- होटल संचालकों से नहीं उठ रहा खर्चा

- रेंट पर दे रहे होटल्स

आगरा। टूरिज्म की दृष्टि से देश की सबसे महत्वपूर्ण सिटी आगरा में ही टूरिज्म से जुड़ी सबसे नजदीकी इंडस्ट्री पर संकट छाया हुआ है। आगरा में होटल्स का संचालन दिन ब दिन इतना मुश्किल होता जा रहा है कि अब होटल्स रेंट पर भी संचालित होने लगे हैं। होटल संचालक इसका खर्चा नहीं उठा पा रहे और जिस तरह गाडि़यां, मकान किराए पर दिए जाते हैं वैसे ही शहर में होटल भी किराए पर दिए जाने लगे हैं। कोई भी इच्छुक व्यक्ति मोटी रकम में किराया देकर सेट जगह पर होटल चला सकता है।

30 परसेंट होटल किराए पर

इस समय आगरा में 30 परसेंट होटल किराए पर संचालित हो रहे हैं। शहर में करीब 500 होटल्स हैं जो दो कैटेगिरी में बंटे हैं, लग्जरी टैक्स देने वाले और नहीं देने वाले होटल्स। इनमें लग्जरी टैक्स देने वाले होटल्स की संख्या 135 तक है। लग्जरी टैक्स उस होटल को देना होता है जिसका रेंट एक हजार रुपए से ज्यादा है। होटल संचालकों द्वारा इस सीमा को बढ़ाए जाने को लेकर मांग भी की जा रही है, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।

होटल के स्टैंडर्ड के हिसाब से तय है किराया

यदि कोई होटल किराए पर लेना हो तो उसके स्टैंडर्ड के हिसाब से किराया तय होता है। उस होटल में कितने कमरे हैं और वहां तक ग्राहक की पहुंच कितनी है, इन सब बातों का ध्यान रखा जाता है। एक औसत होटल का मासिक किराया 80 हजार से 2 लाख रुपए तक हो सकता है। इस किराए के अलावा स्टाफ की सैलरी, बिजली के बिल और अन्य खर्चो को पूरे करने के बाद प्रॉफिट कमाना बहुत मुश्किल है। ताज की एंट्री के वीआईपी पूर्वी गेट रोड पर ही करीब 10 होटल किराये पर संचालित हो रहे हैं।

किराए पर चढ़े होटल्स में हो रहे हैं गलत काम

जो लोग होटल्स को किराए पर लेते हैं वे भी उसकी कॉस्टिंग निकालने के चक्कर में होटल में गलत काम कराना शुरू कर देते हैं। होटल संचालक संदीप अरोड़ा ने बताया कि पूर्व में जिन होटलों में वेश्वावृत्ति, जुआ खेलने जैसे काम पकड़े गए हैं, उनमें से 80 प्रतिशत होटल किराए पर संचालित थे। होटल संचालक प्रॉफिट कमाने के लालच में सही-गलत भी नहीं देखते। होटल इंडस्ट्री को स्मारकों के आस-पास चल रहे फर्जी पेइंग गेस्ट हाउस से भी नुकसान हो रहा है। बिना रजिस्ट्रेशन के कुछ लोग अपने घर को गेस्ट हाउस में तब्दील कर बेहद कम किराए पर पर्यटकों को कमरा दे रहे हैं जिससे पर्यटक होटल नहीं जाते।