आमतौर पर गुलजार रहने वाली टोक्यो सिटी में चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ है. जिन सुशी और नूडल्स की दुकानों पर हमेशा भीड़ रहती थी, उनमें एक आदमी भी नहीं जा रहा. कई स्कूल बंद कर दिए गए हैं. यहां तक कि कई कंपनीज ने अपने वर्कर्स को छुïट्टी दे दी है ताकि वे रेडिएशन से बचने के लिए घरों के अंदर रहें.

टोक्यो से 240 किमी दूर फुकुशिमा प्रांत पर बरसे कहर और उसके बाद रेडिएशन के बढ़ते खतरे के असर से इस महानगर के कई इलाके भूतों के डेरों जैसे लग रहे हैं. खासकर वे इलाके जहां गवर्नमेंट या प्राइवेट कंपनीज के ऑफिस हैं.

देश छोडक़र जाने की होड़

एयरपोर्ट पर लंबी कतारें लगी हुई हैं. रेडिएशन से बचने के लिए शहर छोडक़र जाने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है. जो रह गए हैं वे डिपार्टमेंटल स्टोर के सेल्फ में जीवन के लिए जरूरी सामान ढूंढ रहे हैं. ऐसा लग रहा है जैसे दुनिया के सबसे बड़े और घने शहरों में शुमार टोक्यो सहम कर अपनी खोल में बंद हो गया है.

कुछ मिनटों में सवारी लेने के आदी एक टैक्सी ड्राइवर ने कई घंटे इंतजार के बाद मायूस होकर कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे आज रविवार हो. शहर में कारों की भागदौड़ नहीं है. मेरी तो आज की दिहाड़ी गई.

तेज हवाओं ने रेडिएशन के खतरे को कई गुना बढ़ा दिया है. हालांकि अभी सामान्य से तीन गुना ज्यादा रेडिएशन है जो इंसानी जीवन के लिए खतरनाक नहीं माना जाता है. इसके बावजूद शहरवासियों का डर दूर नहीं हो रहा. 

अपनी जापानी पत्नी के साथ दिसंबर में टोक्यो पहुंचे अमेरिकी स्टीवन स्वांसन कहते हैं, ‘रेडिएशन तेजी से फैलता है. यहां बहुत डर लग रहा है. भूकंप, सुनामी और न्यूक रेडिएशन के ट्रिपल शॉक के बाद तो यही सवाल उठता है कि इसके बाद क्या होगा?’ फैमिली के साथ घर में बंद स्वांसन चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी यह शहर छोड़ दिया जाए.

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