-खराब गेहूं फसल से टूट रहे किसान, कैसे होगी धान की खेती

GORAKHPUR: अब मरे न साहब तो का करे। गेहूं तो बर्बाद हो ही गया है, अब धान की टेंशन सता रही है। हालांकि धान की फसल को लगाने में अभी दो माह का समय है। मगर खराब गेहूं की फसल ने किसानों को कर्जदार बना दिया है। कर्ज न चुकता करने पर उन्हें धान की फसल के लिए खाद नहीं मिलेगी। ऐसे में धान की फसल खुद ही बर्बाद हो जाएगी। गेहूं की फसल ने न सिर्फ किसान को कर्ज में डूबो दिया है बल्कि धान की फसल भी खतरे में डाल दी है। वहीं प्रशासन पहले ही किसानों के साथ अनदेखा व्यवहार अख्तियार कर रहा है। प्रशासन ने क्राप कटिंग के लिए ही गलत एरिया सेलेक्ट किया था। जिस एरिया में सिर्फ बारिश हुई और फसल को अधिक नुकसान नहीं हुआ, वहां की क्राप कटिंग कर पूरे जिले की पैदावार का औसत निकाला गया है। जो गलत है।

गेहूं की कमाई से होती है धान की खेती

बारिश और ओलावृष्टि ने गेहूं की फसल को लगभग बर्बाद कर दिया है। जिस घर ट्राली भर कर गेहूं आता था, वहां मजदूर घंटों में पहुंचा रहे हैं। जिस एक बीघा खेत में क्0 से क्ख् कुंतल गेहूं होता था, वहां भ्0 से म्0 किलो हुआ है। गेहूं की खराब फसल ने न सिर्फ किसान को कर्जदार बना दिया है बल्कि उसका फ्यूचर भी अंधकारमय कर दिया है। क्योंकि गेहूं की कमाई से ही धान की खेती होती है। गेहूं की फसल के बाद समिति में चुकता की गई रकम के बाद धान की खेती के लिए खाद और बीज मिलता है। मगर इस टाइम किसान की हालत ऐसी है कि उसके लिए गेहूं की खेती के लिए लगाई गई रकम को ही वापस करना मुश्किल है।

किसानों की लड़ाई में उठने लगे कदम

बर्बाद फसल से टूट चुके किसानों की लड़ाई को लड़ने के लिए अब कई संगठन उठने लगे हैं। आमी बचाओ मंच के अध्यक्ष विश्वविजय सिंह ने किसानों की समस्याओं को लेकर डीएम को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि गेहूं की बर्बाद हुई फसल को लेकर अगर किसानों की मदद नहीं की गई तो उनका मरना तय है। क्योंकि इसी फसल के दम पर वे धान की तैयारी करते हैं। उन्होंने बारिश वाले एरिया में भी मुआवजा दिलाने की मांग की। फसल सिर्फ ओलावृष्टि से बर्बाद नहीं हुई बल्कि बारिश ने काफी नुकसान पहुंचाया है। मरने वाले किसानों का मुआवजा दिया जाए।

ख्8 गांव के किसानों को मिली मदद

बिन मौसम ओलावृष्टि और बारिश के कारण गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। गोला तहसील के अधिकांश गांव में किसानों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। इन किसानों को सरकार की ओर से मुआवजा राशि दी जा रही है। एडीएम एफआर दिनेश चंद्र सिंह ने बताया कि अब तक ख्8 गांव के करीब फ्भ्00 से अधिक किसानों को मुआवजा रकम चेक से दी जा चुकी है। लगातार कैंप लगा कर गोला तहसील के विभिन्न गांव में अधिकारी किसानों को चेक बांट रहे हैं। थर्सडे तक प्रशासन ने करीब क् करोड़ ब्ब् लाख ख्7 हजार रुपए की मुआवजा राशि किसानों को बांट दी है।

मुख्यमंत्री राहत कोष से मांगी मदद

पिछले एक सप्ताह में गोरखपुर के 8 किसान मौत की लड़ाई में हार चुके हैं। उनकी मौत न तो किसी बीमारी से हुई है और न ही किसी एक्सीडेंट में। आखिर ऐसा क्या हुआ, जो उन्होंने जीने की उम्मीद छोड़ दी। उन्हें क्या सदमा लगा था, यह तो कहना मुश्किल है, मगर वर्तमान में उनका परिवार परेशान है। ओलावृष्टि और बारिश ने गेहूं की फसल को बर्बाद कर दिया। इससे इन सभी किसानों के परिवार को फ्यूचर में दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल पड़ सकता है। इसको ध्यान में रखते हुए गोरखपुर जिला प्रशासन ने शासन को पत्र लिख मुख्यमंत्री राहत कोष से मदद मांगी है। क्योंकि इन किसानों को बर्बाद फसल के लिए मुआवजा नहीं मिल रहा है। अपर जिलाधिकारी वित्त/राजस्व दिनेश चंद्र सिंह ने बताया कि गोरखपुर से 8 किसानों का मामला शासन को भेजा गया है। इनके लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से इन सभी किसानों के लिए मदद मांगी गई है।

एसडीएम ने पकड़ा दो ट्राली गेहूं

गेहूं को लेकर पूरे जिले में खलबली मची हुई है। एक ओर जहां फसल बर्बादी को लेकर किसान परेशान है, वहीं दूसरी ओर अवैध रूप से गेहूं की ख्ररीदारी भी तेजी से चल रही है। ऐसा ही एक मामला थर्सडे को चौरीचौरा में पकड़ में आया। जहां एसडीएम चौरीचौरा पंकज वर्मा की अगुवाई में टीम ने छापा मारा। ब्रह्मपुर और करमहा के पास गेहूं लदा दो ट्रैक्टर ट्राली पकड़ ली। ट्राली ले जा रहे व्यापारियों के पास कोई कागजात नहीं थे। इससे दोनों ट्राली गेहूं जब्त कर लिया गया। मंडी सचिव नरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि करमहा के पास व्यापारी कृष्णमोहन को फ्0 कुंतल गेहूं ट्राली ले जाते पकड़ा गया था। वह गेहूं लेकर गौरी बाजार, देवरिया जा रहा था। कृष्णमोहन के पास कोई कागजात नहीं थे। इसलिए कृष्णमोहन पर ख्क् हजार रुपए जुर्माना लगाया गया है। जबकि ब्रह्मपुर में पकड़े गए व्यापारी के मामले में अभी जांच चल रही है।