विश्व हिन्दी साहित्य सेवा संस्थान ने किया हिन्दुस्तानी एकेडेमी में 15वें साहित्य मेले का आयोजन

ALLAHABAD: भारतीय संस्कृति में वैदिक साहित्य की समृद्ध परंपरा रही है। हमारी सभ्यता और संस्कृति का आधार साहित्य है। इससे वैचारिक चरित्र का निर्माण होता है। वेद, पुराण, उपनिषद सभी साहित्य की श्रेष्ठ कृतियां हैं जो युगो-युगों से जनमानस को प्रेरणा देती है। यह बातें स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने बतौर मुख्य अतिथि रविवार को विश्व हिन्दी साहित्य सेवा संस्थान की ओर से हिन्दुस्तानी एकेडेमी में आयोजित 15वें साहित्य मेले में कही।

भावी पीढ़ी को करें प्रेरित

उन्होंने कहा कि साहित्य में करुण रस की प्रधानता श्रेष्ठ है। इससे भाषा, भाव और संवेदना का संचार होता है। विशिष्ट अतिथि आईपीएस जुगुल किशोर तिवारी ने कहा कि आज के दौर में साहित्यकारों की यह सबसे बड़ी चुनौती है कि वह भावी पीढ़ी को पढ़ने के लिए प्रेरित करे। यदि पढ़ने की जिज्ञासा खत्म हो जाएगी तो लेखन समाप्त हो जाएगा।

हिंदी को अपनाएं

अध्यक्षता करते हुए कर्नाटक हिन्दी सेवा समिति की प्रधान सचिव बीएस शांताबाई ने कहा कि हिन्दी को समृद्ध बनाने के लिए सबको हिन्दी अपनाना चाहिए। संचालन ईश्वर शरण शुक्ला ने किया। डॉ। गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने स्वागत किया। इस मौके पर दीप्ति मिश्रा, महेन्द्र कुमार अग्रवाल, रेवा नंदन द्विवेदी, आलोक चतुर्वेदी आदि मौजूद रहे।

विशिष्टजनों को किया गया सम्मानित

साहित्य मेले के दौरान आईपीएस जुगुल किशोर तिवारी को साहित्य रत्‍‌न से सम्मानित किया गया। विहिसा सरताज सम्मान वीएस शांताबाई, हिन्दी सेवी सम्मान डॉ। राम प्रबल श्रीवास्तव, राष्ट्रभाषा सम्मान सूर्यकांत विश्वनाथ और महादेवी वर्मा सम्मान प्रभांषु कुमार को प्रदान किया गया। इस दौरान आयोजित काव्य सम्राट प्रतियोगिता में सुधांशु सिंह ने बाजी मारी। डॉ। सरोजिनी तनहा दूसरे व डॉ। आभा रानी तीसरे स्थान पर रहीं।