Milestone in heart surgery
 ब्रह्मïानंदा नारायण मल्टीस्पेश्यलिटी हॉस्पिटल में सात दिनों के एक मासुम बच्चे का सफल ऑपरेशन कर उसे नई जिंदगी दी गई। डॉ परवेज आलम के लीडरशिप में हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने सात दिन के बच्चे का ऑपरेशन कर छाती से बाहर निकले दिल को अंदर किया। डॉ परवेज आलम ने कहा कि इस तरह के एबनार्मल को एक्टोपिया कॉर्डिंस कहते हैैं। दुनिया भर के एक अरब की पॉपुलेशन में आठ बच्चों में पाया जाता है। डॉक्टरों ने करीब छह घंटे के ऑपरेशन के बाद बाहर निकले दिल को बॉडी के अंदर किया।

कॉम्पलेक्स सर्जरी थी
ब्रह्मïानंद नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्टिपल के सीनियर कन्सल्टेंट कॉर्डियक सर्जन डॉ परवेज आलम ने बताया कि यह काफी कॉम्पलेक्स सर्जरी थी। इससे बच्चे के चेस्ट को ढंकने के लिए कॉर्डियक सर्जन्स के साथ-साथ प्लास्टिक सर्जन्स की हेल्प ली गयी। उन्होंने बताया कि इस तरह की सर्जरी में पेशेंट्स के बचने की संभावना सिर्फ 40 परसेंट ही रहती है। डॉ परवेज आलम ने बताया कि सेकेंड स्टेज की सर्जरी पांच महीने के बाद होगी।

 

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