- जेनर्म के तहत बना सीडब्ल्यूआर टेस्टिंग के दौरान बस्ट

- छह करोड़ की लागत से किया गया था निर्माण

- हाईकोर्ट के आदेश भी दरकिनार, पानी को तरस रही जनता

- तत्कालीन कमिश्नर ने स्वीकारी निर्माण में खामी

अखिल कुमार

आई एक्सक्लूसिव

मेरठ: छह करोड़ खर्च करने की बाद भी गोलाकुआं के आसपास की जनता को पानी मयस्सर नहीं हो सका है। सरकारी धन का इससे ज्यादा दुरुपयोग क्या होगा कि हाईकोर्ट के आदेशों के बाद भी कमीशनखोर सिस्टम ने एक ऐसा स्ट्रक्चर बनाकर खड़ा कर दिया जो पब्लिक के प्रयोग में आया ही नहीं। जीहां यह हालत है शहर के घनी आबादी क्षेत्र गोलाकुआं में बने क्लियर वाटर रिजरवायर (सीडब्ल्यूआर) की।

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी योजना

तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा मेरठ में जवाहर लाल नेशनल अर्बन रिन्यूवल मिशन (जेनर्म) द्वारा शहरी जनता को पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित कराने के लिए 273 करोड़ रुपये की पेयजल योजनाओं का निर्माण किया गया था। गंगाजल परियोजना भी इसी महायोजना का हिस्सा थी। इसके अलावा शहर के कई हिस्सों में ओवर हेड टैंक और क्लियर वाटर रिजरवायर (सीडब्ल्यूआर) के निर्माण किए गए थे। इसमें से 1.90 करोड़ रुपये लागत का एक सीडब्ल्यूआर वार्ड नंबर-48 स्थित गोलाकुंआ में बनाया गया था, जबकि आसपास के वार्ड को मिलाकर मेन्स और डिस्ट्रीब्यूशन लाइन में 4 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया गया। खत्ताघर के ऊपर बने इस सीडब्ल्यूआर के निर्माण में खामियां थी जिसका खामियाजा जनता भुगत रही है। करीब 2 साल से बंद पड़ी मशीनें भी अब खराब हो रही हैं। ज्यादातर पानी की पाइप लाइन्स चोक हैं।

निर्देशों को किया नजरअंदाज

सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश खुराना की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने तत्कालीन कमिश्नर मंजीत सिंह को मौका मुआयना के निर्देश दिए थे। 20 जुलाई 2013 को तत्कालीन कमिश्नर ने निरीक्षण किया था। बावजूद इसके निर्माणी संस्था जल निगम ने आनन - फानन में निर्माण पूर्ण कर दिया।

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जल निगम समेत विभिन्न विभागों के अधिकारियों को अंडरग्राउंड पानी की टंकी को सुधारने के लिए कई बार कहा गया किंतु अफसरों की कानों पर जूं नहीं रेंग रही है। जबाव-तलब होगा।

-रफीक अंसारी, विधायक, शहर विधानसभा

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आवाम बूंद-बूंद पानी को तरस रही है और जल निगम ने सफेद हाथी बनाकर खड़ा कर दिया। करोड़ों की लागत से बनी पानी की टंकी और पाइप लाइन जमींदोज हो गई। कमिश्नर समेत अधिकारियों को कई बार लिखा, किंतु सुनवाई नहीं हो रही है।

वसीम गाजी, क्षेत्रीय पार्षद, वार्ड-48

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सीडब्ल्यूआर का निर्माण हमारे कार्यकाल से पहले हुआ था। हालांकि संचालन सुचारु करने के लिए कंपनी को दोबारा टेस्टिंग और आ रही खामियों को दूर करने के निर्देश दिए गए हैं।

भारत भूषण, परियोजना अधिकारी, जल निगम

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खत्ताघर पर बन रहे सीडब्ल्यूआर के जमींदोज होने की संभावनाएं हाईकोर्ट के समक्ष रख दी गई थी। तत्कालीन कमिश्नर ने मौका मुआयना भी किया किंतु निर्माण का रुकवाने के बजाय बन जाने दिया। आज इसका खामियाजा जनता भुगत रही है।

-लोकेश खुराना, सामाजिक कार्यकर्ता

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यह है स्थिति

273 करोड़-मेरठ पेयजल परियोजना (जेनर्म)

1.90 करोड़- गोलाकुआं सीडब्ल्यूआर की लागत

निर्माणी संस्था-जल निगम

1 लाख-पोषित आवादी

5-पोषित वार्ड

- 6000 किलो लीटर-सीडब्ल्यूआर की क्षमता