- नोटबंदी से रोज 40 से 50 करोड़ का कारोबार हो रहा प्रभावित

- गीडा सेक्टर में कई उद्योग बुरी तरह प्रभावित, मजदूरों को हो परेशानी

GORAKHPUR: नोटबंदी का असर अब उद्योग धंधों पर भी पड़ने लगा है। कच्चा माल नहीं आने से फैक्ट्रियों में उत्पादन ठप पड़ने लगा है। इस वजह से रोज 40 से 50 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हो रहा है। वहीं काम करने वाले मजदूरों को वेतन नहीं मिल पा रहा। बड़े नोट बंदी के बाद छुट्टे की समस्या फैक्ट्रियों में काम करने वाले कामगारों पर भारी पड़ने लगी है। सिर्फ गीडा में ही आधा दर्जन फैक्ट्री बंद होने की कगार पर पहुंच चुकी है। वहीं इन फैक्ट्रियों में रोज कमाने-खाने वाले मजदूर आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं।

फैक्ट्रियां बंदी के कगार पर

पांच सौ व एक हजार नोट पर बैन लगने के नाते सहजनवां एरिया के गीडा सेक्टर स्थित उद्योग धंधों की स्थिति पूरी तरह से चरमराती नजर आ रही है। फैक्ट्रियों में लेबरों की मजदूरी व अनलोडिंग के लिए छुट्टा न होने की वजह से सेंटर 13 व 15 की कुछ फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं। जबकि कुछ फैक्ट्रियां इन्हीं परिस्थियों में चलाई जा रही है लेकिन यही स्थिति बनी रही तो उनके सामने भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो जाएगी और यहां भी ताले लग जाएंगे।

नहीं आ रहा कच्चा माल

उद्योगपतियों की मानें तो नोटबंदी के बाद बिजनेस बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। दिल्ली, कानपुर, कलकत्ता एवं देहात एरियाज से कच्चा माल मंगाए जाते हैं लेकिन इधर एक हफ्ते से माल मंगाने में काफी दिक्कत हो रही है। कुछ माल फैक्ट्री में है भी तो मजदूर के अभाव में काम नहीं हो पा रहा है। मजदूर सुबह बैंक पर लाइन में लग कर पैसा चेंज कराने में लगे हैं जिससे पूरा दिन कारोबार बंद हो जा रहा है। जो माल तैयार है वह भी पैसे के अभाव में बाहर नहीं जा पा रहा है। जबकि हर रोज पांच से छह लाख का माल मार्केट में जाता था जो आज एक लाख भी नहीं हो पा रहा है।

कोट

हमारे यहां व्यवसाय के लिए आमतौर पर बड़े नोटों का प्रचलन है। जिससे हमें काफी सुविधा भी मिलती है। बड़े नोट बंद हो गए तो छोटे नोट की किल्लत हो गई है। एंप्लाइज के वेतन से लेकर अन्य जरूरतों की पूर्ति के लिए पैसों का होना आवश्यक है लेकिन नोटबंदी की वजह से परेशानी हो रही है।

- कृष्णकांत उपाध्याय, उद्योगपति, गीडा सेक्टर 22

अचानक नोट पर प्रतिबंध लग जाने के चलते जहां हम लोग परेशान हैं वहीं फैक्ट्री में काम कर रहे मजदूर के लिए भी काफी दिक्कत हो गई है। दूर दराज एरिया से आए इन मजदूरों का यहां किसी बैंक में एकाउंट न होने से बड़े नोट को बदलने में काफी परेशानी का सामना करना हो रहा है। जिससे उनके रोजमर्रा की जरूरत भी पूरी नहीं हो पा रही है।

फैजान अहमद, फैक्ट्री मालिक, गीडा सेक्टर 13

नोटबंदी सरकार का बड़ा सराहनीय कदम है। बस इसकी तैयारी पूरी न होने की वजह से बैकों पर पैसों की किल्लत हो रही है। जिससे उद्योग धंधे प्रभावित हो रहे हैं। जहां तक मजदूरों का सवाल है तो बाहर से आने वाले मजदूरों को थोड़ा परेशान होना पड़ रहा है। छुट्टे पैसे की वजह से थोड़ी दिक्कत हो रही है।

- गौरव जालान, उद्योगपति, गीडा सेक्टर 15

बड़े नोटों पर बैन लगने से हम लोग की सेलिंग पूरी तरह से बंद हो गई है। जहां एक दिन में 2 से 3 लाख की बिक्री थी वहीं आज पूरे दिन खाली हाथ बैठना पड़ रहा है। यदि जल्द ही इसका निराकरण नहीं हुआ तो हम लोग बेकार हो जाएंगे और धंधा पूरी तरह से चौपट हो जाएगा। इसकी मार आम जनता के साथ गरीबों पर भी पड़ेगी।

- विजय पांडेय, बिजनेसमैन, सहजनवां

इनके दो जून की रोटी के लाले

चार दिन से ठेकेदार के पास चेंज न होने के नाते पैसा नहीं मिल रहा है। जिससे हम लोगों को दो जून की रोटी के लिए भी दिक्कत हो रही है।

कमलेश, मजदूर

बैकों पर भीड़ होने के कारण हम लोगों का पैसा नही चेंज हो पा रहा है। हम लोग तीन दिन से रोज सुबह जाते हैं और कैश खत्म हो जाने के कारण शाम को खाली हाथ वापस आते हैं।

बिहारी, मजदूर