-शहर में बड़ी मात्रा में डम्प हो रहा नकली नोट

-देशभर में नकली नोट पहुंचाने के लिए बनारस बना तस्करों पसंदीदा रूट

-शहर में लगातार पकड़ी जा रही नकली नोट की खेप

बनारस में बड़ी मात्रा में नकली नोट डम्प किया जा रहा है। बांगलादेश, नेपाल, पाकिस्तान से आने वाले नकली नोट बनारस के रास्ते पूर्वाचल समेत पूरे देश में फैलाया जा रहा है। इसका खुलासा हाल में पकड़े गए जाली नोट की तस्करी करने वालों ने किया। इस जानकारी ने इंटेलिजेंस सहित एटीएस कान खड़े कर दिए हैं। एटीएस को इंफार्मेशन मिली है कि जाली नोट के धंधेबाज 2000 के नोट ज्यादा खपा रहे हैं। इसका तस्दीक हाल में हाल में गिरफ्तार तस्करों के पास से बरामद नकली 2000 हजार के नोट की ्रखेप कर रहे हैं। इसलिए नोट के लेनदेन में थोड़ी सावधानी बरतना जरूरी है।

हवाला कारोबारियों पर नजर

एटीएस को यह भी इंफार्मेशन मिली है कि हवाला कारोबारियों के जरिए मार्केट में जाली नोट खपाया जा रहा है। तय है कि शहर के विभिन्न मंडियों में जाली नोट दौड़ रहे है। यही वजह है कि बीच-बीच में खुद बैंक भी कुछेक नोटों को जाली करार देते हुए कैश डिपॉजिट करने से इनकार कर देता है। अक्सर ऐसी सूचनाएं बैंक प्रबंधकों तक भी पहुंचती हैं।

बांग्लादेश है गढ़

जाली नोट के नेटवर्क को तोड़ने के लिए यूपी पुलिस, एसटीएफ व एटीएस लंबे समय से काम कर रही है। यह भी मालूम है कि फेक करेंसी बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल के रास्ते बिहार, यूपी होकर अन्य बनारस पहुंच रही है। यहां इसे डम्प किया जाता है। इसके बाद देश के दूसरे कोने में पहुंचाया जाता है। शिवपुर में पकड़े गए बिहार निवासी तस्कर नवीन ने कबूला भी कि बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल मालदा के रास्ते जाली नोट लाता था। जाली नोट को पूर्वाचल, मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड सहित मुंबई, पुणे आदि प्रांतों में सप्लाई करता था।

नोट की पहचान

मौजूदा समय में 500 के न्यू नोट का रंग स्टोन ग्रे है और उसका साइज 150.63 एमएम है। जबकि 2000 के नोट का साइज 166.66 एमएम है और कलर मैजेंडा है।

सिक्योरिटी थ्रेड का रंग

अकली नोट में आरबीआई के द्वारा जो थ्रेड लगाया जाता है उसमें भारत और आरबीआई लिखा हुआ होता है। नोट को टेढ़ा करने पर इस थ्रेड का रंग भी परिवर्तित होकर नीले से हरा हो जाता है। अगर आप 500 और 2000 के नए नोट को रोशनी में देखें तो इसमें लेफ्ट साइड में आड़े शब्दों में मुद्रा अंकित होती है, जो आपको इसकी एक विशेष पहचान देती है।

गर्वनर का रहता है सिग्नेचर

नोट को ध्यान से देखें तो इसमें महात्मा गांधी की फोटो के लेफ्ट साइड के नीचे एक डार्क बॉक्स दिखाई देता है। जब हम नोट को 45 डिग्री तक झुकाकर देखते हैं तो इस बॉक्स में नोट की मुद्रा 500 या 2000 लिखी हुई दिखाई देती है। हर नोट में एक विशेष स्थान पर गवर्नर का सिग्नेचर और इसके मुद्रण का साल लिखा होता है।

हाल में पकड़ी गयी नकली नोट की खेप

31 दिसंबर 2018

-एटीएस ने की रात शिवपुर एरिया से दो हजार रुपये के आठ लाख फेक करेंसी पकड़ा। जाली नोट के साथ दबोचे गए बिहार निवासी आरोपी ने बनारस सहित पूर्वाचल के मार्केट में जाली नोट खपाने की भी बात स्वीकारी।

सात दिसंबर 2018

-क्राइम ब्रांच की टीम ने सारनाथ इलाके से पुराने 1000 के नोट के कुल 47 लाख रुपये बरामद किया था। गिरफ्तार किए गए तीन आरोपियों के तार पश्चिम बंगाल से जुड़े थे, जो जाली नोट के कारोबारियों के संपर्क में थे।

एक सितंबर 2018

-शिवपुर पुलिस ने तीन तस्करों के कब्जे से 86 हजार का जाली नोट बरामद किया था। 500, 200 और 50 रुपये की फेक करेंसी हाथ लगी थी। गिरफ्तार तस्कर पश्चिम बंगाल के निवासी थे।

30 अक्टूबर 2018

लहरतारा ब्रिज के नीचे स्थित बैंक एटीएम से दो हजार का जाली नोट निकला था। पीडि़त राजीव कुमार ने बैंक प्रबंधक से शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले को लेकर करेंसी भरने वाली एजेंसी पर खूब तोहमत भी मढ़े गए थे।

22 जुलाई 2018

जौनपुर के मुंगराबादशाहपुर थाना में 22 हजार की फेक कैरेंसी पकड़ी गई थी। गिरफ्तार तीनों आरोपियों के तार वेस्ट बंगाल के तस्करों से जुड़े हुए थे। बनारस में नकली नोट खपा रहे थे।