रहा।

गवाही दी, तो जान ले लेंगे

अपने शहर में रंगदारों की चलती कम नहीं हो रही है, फिर चाहे बाहर रहे या जेल के अंदर। दानापुर का मक्खन गोप इसका एग्जाम्पल है। कुछ महीने पहले ही उसने दो लाख की रंगदारी मांगी। जेल भी गया और अब जेल के अंदर से अपने केस के गवाहों को धमका रहा। दहशत का आलम यह है कि गवाह तो पुलिस के पास जान बचाने की गुहार लेकर पहुंच रहे। गुरुवार को टिंकू नाम का युवक सीनियर एसपी दरबार में पहुंचकर सारी दास्तान सुनाई। मक्खन बेऊर जेल में बंद है।

जेलर है, तो क्या हुआ?

कुख्यात बिन्दू सिंह को अगर जेल में भी किसी ने आंखें दिखाई, तो जान से हाथ धोना पड़ सकता है, यह सच्चाई है। कुछ महीने पहले बेऊर जेल के जेलर अमरजीत सिंह के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था। जेल में बिन्दू सिंह से बहस करने का नतीजा हुआ कि जेल के गेट पर क्रिमिनल्स ने गोलियां चला दी। भगवान का शुक्र रहा कि अमरजीत बच गए। दीपक दयाल ने गोली चलाई। वह बिन्दू सिंह का चेला है और फिलहाल जेल में बंद है। जेल में बंद इन अपराधियों को कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कहां है। उनका काम अगर किसी ने रोका, तो उसे सजा भुगतनी पड़ेगी। दीपक दयाल को हाल के दिनों में पटना पुलिस ने दो बार पकड़ा, एक बार तो वह छूट भी गया था।

पर, कुछ ऑप्शन तो हैं

पुलिस का काम क्रिमिनल्स को जेल भेजना है, लेकिन शहर के कुख्यात अपराधियों के लिए जेल तो आरामगाह बन गया है। वहां से वे बाहर की दुनिया से मोबाइल के जरिये अपना संबंध बनाये रखते हैं। बाहर उनके गुर्गे हर काम को अंजाम देने में जुटे हैं। इन बड़े अपराधियों को जेल भेजने के बाद तो पुलिस भी कुछ नहीं कर पाती। मानो पुलिस उनकी ऐसी करतूतों के आगे बेबस है।

जब होती है रेड, मिलते हैं मोबाइल

जेल से बाहर की दुनिया का कनेक्शन रोकने की कोशिश बेकार साबित होती रही है। जब भी जेल प्रशासन या फिर पुलिस की ओर से रेड की जाती है, काफी संख्या में मोबाइल जब्त किए जाते हैं। कभी जमीन में गाड़कर, तो कभी कपड़े से मोबाइल जब्त होते हैं। ऐसे में जेल के अंदर सबकुछ ठीक नहीं, यह बात समय-समय पर बाहर आती रहती है। जेल के अंदर कई बार तो नशे का समान पहुंचाते कुछ पुलिसवाले भी पकड़े गए हैं। इसके अलावा जेल में मोबाइल फेंकने का भी पुरानी परंपरा अभी भी जारी है।

हो सकता है बेल कैंसिलेशन

जेल में कैद इन अपराधियों के खिलाफ पुलिस आखिर कर क्या सकती है। एक तो यह कि जल्द से जल्द ट्रायल कराकर उनकी सजा मुकर्रर करवाई जाए। दूसरी अब पुलिस हेडक्वार्टर के स्तर पर ऐसे अपराधियों पर बेल कैंसिलेशन के लिए रिकमेंडेशन। पटना हाईकोर्ट में इसके खिलाफ यह साबित करना पड़ता है कि ये लोग जेल में रहकर बेल की शर्तों का वायलेट कर रहे। इसके अलावा कुछ खास अपराधियों पर सीसीए(क्राइम कंट्रोल एक्ट) लगाकर उन्हें रोक सकती है। हालांकि क्रिमिनल्स की इन हरकतों ने यह साबित कर दिया है कि इन सबके बावजूद इनके बाहरी कनेक्शन को रोक पाना मुश्किल है, ऐसे में स्थिति विस्फोटक हो सकती है।

मेडिसिन का कमीशन इसकी जेब में

अजय वर्मा को अशोक गुप्ता की हत्या मामले में बांस बेरिया, हुबली कोलकाता से गिरफ्तार किया गया था। अपनी फैमिली के साथ वह वहां शिफ्ट कर गया था। पत्नी और दो बच्चे। पटना से दूर, मगर काम कुछ वैसा ही। वहां भी अपराधियों के गिरोह के साथ मिलकर अपना काम कर रहा था। जिस दिन पुलिस ने उसे पकड़ा, उसके साथ वहा का एक चोर भी पकड़ा गया, जिसके बाद वहां चोरी के मामले का खुलासा हुआ। अजय वर्मा ने पुलिस के सामने अपनी एक अलग किस्म की आमदनी का खुलासा किया पुलिस भी चौक पड़ी। दरअसल, पटना सिटी इलाके के कई डॉक्टर उसके कहने पर मेडिसिन कंपनी की दवाएं लिखते थे, जिसका कमीशन अजय को मिलता था। पुलिस को उसने बताया कि लाख दो लाख तो उससे ही आ जाता है। अजय को जब पटना पुलिस की टीम अरेस्ट किया, तब वह अपना फर्जी वोटर आईडी कार्ड बनवाने कोलकाता में स्कूल में पहुंचा था जहां पहले से कैम्प लगा था।  

जेल से धमकी देने या रंगदारी मांगने के जितने मामले आए हैं, उसमें उन क्रिमिनल्स को रिमांड पर लेकर पूछताछ होगी। अजय वर्मा को भी रिमांड पर लेंगे। जेल में लगातार छापेमारी की प्लानिंग भी कर रहे हैं। सुपरिटेंडेंट से भी सवाल करने होंगे कि इस तरह की एक्टिविटी आखिर क्यों नहीं रुक पा रही है.मनु महाराज, सीनियर एसपी

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