क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

एनर्जी एक्सपर्ट्स का मानना है कि आगे चलकर इराक क्राइसिस और भी गहरा सकता है. अगर हालात बिगड़ते हैं तो पूरे ओपेक से क्रूड की होने वाली सप्लाई पर पड़ सकता है असर. ब्रेंट क्रूड का दाम 134-140 डॉलर के लेवल तक पहुंच सकता है. इस हफ्ते कच्चे तेल की कीमतों में करीब 5 पर्सेंट की तेजी आ चुकी है.

मंहगाई को लेकर बढ़ी चिंता

क्रूड ऑयल में तेजी व कमजोर मॉनसून की वजह से  खेती में कमी और महंगाई के बढ़ने का खतरा बढ़ गया है. सरकार भी इस चुनौती से निपटने की तैयारी में जुट गई है. यही नहीं इस मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी अपने मिनिस्टर्स के साथ अहम बैठक की है और कुछ वस्तुओं के एक्सपोर्ट पर भी रोक लगाई जा सकती है. ऑयल के दाम बढ़ने से सीधे लोगों पर असर पड़ेगा. डीजल पर अंडर रिकवरी मई में 2.80 पैसे लीटर तक आ गई थी और अगले 5 माह में खत्म हो जाती. इससे वित्तीय घाटा कम होता है. लेकिन अगर क्रूड के दाम बढ़ने से कंपनियां फिर से 50 पैसे के अनुसार बढ़ाती गई तो अंडर रिकवरी 5-6 रुपये तक आ जाएगी. ऐसे में वित्तीय घाटा बढ़ेगा और रुपये पर भी इसका असर होगा. अल नीनो का असर जिन जगहों पर होगा वहां हम इरिगेशन व अन्य साधनों से इस परेशानी को मिटिगेट कर सकते हैं. अगर सरकार मार्केट में महंगाई बढ़ने के साथ ही फूड स्टॉक को रिलिज करती है तो उससे महंगाई को काबू में किया जा सकता है

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