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PRAYAGRAJ :
दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट का टी-प्वॉइंट डिस्कशन राजनी-टी, मिलेनियल्स स्पीक धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ने लगा है। इसी कड़ी में रविवार को निर्मल ज्ञान अकादमी शुक्ला मार्केट सलोरी में डिस्कशन का आयोजन हुआ। इस दौरान वक्ताओं ने बड़े ही मुखर अंदाज में अपनी बात रखी। युवाओं, समाजसेवियों, अधिवक्ताओं, शिक्षकों ने नोटबंदी, कालाधन, 10 परसेंट आरक्षण आदि मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी। वहीं लोगों ने सीआरपीएफ जवानों को शहीद का दर्जा न दिए जाने पर भी अपना क्षोभ जाहिर किया।

सर्जिकल स्ट्राइक से राफेल तक पैनी नजर
लोगों ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले को लेकर सरकार ने जो भी काम किए हैं या नहीं किए हैं, उसे देखकर वह आगामी चुनाव में अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। फिर चाहे वह सर्जिकल स्ट्राइक का मसला हो या राफेल लड़ाकू विमानों को लेकर हुआ विवाद। लोगों ने कहा सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर राफेल तक आम लोगों की पैनी नजर है। लोग बड़ी बारीकी से हर एक मुद्दे पर सरकार के कदम को देख रही है।

सांसद-विधायक बनवा रहे परीक्षा केन्द्र
इस दौरान लोगों ने देश के एजुकेशन सिस्टम और बेरोजगारी पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने खास तौर पर नकल की घटनाओं को टारगेट किया। उन्होंने कि यह बात सही है कि मौजूदा सरकार के दौर में नकल माफियाओं का नेक्सस टूटा है। लेकिन यह भी बात उतनी ही सही है कि नकल पर रोक के लिए जो सख्ती अफसरों द्वारा शहर के स्कूल और कॉलेजों में दिखाई जाती है, वह सख्ती गांवों में दिखलाई नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि आज भी विधायक और सांसदों की मदद से मठाधीश परीक्षा केन्द्र आवंटित करवाने में सफल हो रहे हैं। सामूहिक नकल के अपराध को चोरी-छिपे या कहीं-कहीं खुल्लम-खुल्ला अंजाम दिया जा रहा है।

युवाओं के पास हो रोजगार का विकल्प
टी-प्वाइंट डिस्कशन में लोगों ने प्राइमरी से लेकर माध्यमिक और उच्च शिक्षा तक अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जब तक शिक्षा की नींव, प्राइमरी शिक्षा को मजबूत नहीं करेंगे। तब तक उच्च शिक्षा तक का सफर अच्छे से नहीं पूरा किया जा सकता। वक्ताओं ने एजुकेशन प्लानिंग को सीधे तौर पर बेरोजगारी के मुद्दे से जोड़ा। कहा कि जब देश में रोजगार का सृजन पढ़ी-लिखी आबादी के हिसाब से नहीं हो पा रहा है। तब एजुकेशन का लेवल कुछ इस तरह से होना चाहिए, जिससे युवाओं के पास रोजगार के हर तरह के विकल्प खुले हों। इसमें शामिल युवाओं ने शिक्षा के बजट को बढ़ाने की बात भी पुरजोर ढंग से कही। उन्होंने कहा कि दूसरे विकसित राष्ट्रों की तुलना में हम शिक्षा के बजट पर कम ही खर्च कर पा रहे हैं।

 

 

कड़क मुद्दा
अगर कश्मीर में शांति की स्थापना करनी है तो वहां के लोगों से सीधा संवाद स्थापित करना होगा। उनका सीधा संपर्क आम हिंदुस्तानियों से वैसे ही होना चाहिए। जैसे देश के बाकी हिस्सों की जनता से है। उन्हें रोजगार और नैतिक शिक्षा के मोर्चे पर मजबूत बनाना होगा, साथ ही हमें कश्मीर में रहने वाले अलगाववादियों से बहुत सख्ती से पेश आना चाहिए। वोट बैंक की राजनीति के लिए कश्मीर का इस्तेमाल बंद होना चाहिए।

मेरी बात
पढ़ाई का मूलभूत ढांचा सही नहीं है। हम साक्षर तो हो रहे हैं। लेकिन शिक्षित नहीं हो पा रहे हैं। बहुत सारी नौकरियां ऐसी हैं, जिनमें कम्प्यूटर की योग्यता मांगी जाती है। लेकिन छात्र कम्प्यूटर सीखने के बजाय पैसे देकर सर्टिफिकेट हासिल कर ले रहे हैं.- हर्षित तिवारी

