कोर्ट से लगती है पेशी की डेट

जेल में बंद कैदियों की डेट कोर्ट से तय होती है। डेट की लिस्ट पहले से ही कोर्ट से पुलिस लाइन व जेल में भेज दी जाती है। पुलिस लाइन से रास्ते में बंदियों की सिक्योरिटी के लिए गारद लगाई जाती है। गारद की ही जिम्मेदारी होती है कि वह बंदी को सही सलामत जेल से कोर्ट व कोर्ट से जेल पहुंचाए।

पुलिस वैन ले जाती है

जेल से कोर्ट में पेशी के लिए बंदियों को पुलिस वैन ले जाती है। साधारण व शातिर बंदियों को अलग-अलग वैन में ले जाया जाता है। साथ ही लोअर व सेशन कोर्ट में पेश होने वाले बंदियों को अलग-अलग वैन में ले जाया जाता है। पुलिस लाइन से जो भी गारद लगाई जाती है, उसमें तैनात कुछ पुलिसकर्मी वैन के अंदर रहते हैं और कुछ पुलिसकर्मी वैन के आगे व पीछे सिक्योरिटी के लिए चलते हैं।

कोर्ट लॉक में रखा जाता है

जेल से कोर्ट में पेश करने से पहले बंदियों को कोर्ट लॉकअप में रखा जाता है। यहां भी शातिर व साधारण बंदियों के लिए अलग-अलग लॉकअप बने हुए हैं। बंदियों की सिक्योरिटी में लगे पुलिसकर्मियों की ड्यूटी भी उन्हें अलग-अलग कोर्ट में पेश करनी होती है। जिस बंदी का टाइम कोर्ट में आता है, उसी बंदी को पुलिसकर्मी कोर्ट में पेशी के लिए ले जाते हैं।

ऐसे होता है खेल

पेशी के दौरान ही सारा खेल होता है। कोर्ट में पेशी के बाद बंदी को कोर्ट लॉकअप में बंद करना होता है लेकिन इस बीच डयूटी पर लगे पुलिसकर्मी लालच में आकर बंदियों को खुली छूट दे देते हैं। बंदियों को इस दौरान पूरी छूट होती है, वे चाहे जो भी खाए या कहीं भी बैठे। यही नहीं इस दौरान वह किसी से भी आसानी से मिल सकता है।  

Hotel में होती है मुलाकात

सूत्रों की मानें तो कोर्ट के पास एक होटल है जिसमें बंदियों को हर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। हालांकि कानूनन बंदी को हथकड़ी नहीं लगायी जा सकती है लेकिन उसके   शातिर होने पर उसे हथकड़ी लगायी जा सकती है। हथकड़ी न लगाने पर बंदी को पकड़कर रखना होता है। पुलिसकर्मियों की कम संख्या पर बंदी के हाथ में ऊपर रस्सी बांधी जाती है। लेकिन इसे पुलिसकर्मियों की मिली भगत   कहें या लापरवाही, बंदी खुलेआम टहलते हुए दिख जाएंगे।

खाने-पीने की भी सुविधा

पेशी के दौरान बंदियों को लाने वाले पुलिसकर्मियों की होटल से भी सेटिंग होती है। यही नहीं जो बंदी पैसे वाला या बाहुबली होता है उसे  अलग स्थान पर भी मिलाया जा सकता है। पेशी के दौरान लाए गए बंदियों ने भी इस बात को स्वीकार किया है। वहीं जो बंदी पैसा नहीं खर्च कर सकते, उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। ऐसे बंदियों के फैमिली मेंबर्स से भी मिलने के दौरान कानूनी प्रक्रिया का हवाला दिया जाता है।

गारद की जिम्मेदारी

बंदियों की सिक्योरिटी के लिए पुलिस लाइन से गारद लगायी जाती है। वैसे तो एक बंदी पर दो सिपाहियों की ड्यूटी लगनी चाहिए। लेकिन पुलिसकर्मियों की कम संख्या के चलते जरूरत के हिसाब से गारद लगायी जाती है। गारद में रिजर्व पुलिस लाइन के सिपाहियों को लगाया जाता है। इसमें सिविल इमरजेंसी रिजर्व व आम्र्ड इमरजेंसी रिजर्व के पुलिसकर्मी होते हैं।

कई बार भाग चुके हैं बंदी

कई बार बंदी पेशी के दौरान भाग भी चुके हैं, बावजूद इसके पुलिसकर्मी लालच में आकर लापरवाही बरतते हैं। कुछ माह पहले ही जिला जेल से चंद कदम की दूरी पर चोरी के आरोप में पकड़े गए दो बंदी भागने में कामयाब हो गए थे। उन्हें पुलिसकर्मी कोर्ट से जेल लेकर जा रहे थे। यही नहीं लास्ट ईयर बरेली जेल से पीलीभीत में पेशी के दौरान ले गए बंदी भागने में कामयाब हो गए थे। हर बार सिर्फ पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया गया।

