अयाज़ की मय्यत (पार्थिव शारीर) ऐतिहासिक मक्का मस्जिद से ले जाई गयी। जहां पहले उनके जनाज़े की नामज़ पढ़ी गई और बाद में पैदल ही उन का जनाज़ा कोई पांच किलोमीटर दूर स्थित कब्रिस्तान ले जाया गया, जहां उन्हें दफ़न किया गया। इस प्रबंध की निगरानी हैदराबाद से लोकसभा के सदस्य और अज़हर के दोस्त असदुद्दीन ओवैसी ने किए।

इस अवसर पर चारमिनार और उसके पास का इलाका मानो मानव-समुद्र में बदल गया था और वहां तिल धरने जगह नहीं थी। परिवार ने अयाज़ की कब्र पुराने शहर में स्थित उसी कब्रिस्तान में बनाने का फैसला किया जहाँ उनके परिवार के दूसरे सदस्य दफ़न हैं।

अयाज़ के जुलूस में इतनी बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति इस बात का संकेत थी कि अजहरुद्दीन के घर की इस त्रासदी ने हैदराबाद में आम लोगों को भी बहुत दुःख पहुंचाया है।

अज़हर ने काफ़ी लम्बे समय से खुद को हैदराबाद से दूर रखा है और उन्होंने लोक सभा चुनाव भी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद नगर से लड़ा था। लेकिन उन के गृह नगर हैदराबाद में आज भी उनके चाहने वालों की कमी नहीं है।

रविवार को एक सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे और तबसे उनकी हालत नाज़ुक बनी हुई थी। छह दिन जीवन के लिए लड़ने के बाद अयाज़ ने शुक्रवार की सुबह आख़िरी साँस ली।

डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की काफ़ी कोशिशें कीं, लेकिन उनके शरीर को इतनी ज़्यादा अंदरूनी चोटें आईं थीं कि उन्हें बचाना संभव नहीं हो सका।

डॉक्टरों के अनुसार दुर्घटना में अयाज़ के फेफड़ों, गुर्दे, जिगर, पित्त और सीने पर गहरी चोटें लगीं। इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उनका एक गुर्दा भी निकाल दिया था। इसके अलावा उनके दिमाग़ को भी काफ़ी लंबे समय तक ऑक्सीजन न मिलने से उसे भी काफ़ी आघात पहुँचा था।
इसी दुर्घटना में अज़हर की बहन के बेटे अजमलुर रहमान की मौक़े पर ही मौत हो गई थी।

पुलिस के अनुसार क़रीब 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से गाडी चलते हुए अयाज़ उसपर नियंत्रण खो बैठे और रोड के बीच बनी दीवार से टकरा गए। अज़हर ने अपने बेटे को यह मोटर साइकिल इसी महीने ईद के अवसर पर भेंट की थी। यह सुज़ुकी जीएसएक्सआर 1000 सीसी गाड़ी उन्होंने 13 लाख रूपए में ख़रीदी थी।

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