बैंक खुलने के पहले ही बैंक के पास जुट गयी थी कस्टमर्स की भीड़

जिनके लॉकर टूटे वे फफक पड़े, बैंक अफसरों को दी डिटेल

ALLAHABAD: यूको बैंक में भीषण चोरी की वारदात ने जहां पुलिस की नींद उड़ा दी, वहीं घटना की जानकारी होने के बाद कस्टमर्स की सांसे भी बुधवार को पूरे दिन अटकी रहीं। न्यूज पेपर्स में बैंक के लॉकर तोड़कर हुई करोड़ों की चोरी का समाचार पढ़ने के बाद यूको बैंक की मेन ब्रांच में लॉकर लेने वाले कस्टमर्स के होश उड़ गए। बुधवार को सुबह से ही बैंक के बाहर कस्टमर्स का ताता लगने लगा। सिटी के साथ ही दूर दराज से भी लोग अपने लॉकर का हाल देखने के लिए बैंक पहुंचे। पूरे दिन कस्टमर्स के आने का सिलसिला जारी रहा। जिसके लॉकर्स बच गए उन्होंने चैन की सांस ली, लेकिन जिनके लाकर्स को चोरों ने निशाना बनाया वे खुद को ठगा हुआ महसूस करते रहे। कई महिला कस्टमर्स तो अपने लॉकर का हाल देख बैंक में ही दहाड़ मारकर रोने लगीं।

खत्म हो गई थी भूख-प्यास

चाका नैनी में रहने वाली आशा दूबे जूनियर हाईस्कूल में शिक्षिका हैं। सुबह वह स्कूल गई थी। घटना की जानकारी होने के बाद उन्होंने बेटे आयूष दूबे को बैंक भेजा। खुद भी स्कूल की छुट्टी होते ही भागते हुए बैंक पहुंची। बैंक में पता चला कि उनका लॉकर सेफ है तो राहत की सांस ली। उन्होंने बताया कि बैंक के लॉकर में चोरी की सूचना मिलते ही उनकी भूख प्यास सब खत्म हो गई थी। बेटे को सुबह दस बजे ही बैंक भेज दिया था, जिससे कुछ तो जानकारी मिल सके।

बैंक की ओर से नहीं दी गई सूचना

केन्द्रीय विद्यालय बम्हरौली में काम करने वाली सुमन श्रीवास्तव भी पति के साथ बैंक पहुंची। उनका लाकर भी सेफ दिखा। मीरापुर के विकास भट्ट भी चोरी की खबर न्यूज पेपर में पढ़ने के बाद बैंक पहुंचे। न्यू कटरा की गीता सक्सेना, सिविल लाइंस के दिनेश कुमार, सुमन केसरवानी और सुमन गोश्वामी भी अपने लॉकर की स्थिति देखने के लिए बैंक पहुंचे। बैंक में पूरे दिन कस्टमर्स बदहवास दिखे। जिनका लॉकर सेफ दिखा उन्होंने राहत की सांस ली, लेकिन जिनके लॉकर्स को चोरों ने निशाना बनाया वे परेशान होकर बैंक अधिकारियों के आगे पीछे दौड़ते दिखे। कस्टमर्स में इस बात को लेकर आक्रोश भी दिखा कि इतनी बड़ी वारदात के बाद भी बैंक की तरफ से उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई।

अपडेट करें सिक्योरिटी सिस्टम

मां के साथ लॉकर का हाल देखने पहुंचे आयुष दुबे ने कहा कि बैंक हर बात के लिए लंबा चार्ज लेते हैं। यहां तक की लॉकर्स के लिए भी हर महीनें चार्ज करते हैं। इसके बाद भी सिक्योरिटी को लेकर जागरूक नहीं हैं। सिक्योरिटी में ऐसी लापरवाही कैसे की जा सकती है। आखिर जिनका नुकशान हुआ है, उनकी भरपाई कौन करेगा।

- मै सुबह ही स्कूल चली गई थी। वहां जाने के बाद न्यूज पेपर देखकर मुझे घटना की जानकारी हुई। जिसके बाद बेटे को तुरंत ही बैंक भेजा। बेटा सुबह दस बजे ही बैंक पहुंच गया। स्कूल की छुट्टी होने के बाद मैं भी सीधे बैंक पहुंची। भगवान की कृपा से हमारा लॉकर बच गया।

आशा दूबे

- इतनी बढ़ी घटना के बाद भी बैंक की तरफ से कोई सुचना नहीं दी गई। लोगों को पेपर में पढ़कर पता चला। जबकि बैंक हर सुविधा के नाम पर पैसे वसूलते है। सेक्योरिटी के लिए पैसे क्यों नहीं खर्च करते है। ये नही समझ आता है। आखिर नुकसान तो बेचारी पब्लिक का हुआ।

आयूष

- बैंक के लॉकर में लोग अपनी मेहनत की कमाई रखते है। बैंक सुरक्षा का भरोसा देता है, लेकिन बैंक में ही सेक्योरिटी में ऐसी चूक कैसे हो सकती है। बैंक आखिर इतने लापरवाह कैसे हो सकते है।

एसपी श्रीवास्तव

- खबर मिलते ही भूख प्यास सब खत्म हो गई। समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। सोचा पहले बैंक जाकर देख लिया जाएं कि हमारे लॉकर का क्या हाल है।

सुमन श्रीवास्तव