DGP ने जारी किए सख्त निर्देश

बरेली के साथ-साथ प्रदेश में अलग-अलग जगह बंदियों के भागने की घटनाएं सामने आयी हैं। यही नहीं पुलिसकर्मियों की लापरवाही भी देखने को मिली हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए अपराधियों पर लगाम कसने व पेशी के दौरान अपराधियों व पुलिसकर्मियों पर निगरानी रखने के लिए डीजीपी ने सख्त निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों का जल्द से जल्द पालन कराने के लिए भी कहा गया है।

फायदा उठाते हैं अपराधी

डीजीपी के पत्र में कहा गया है कि अक्सर देखने में आया है कि पुलिस अधिकारियों या कर्मचारियों को इसकी जानकारी नहीं हो पाती है कि कौन सा अपराधी जेल में है और कौन से जेल से छूट गए है। यही नहीं जेल से पेशी के लिए डिस्ट्रिक्ट व अदर डिस्ट्रिक्ट में कब गया या फिर कब उसका दूसरी जेल में ट्रांसफर हुआ, इसका भी पता नहीं चल पाता। इसके चलते अपराधी पर समय रहते उचित व सख्त कार्रवाई नहीं हो पाती है। इसका फायदा अपराधी जेल के अंदर या पेशी के दौरान  उठाता है। अक्सर यह भी देखने में आया है कि कोर्ट में पेशी के दौरान सिक्योरिटी में लगे पुलिसकर्मियों की मिलीभगत या लापरवाही के चलते अपराधी उन स्थानों पर जाते हैं या ऐसे लोगों से मिलते हैं। जो कानून के खिलाफ है। इसी के चलते इस पर लगाम कसना बहुत जरूरी है। इसके लिए निम्न निर्देशों का पालन जरूरी है।

Data of criminals

एसएसपी या एसपी अपने जिला जेल में सभी सक्रिय व पेशेवर अपराधियों की सूची जेल अधीक्षक से प्राप्त करेंगे। इन अपराधियों की सूची एटीएस और एसटीएफ के ईमेल आईडी पर प्रोवाइड कराएं। एटीएस व एसटीएफ इन पर निगरानी रखेगी। डिस्ट्रिक्ट जेल से छूटे सभी अपराधियों का डिस्ट्रिक्ट में डाटा रखा जाएगा। डाटा के लिए क्राइम ब्रांच का एक   पुलिसकर्मी डिस्ट्रिक्ट व सेंट्रल जेल के अधीक्षक से सभी छूटे कैदियों की सूची लेगा। इस सूची में से छूटे सक्रिय अपराधियों की जानकारी एसएसपी या एसपी को गेटवे एसएमएस के माध्यम से अपने व संबंधित अन्य जिले के सभी थानाअध्यक्षों, सीओज, एसटीएफ व एटीएस को देंगे।

Gateway SMS से दें जानकारी

यही नहीं एक जेल से दूसरे जेल में ट्रांसफर के दौरान इन सबका ध्यान रखना होगा। हालांकि ट्रांसफर शासन के द्वारा किया जाता है। ट्रांसफर के बारे में जेल अधीक्षक को उस डिस्ट्रिक्ट के एसएसपी व जिस डिस्ट्रिक्ट में ट्रांसफर हो रहा है वहां के एसएसपी को इस बारे में सूचना देनी होगी। जब अपराधी ट्रासंफर के दौरान रवाना होगा तो एसएसपी को गेटवे एसएमएस के जरिए जिले के सभी सीओ, एसओ व एसटीएफ व एटीएस को इसकी जानकारी देनी होगी। यही नहीं जिस जेल में उसका ट्रांसफर होगा वहां के एसएसपी को भी यही प्रोसेस फालो करना होगा।

पेशी के दौरान रखें ध्यान

जब भी सक्रिय अपराधी पेशी के लिए डिस्ट्रिक्ट या अदर डिस्ट्रिक्ट की कोर्ट में जाएंगे तो इन सब बातों का विशेष ध्यान रखना होगा। अधिक सक्रिय अपराधियों की पेशी के दौरान आरआई को एसएसपी से विचार विमर्श कर जरूरत के हिसाब से पुलिसकर्मियों की ड्यूटी स्कार्ट में लगानी होगी और अपराधी को पुलिस वाहन से ही पेशी के लिए ले जाएंगे। यह एसएसपी के आदेश पर ही होगा। यही नहीं इस दौरान नशे के आदी पुलिसकर्मियों की ड्यूटी न लगायी जाए। ड्यूटी रोटेशन में ही लगायी जाए। जिस पुलिसकर्मी को एक बार पेशी में लगाया गया हो उसे दोबारा न लगाया जाए। जिस पुलिस वाहन में अपराधी को पेशी के लिए लेकर जाया जाए, उसमें सीसीटीवी या डीवीआर लगाया जाए। जेल से कोर्ट में पेशी पर ले जाने व वापस लाने तक रास्ते की पूरी रिकार्डिंग की जाए।