बड़े नोट का लगभग बंद होने से मार्केट में कम हुआ महंगाई का असर

लेकिन लांग टर्म में छोटे नोट का चलन अर्थव्यवस्था के लिए घातक

बड़े नोट बंद होने का अर्थ जगत के विशेषज्ञों ने किया विश्लेषण

ALLAHABAD: एक हजार और 500 के नोट बंद होने से बाजार में हड़कंप मचा है। मार्केट में अभी 20, 50 और 100 रुपये के नोट का ही विकल्प सबसे ज्यादा प्रचलित है। बड़ी मुद्रा के अचानक से चलन से बाहर होने से मार्केट में महंगाई घटेगी या बढ़ेगी सबको यही चिंता खाए जा रही है। ऐसे में एक्सप‌र्ट्स की एनालिसिस है कि छोटे नोटों के चलन से फिलहाल तो मार्केट से महंगाई घटेगी, लेकिन यह दौर लंबा खिंचा तो इकोनॉमी लड़खड़ा भी सकती है।

पर्चेजिंग पॉवर हुई सीमित

इलाहाबाद आए सिंगापुर के डायमंड एशिया कंपनी के फंड मैनेजर संदीप ढींगरा ने अव्वल तो इसे मोदी सरकार का अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि बड़ी मुद्रा के चलन से बाहर होने के कारण लोगों की पर्चेजिंग पावर सीमित हो गई है। मार्केट में जिस कैपेसिटी में सामान मौजूद है। उन्हें निकालने के लिए बड़ी मुद्रा का आम दिनों की तरह फ्लो होना जरूरी है। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा। ऊपर से उत्पादन की लाइन में लगा स्टॉक अलग से है। संदीप ढींगरा ने दावा किया कि सामान की खपत हो, इसके लिए दुकानदार हों या कंपनियां या तो उन्हें लागत मूल्य पर निकालने की कोशिश करेंगी या थोड़ा हानि सहने के लिए भी तैयार होंगी।

मांग और पूर्ति में बैलेंस बनाना होगा

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में मोती लाल नेहरु इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के प्रोफेसर एके सिंघल ने कहा कि मार्केट इलाहाबाद की हो या कहीं और की। करेंट में सबका हाल एक जैसा है। निश्चित रूप से रोजमर्रा की जिंदगी के सामान या बड़े खर्च पर बेस प्रोडक्ट कपड़े, लग्जरी आईटम, इलेक्ट्रानिक आइटम आदि बहुत अल्पकाल के लिए सस्ते होंगे। लेकिन इसका दूरगामी असर क्या होगा? इसके लिए अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। उन्होंने सरकार के कदम को स्वागत योग्य बताया और कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक भी अच्छे से यह समझ रही हैं कि जल्द ही मांग और पूर्ति के बीच बैलेंस बनाना होगा। कहा कि बाजार से 88 फीसदी मुद्रा का पलायन होना कोई छोटी बात नहीं है।

जल्द करना होगा डैमेज कंट्रोल

डॉ। सिंघल ने कहा कि कंट्री के इकोनामिस्ट और सरकारी मशीनरी को जल्द ही डैमेज कंट्रोल करना होगा। अन्यथा अर्थव्यवस्था पर प्रभाव इतनी तेजी से होता है कि इसे फिर संभाल पाना मुश्किल हो जाता है। वहीं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के फाइनेंस ऑफिसर एके कनौजिया ने कहा कि सबकुछ प्लानिंग के मुताबिक रहा तो लांग टर्म में भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत होगी।

मजबूत होगा रुपया

डालर के मुकाबले रुपये की कीमत बढ़ेगी। आयात सस्ता होगा, निर्यात में भी हमारा मुनाफा बढ़ेगा। टैक्स अदायगी में जबरदस्त बढ़ोत्तरी से सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन तेजी से होगा। रोजगार बढ़ेंगे और देश खुशहाली की ओर जाएगा। इसमें आम आदमी की इनकम की वैल्यू बढ़ना और कालेधन व धन्ना सेठों का सरेंडर कर जाना भी बड़ा कारण होगा।