कॉलिंग
उच्च शिक्षा में जो छात्र पीएचडी कर रहे हैं। वे सिर्फ नौकरी के लिए डिग्रियां हासिल कर रहे हैं। ऐसी रिसर्च सामने नहीं आ पा रही, जिसमें आम आदमी के लिए कुछ हो। यूनिवर्सिटी में शिक्षकों का चयन भी पारदर्शी तरीके से नहीं हो पा रहा है.-शिवेन्द्र त्रिपाठी

आज हम उस जगह पर पहुंच चुके हैं जब हर वर्ग को आरक्षण के दायरे में ला दिया गया है। कम से कम अब एक-दूसरे वर्ग में टकराव की स्थिति तो खत्म होगी। यह भी संभव है कि आने वाले समय में सभी लोग अब एकजुट होकर आरक्षण की खामियों पर बात करें.- ख्वाजा शमशाद

सरकारी सिस्टम में भ्रष्टाचार चरम पर है। मैने खुद एक सरकारी कॉलेज में भारी भरकम भ्रष्टाचार की शिकायत राज्यपाल तक कई बार की। लेकिन यह एक ऐसी सरकार है, जिसमें शिकायत करने पर आपको जवाब तक नहीं दिया जाता। पूर्व की सरकारों में कम से कम ऐसा तो नहीं होता था.- दीपक शुक्ला

सरकार ने सवर्णो को जो 10 फीसदी आरक्षण दिया। वह काम चुनावी लाभ लेने के लिए किया गया, मुझे इसमें कोई संदेह नहीं। फिर भी यह सवर्णो में निचले स्तर के लिए एक बड़ी राहत की खबर है, जिसका हम स्वागत करते हैं। उम्मीद है इससे कुछ निराशा कम होगी.- नरेन्द्र तिवारी

पेट्रोल-डीजल की कीमतें विदेशों से आयात पर निर्भर करती हैं। इससे उन्हें ज्यादा प्रॉब्लम होती है, जिनके पास आय का बहुत बेहतर स्रोत नहीं हैं। अब समय आ गया है कि हम इसके विकल्पों के बारे में भी योजनाबद्ध तरीके से सोचना शुरु कर दें। अन्यथा आगे बहुत दिक्कत होगी.- शुभम उपाध्याय

मेरी नजर में नोटबंदी से देश को फायदा हुआ है और ब्लैक मनी पर रोक लगी है। सरकार के पास ब्लैक मनी के ट्रांजैक्शन को व्यापक स्तर पर रोकने का और कोई तरीका नहीं था। नोटबंदी समय-समय पर होनी चाहिए.- संदीप

नोटबंदी के दौरान पूरा देश लाइन में लगा रहा। यह हकीकत नहीं है। हमारे आसपास ज्यादातर लोगों की संख्या ऐसी है। जिनकी सैलरी ही इतनी नहीं है कि उन्हें बैंक में लाइन में लगना पड़ता। बड़ी आबादी वाले छोटे व्यावसायियों पर इसका कोई खास असर नहीं था.- मनीष सिंह

स्मार्ट सिटी के तहत कुंभ में सिटी में बेहतर काम हुआ है। सड़क से लेकर शहर की दीवारों तक पर इसकी छाप देखी जा सकती है। लेकिन विकास का यह क्रम रुकना नहीं चाहिए। दूसरे शहरों में भी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को बेहतर तरीके से फालो करना जरुरी है.- सुरेश तिवारी

मैने खुद जीएसटी के प्रॉसेस को फालो किया है। इसका प्रॉसेस टफ है, जिससे व्यापारियों को दिक्कत होती है। लेकिन यह बात भी सही है कि इससे भ्रष्टाचार पर नकेल कसेगी। व्यापारियों में इसको लेकर अब भय भी पैदा हुआ है.- आशीष पांडेय

जब जीएसटी को लांच किया गया तो कहा गया कि कई सारी चीजों के दाम कम होंगे। लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसा हो पा रहा है। कस्टमर अभी भी भारी महंगाई में कष्ट से मर रहा है, जिसका उचित समाधान होना जरूरी है.-अभिषेक पांडेय

पीएम के स्वच्छता अभियान के तहत सफाई कर्मचारियों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी आवश्यक है। मां गंगा को साफ करने का जो वादा सरकार ने किया था। उसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है। गंगा आज भी मैली है। इस बात की समीक्षा भी जरूरी है कि गंगा पर खर्च किया गया पैसा कहां और कैसे खपाया गया?- पंकज पांडेय