RANCHI: ऑनलाइन व्यवसाय के कुरियर ब्वाय अब गली के गुंडों के टारगेट पर हैं। रात के अंधेरे में सुनसान गली से गुजरने वाले रेस्टोरेंट के मामूली वेटर को मारपीट कर खाना छीनने वाले दिन के उजाले में भी कांड को अंजाम देने से नहीं कतरा रहे हैं। बड़ी-बड़ी आनलाइन कंपनियों की डिलिवरी करने वाले कुरियर ब्वाय के साथ भी मारपीट कर महंगे सामान छीन लिए जा रहे हैं। हालात इतने खराब होते जा रहे हैं कि कुरियर कंपनियों में काम करने वाले लड़के अब अचानक नौकरी छोड़ रफू-चक्कर होने लगे हैं। इस मामले में कई बार कंपनियों ने कुरियर ब्वाय से रुपए की वसूली की है, लेकिन इसके बावजूद हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। सिटी के कई इलाके इस मामले के लिए बदनाम हो चुके हैं।

सीओडी भी ओपेन पर डिलिवरी नहीं

कई बड़ी कंपनियां तो 20 हजार से अधिक की राशि का सामान डिलिवरी करने से साफ कतरा रही हैं जबकि सीओडी यानि कैश ऑन डिलिवरी के आप्शन भी खुले रहते हैं.ऑडर एक्सेप्ट हो जा रहे हैं लेकिन उनकी डिलिवरी नहीं की जा रही है। लोग परेशान हैं कि आखिरकार अब इस समस्या से निजात कैसे मिलेगी।

बॉक्स

टॉल फ्री नम्बरों पर भी अनमने जवाब

इस संबंध में जब जानकारी के लिए ग्राहक टॉल फ्री नम्बरों पर फोन करता है तो उसे वहां से भी अनमने जवाब मिलते हैं। कालसेंटरों से दो टूक लफ्जों में कहा जाता है कि सामान डिलिवरी के बाद यदि कैश देने का सिस्टम है तो डिलिवरी के पहले उस संबंध में कुछ भी कहा नहीं जा सकता।

केस 1

नहीं मिली डिलीवरी, बोला-ऑनलाइन पेमेंट करें

मैंने अमेजॉन पर एयरकंडिशन का ऑर्डर प्लेस किया था। उसकी कीमत करीब 34 हजार रुपए थी। आप्सन में कैश ऑन डिलिवरी भी था जिसे मैंने सेलेक्ट किया था। काफी दिनों बाद भी एसी की डिलिवरी नहीं की गई। मैंने इस संबंध में जब कंपनी के टॉल फ्री नम्बर पर फोन किया तो कहा गया कि आपके इलाके में डिलिवरी करने में कुरियर पर्सन को प्राब्लम है। इसलिए डिलिवरी रोक दी गयी है। यदि आप पेमेंट ऑनलाइन कर दें तो डिलिवरी करा दी जाएगी।

-रौशन कुमार, आईटीआई

केस 2

नहीं आया टीवी, कार्ड से मांग रहे पेमेंट

टीवी की आनलाइन डिलिवरी का आर्डर दिया था लेकिन आज तक टीवी नहीं आया। कई बार फोन कर चुके, मेल कर चुके लेकिन अभी तक इस सबंध में न तो कंपनी से कोई कुछ कहा जाता है न ही टॉलफ्री पर ही जवाब मिलता है। अंतिम बार बोला गया था कि कार्ड पेमेंट कर दीजिए, तब डिलिवरी संभव है।

-अम्बरीश कुमार, हातमा

वर्जन

छिनतई वगैरह की सूचनाएं तो आती हैं लेकिन कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं कराता। ऐसे में पुलिस भला क्या करेगी। इस तरह की घटनाओं से शहर का नाम खराब होता है और यह सामाजिक सरोकार का मामला है। इसलिए पुलिस के पास आने और सहयोग करने की आवश्यक्ता है।

-अमोल वेणुकांत होमकर, डीआईजी, रांची