बेटी को ब्लड कैंसर

कन्नौज निवासी अभिलाष मिश्रा पेशे से किसान है। घर में 14 साल की बेटी है, जिसे ब्लड कैंसर है। उन्होंने अपने खेतों में गेहूं बोया था, लेकिन बारिश की वजह से चार दिन पहले उन्हें समय से पहले फसल काटनी पड़ी। 10 बीघा खेत से उन्हें 5 क्विंटल गेहूं भी नहीं मिला। इस वजह से खेतों में ही उनकी हालत बिगड़ गई। परिजनों ने उन्हें पहले कन्नौज जिला अस्पताल में दिखाया जहां से उन्हें हैलट रेफर कर दिया गया। अभिलाष ने फसल बोने के समय काफी उधार लिया था। खेती से होने वाली आमदनी से ही उनकी बेटी का भी इलाज होता था। हैलट में उन्हें न्यूरो सर्जन डॉ। राघवेंद्र गुप्ता की यूनिट में आईसीयू में रखा गया है।

पड़ गया हार्टअटैक

बिल्हौर निवासी राम खिलावन के तीन बीघा खेत बटाई पर लेकर गेंहू बोया था। तीन दिन पहले जब उन्होंने फसल काटी तो उम्मीद से बेहद कम गेहूं निकला। इसके कुछ ही देर बाद उनकी हालत बिगड़ गई। बेटा रमेश उन्हें लेकर सीएचसी पहुंचा तो डॉक्टर्स ने उन्हें हार्टअटैक होने की पुष्टि की और कार्डियोलॉजी ले जाने के लिए कहा। कार्डियोलॉजी उन्हें तीन दिन से एनआईसीयू में रखा गया है। डॉक्टर्स के मुताबिक उन्हें एक साथ दो हार्टअटैक आए हैं।

बैंक से कर्ज लिया था

घाटमपुर के साढ़ चौकी इलाके में रहने वाले किसान कन्हैयालाल के 8 बीघा खेतों में अरहर बोई थी, लेकिन बारिश में सब खराब हो गई। उन्होंने दाल की बुआई के लिए 40 हजार रुपए का कर्ज बैंक से लिया था। लेकिन फसल खराब होने का उन्हें ऐसा सदमा लगा कि घर में रात को उन्हें हार्टअटैक आया। जिसके बाद परिजनों को आनन फानन में उन्हें कार्डियोलॉजी में भर्ती कराया।

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- बारिश की तबाही किसानों को पहुंचा रही अस्पताल

- कार्डियोलॉजी और हैलट में हार्टअटैक और ब्रेन हैमरेज के मामले बढे़

- पेशेंट्स की बढ़ी तादात से कार्डियोलॉजी में स्ट्रेचर पर करना पड़ रहा है इलाज

KANPUR: बारिश से खेतों में जो तबाही हुई है। वह सिर्फ किसानों को जान देने के लिए मजबूर ही नहीं कर रही है, बल्कि फसल के नुकसान का सदमा उन्हें अस्पताल भी भेज रहा है। बीते क्0 दिनों में ही कार्डियोलॉजी में क्क्8 ऐसे पेशेंट्स एडमिट हुए हैं जो ग्रामीण परिवेश के हैं।

सदमे से किसान पहुंच रहे अस्पताल

कार्डियोलॉजी में बीते क्0 दिनों में क्क्8 के करीब ग्रामीण इलाकों से पेशेंट्स भर्ती हुए हैं। इनमें से ज्यादातर पुरुष है और किसान हैं। इन्हें या तो हार्टअटैक हुआ है या फिर कार्डिएक अरेस्ट और बेचैनी की शिकायत हैं। कार्डियोलॉजी के डॉयरेक्टर डॉ। विनय कृष्णा ने बताया कि बीते क्0 दिनों में ग्रामीण इलाकों से आने वाले पेशेंट्स काफी बढ़े हैं। ज्यादातर को हार्टअटैक हुआ है। कई में तो कार्डियो वेस्कुलर सर्जरी की भी जरूरत पड़ी है। बातचीत में कई के परिजनों ने सदमा आने या फसल को हुए नुकसान का जिक्र किया। जिसके सदमे से उनकी यह हालत हुई और उन्हें भर्ती कराना पड़ा।

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खाने के पैसे नहीं अब इलाज का खर्चा

शिवली के प्रतापपुर गांव निवासी राधेश्याम को ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम थी। भ् दिन पहले उन्हें हैलट में ब्रेन हैमरेज की वजह से भर्ती किया गया। उधार लेकर की गई किसानी से हुए नुकसान की वजह से उनकी यह हालत हो गई। हैलट में तीन दिन के अंदर इलाज में उनका 8 हजार रुपया खर्चा हो चुका है। उनका बेटा अमित बताता है कि पहले फसल के लिए उधार लिया अब इलाज के लिए उधार लेना पड़ा है कुछ दिनों बाद घर में खाने के पैसे भी नहीं बचेंगे।

स्ट्रेचर पर करना पड़ रहा इलाज

कार्डियोलॉजी में बेडों की क्षमता पहले से ही कम है। ऐसे में ग्रामीण इलाकों से जो पेशेंट्स का बोझ बढ़ा है। उससे यहां इलाज भी प्रभावित हो रहा है। एनआईसीयू और इमरजेंसी में बेड खाली नहीं होने की वजह से पेश्ेांट्स का स्ट्रेचर पर इलाज करना पड़ रहा है।

मानसिक रोग विभाग में भी पेशेंट्स बढ़े

मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग के प्रमुख डॉ। धनजंय चौधरी ने बताया कि एक हफ्ते से उनकी ओपीडी में ग्रामीण इलाकों से आने वाले पेशेंट्स की तादाद काफी बढ़ी है। ज्यादातर लोग पोस्ट मेंटल ट्रॉमा के शिकार है और उनका बिहेवियर अचानक ही एबनार्मल हो गया है।