- जेआर-3 के शुरू हो गए पेपर, जेआर-1 अभी तक आए ही नहीं

- 100 से ज्यादा जूनियर डॉक्टर्स हुए कम, मरीजों के इलाज पर संकट

KANPUR: जूनियर डॉक्टर्स के भरोसे चल रहे मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध अस्पतालों में जूनियर डॉक्टर्स का ही संकट खड़ा हो गया है। दरअसल पीएमएस डॉक्टर्स के पीजी सीटों पर कोटा बढ़ाने के बाद शुरू हुए विवाद का असर जल्द ही मेडिकल कॉलेज में मरीजों के इलाज पर भी पड़ेगा। क्योंकि यहां जूनियर डॉक्टर्स का संकट खड़ा हो गया है। पीजी सीटों की दोबारा काउंसिलिंग के बाद जेआर-1 के ज्वाइन नहीं करने से यह समस्या खड़ी हुई है। इसके अलावा जेआर-3 का भी कोर्स पूरा होने की वजह से संकट और गहरा गया है।

ऐसे आई समस्या

यूपीपीजीएमई काउंसिलिंग के बाद जून या जुलाई तक नए जेआर-1 मेडिकल कॉलेज में आ जाते हैं। इस साल भी यही हुआ था, लेकिन ऐन मौके पर कोर्ट के पीजी सीटों में पीएमएस डॉक्टर्स के नंबर्स में 21 नंबर बढ़ाने के बाद विवाद हो गया। कई जगह जूनियर डॉक्टर्स ने स्ट्राइक भी कर दी। लेकिन कोर्ट के सख्त रवैये की वजह से दोबारा काउंसिलिंग हुई। अगर सिर्फ जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की बात करें तो अभी तक ज्यादातर जेआर-1 ने ज्वाइन ही नहीं किया है। उधर जेआर-3 के भी फाइनल टर्म के एग्जाम शुरू हो गए हैं तो उनका भी ध्यान अब इलाज की तरफ कम हो गया है। ऐसे में सीधा असर मरीजों के इलाज पर पड़ता दिखाई दे रहा है।

इलाज में आएगी दिक्कत

हैलट, अपर इंडिया जच्चा बच्चा हॉस्पिटल, बालरोग अस्पताल, चेस्ट हॉस्पिटल में प्रमुख रूप से इमरजेंसी व अन्य ओपीडी को चलाने में जूनियर डॉक्टर्स का अहम योगदान होता है। हैलट, अपर इंडिया और बालरोग विभाग की इमरजेंसी में तो सारा काम ही जेआर के भरोसे रहता है। इसके अलावा एनआईसीयू व आईसीयू में भी जूनियर डॉक्टर्स परमानेंट ड्यूटी पर रहते हैं। ऐसे में जूनियर डॉक्टर्स की कमी से रोजाना आने वाले हजारों मरीजों का इलाज प्रभावित होने लगा है।

इंटर्नशिप भी हो रही पूरी

ऐसा नहीं है कि मेडिकल कॉलेज में सिर्फ जूनियर डॉक्टर्स का ही संकट है बल्कि इमरजेंसी व अन्य विभागों में इंटर्नशिप करने आने वाले एमबीबीएस फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स की इंटर्नशिप भी आखिरी दौर में है। पैरामेडिकल स्टॉफ की कमी से जूझ रहे मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध अस्पतालों में इनके होने से काफी मदद मिलती थी। ऐसे में इनके कोर्स पूरे होने से भी कई मुश्किले पेश आएंगी।

जीएसवीएम में पीजी की इतनी सीटें

एमडी- 45

एमएस- 41

पीजी डिप्लोमा- 19

कुल सीटें- 105

हर साल आने वाले जेआर-105

जेआर की कमी नहीं है। जेआर-1 जल्दी ज्वाइन कर लेगे। जेआर-3 के एग्जाम रूटीन है। रिजल्ट आने तक उनकी डयूटी लगती रहेगी। कंसल्टेंट व सीनियर रेजीडेंट की पर्याप्त संख्या है ऐसे में इलाज प्रभावित नहीं होगा।

- प्रो। आरसी गुप्ता, एसआईसी, एलएलआर हॉस्पिटल