- लोहिया अस्पताल में चूहों ने काटा सीटी स्कैन मशीन का तार

- पीपीपी माडल पर चल रही सेवाएं मरीजों को रही रुला

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LUCKNOW:

केजीएमयू, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल और संजय गांधी पीजीआई में पीपीपी मॉडल पर चल रही सेवाएं मरीजों को रुला रही हैं. लोहिया में पिछले एक माह से अधिक समय से सीटी स्कैन सेवा बंद है तो केजीएमयू में डायलिसिस की कई मशीनें फिर बंद हो गई हैं. उधर संजय गांधी पीजीआई में भी पैंक्रियाटिक स्टोन को निकालने के लिए प्रयोग की जाने वाली ईएसडब्ल्यूएल की सेवाएं ठप चल रही हैं. जिसके कारण मरीज भटकने को मजबूर हैं.

सीटी स्कैन ठप

लोहिया अस्पताल में करोड़ों की लागत से लगी सीटी स्कैन मशीन का तार चूहों ने काट दिया है. जिससे यहां करीब एक माह से जांच का काम ठप है औ रोज करीब 25-30 मरीज वापस किए जा रहे हैं. अस्पताल के अधिकारियों और मशीन चलाने वाली कंपनी की लापरवाही के कारण अब तक मशीन ठीक नहीं हाे सकी है.

मुफ्त सीटी स्कैन बंद

अस्पताल में नेशनल हेल्थ मिशन की ओर से पीपीपी मॉडल पर 9 जुलाई 2018 को यह मशीन लगाई गई थी. इस मशीन को ब्लू स्टार कंपनी ने लगाया और एचएलएल कंपनी इसका संचालन कर रही है. साल भर भी नही बीता और पिछले माह अप्रैल में ही यह मशीन खराब हो गई. यहां अब तक फ्री सीटी स्कैन होते हैं. मशीन खराब होने से अब लोग प्राइवेट में काफी दाम देकर सीटी स्कैन कराने को मजबूर हैं.

एक दूसरे पर आरोप

इस मशीन का संचालन करने वाली कंपनी इसे ठीक कराने की जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन पर डाल रही है. वहीं अस्पताल के निदेशक डॉ. डीएस नेगी ने कहा कि अस्पताल की ओर से सिर्फ जगह दी गई है, मशीन के संचालन और सुरक्षा का जिम्मा कंपनी का है. चूहों ने मशीन के तार काट दिए हैं, इसकी जानकारी नहीं है.

कंपनी ठीक करे मशीन

अस्पताल प्रशासन के अनुसार साल भीतर मशीन खराब हो गई है. वार्षिक मेंटीनेंस कांट्रैक्ट या एएमसी की फीस पहले ही जमा कर दी जाती है. शर्तो के अनुसार मशीन कंपनी को ठीक करनी चाहिए. मामला एनएसएम निदेशक की जानकार में है.

अस्पताल की ओर से मशीन के लिए सिर्फ जगह दी गई है. मशीन चलाने और उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की है.

डॉ. डीएस नेगी, निदेशक, लोहिया अस्पताल

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केजीएमयू में डायलिसिस का बुरा हाल

केजीएमयू में पीपीपी मोड पर डायलिसिस के लिए 17 मशीनें लगी हैं. कुछ माह पूर्व कंपनी ने पेमेंट न मिलने पर खराब मशीनों का मेंटीनेंस नहीं कराया तो डायलिसिस सुविधा बंद हो गई. हंगामा होने के बाद केजीएमयू ने कंपनी को पेमेंट किया तो 17 में 14 मशीनें चला दी गई. इसमें कुछ मशीनें फिर खराब हो गई. वर्तमान में सिर्फ 10 मशीनें ही चल रही हैं. केजीएमयू प्रशासन पर सेवा प्रदाता कंपनी ने पेमेंट न करने का आरोप लगाया है तो केजीएमयू प्रशासन का कहना है कि कंपनी पुराने मरीजों का डाटा नहीं दे रही है.

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पीजीआई में सर्जरी की सुिवधा नहीं

एसजीपीजीआई में क्रोनिक पैंक्रियाटिक मरीजों के इलाज में यूज होने वाली एक्स्ट्राकारपोरल वेव लिथोट्रिप्सी मशीन लगी है. इस मशीन की सहायता से पैंक्रियाज में होने वाले स्टोन को निकालकर मरीजों को राहत दिलाई जाती है. इसके बाद मरीज को सर्जरी की आवश्यक्ता नहीं पड़ती. संस्थान में इसके लिए लंबी वेटिंग है लेकिन पिछले एक हफ्ते से मशीन बंद है. जिसके कारण मरीज परेशान हैं. निदेशक डॉ. राकेश कपूर ने बताया कि मशीन पीपीपी मॉडल पर लगी थी जिसका कांट्रैक्ट समाप्त हो गया है. जल्द ही कांट्रैक्ट दोबारा किया जाएगा.