- त्रिवेणी के तट पर आबाद हुआ लोक कलाओं का संगम

- चलो मन गंगा यमुना तीर के मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों से मोहा

ALLAHABAD: त्रिवेणी के तट पर माघ मेले में गुरुवार से लोक कलाओं का संगम आबाद हो गया। उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र के शिविर में सजे चलो मन गंगा यमुना तीर के मंच पर पहले दिन भजन व लोक नृत्यों की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। शुरुआत असम के मांगलिक कीर्तन नृत्य भोरताल से हुई। इसके बाद देश के अलग-अलग राज्यों की लोक कलाओं को मंच पर प्रदर्शित किया गया। इसके पहले कार्यक्रम की शुरुआत चीफ गेस्ट कमिश्नर इलाहाबाद राजन शुक्ल ने दीप प्रज्जवलन कर की। इस अवसर पर केन्द्र के निदेशक गौरव कृष्ण बंसल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।

11 दिनों तक बहेगी रस धारा

त्रिवेणी मार्ग स्थित परेड ग्राउण्ड पर सांस्कृतिक केन्द्र के पंडाल में लोक कलाओं की महफिल आगामी 11 दिनों तक सजेगी। पहले दिन गुजरात के गरबा व डांडिया, राजस्थान के पारम्परिक धार्मिक नृत्य तेरहताली, मध्य प्रदेश के नौरता व बधाई, अरुणाचल व तमिलनाडु के लोकनृत्यों की मनोहारी प्रस्तुतियां हुई। इसके बाद भजन व सूफी गानों का दौर चला। भजन की शुरुआत मुम्बई के कलाकार प्रेम प्रकाश दुबे ने गणपति वंदना से से की। इसके बाद उन्होंने प्रयाग की महिमा का बखान करते हुए प्रयाग नगरी बसै, संगम तीरे त्रिवेणी की धार बहे धीरे धीरे से की। प्रेम प्रकाश ने रामायण की चौपाइयों को संगीतबद्ध किया। भक्ति गीतों के बाद सूफी गायन के दौरान उन्होंने दमा दम मस्त कलंदर और छाप तिलक सब छीनी मोसे नैना मिलाय के व सांसों की माला से सुमिरू में पी का नाम से वाहवाही लूटी।

कृष्ण व गोपियों का रास

दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा गुजरात के कलाकारों द्वारा पेश किया गया डांडिया नृत्य। इसके जरिए कलाकारों ने भगवान श्री कृष्ण व गोपियों के बीच हुए महारास को पेश किया। इसके बाद असम के कलाकारों ने सत्रिय रास से संबंध भोरताल नृत्य की प्रस्तुति दी। मध्य प्रदेश के कलाकारों ने जन्म व विवाह आदि के अवसर पर आयोजित होने वाले मांगलिक बधाई नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन संजय पुरुषार्थी ने किया।