फैक्ट्स

-180 केस साइबर ठगी के साइबर सेल में आए

-152 केसेस का कर दिया गया निस्तारण

-28 केस कंपनियों से जानकारी न होने से पेंडिंग

-18.5 लाख रुपए अकाउंट से उड़ाए

-14 लाख रुपए साइबर ठगों से कराए वापस

-बरेली में 13 तरह से लोगों से हुई है साइबर ठगी

-ठगों ने अकाउंट से साढ़े 18 लाख उड़ाए

BAREILLY: एक फोन कॉल या फिर एक मैसेज से अकाउंट से लाखों रुपए उड़ा दिए जा रहे हैं। न तो इन क्रिमिनल का कोई नाम होता है और न कोई पता, जिसकी वजह से पुलिस का इन तक पहुंचना तो दूर इनके बारे में पता तक नहीं लगा पाती है। साइबर क्रिमिनल्स ने इस वर्ष बरेली के 180 लोगों से लूट की है। लूट की रकम भी कोई कम नहीं है, अब तक पूरे साढ़े 18 लाख रुपए लूटे जा चुके हैं। यही हाल रहा तो वर्ष समाप्त होते-होते आंकड़ा 20 लाख तक पहुंच सकता है। अब तक पुलिस एक भी साइबर ठग को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।

वर्कशॉप में दी जाएगी ट्रेनिंग

पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक साइबर ठगों ने अलग-अलग तरीकों से लोगों को अपने झांसे में फंसाया। हर बार साइबर ठग कोई नया तरीका भी इजाद कर लेते हैं। बरेली में 13 तरह से साइबर ठगी सामने आयी है। इन सभी तरह से ठगी के तरीकों और उनकी जांच कैसे की जाती है, इसकी ट्रेनिंग साइबर मामलों की जांच कर रहे सभी विवेचकों को दी जाएगी। पुलिस लाइन में इस संबंध में संडे को एक वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है।

झारखंड और कर्नाटक से कनेक्शन

साइबर ठगी के ज्यादातर मामलों का लिंक झारखंड के जामताड़ा या अन्य शहरों से मिलता है। जिन अकाउंट में रकम डाली जाती है, वह भी इन्हीं एरिया के होते हैं। इसके अलावा फोन कॉल कर्नाटक या अन्य किसी राज्य के नंबर से की जाती है। इनका मेन कनेक्शन दिल्ली में बैठे नाइजीरियन ठगों से होता है। अकाउंट नंबर से लेकर मोबाइल नंबर सभी फेक होते हैं। जब भी पुलिस इन स्थानों पर जाती है तो वहां की पुलिस से सपोर्ट न मिलने और वहां की भाषा अलग होने से परेशानी होती है और पुलिस खाली हाथ लौट आती है।

खाली हाथ लौटकर आयीं टीमें

साइबर ठगी के 180 मामलों की जांच कराने के बाद थानों में एफआईआर दर्ज की गई। कुछ मामलों की जांच थानों में तो कुछ की जांच क्राइम ब्रांच को दी गई लेकिन एक भी साइबर ठग गिरफ्त में नहीं आया। थानों की पुलिस ने लॉ एंड ऑर्डर में बिजी होने की वजह से क्रिमिनल्स को पकड़ने की जहमत नहीं उठायी। क्राइम ब्रांच की टीमें कर्नाटक, झारखंड तक गई लेकिन खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ा। साइबर ठगी के मामलों की जांच के लिए 5 लोगों की टीम अभी भी कर्नाटक और झारखंड गई हुई हैं लेकिन अभी तक उन्हें भी कोई सफलता हाथ नहीं लगी है।

14 लाख रुपए कराए वापस

1 जनवरी से 15 दिसंबर तक साइबर क्रिमिनल्स ने 18 लाख 50 हजार रुपए बैंक अकाउंट या एटीएम अकाउंट से निकाले। जिन लोगों ने साइबर सेल में पहुंचकर समय से शिकायत कर दी, उन लोगों के अकाउंट से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन रुकवाकर रुपए वापस भी करा दिए। इस तरह से साइबर क्राइम सेल ने 14 लाख रुपए वापस भी कराए हैं। साइबर क्रिमिनल्स से ठगी की 75 परसेंट रकम वापस करा ली गई, सिर्फ 25 परसेंट ही ठगों के पास रह गई।

इस तरह से की ठगी

-एटीएम कार्ड ब्लॉक होने के बहाने से

-बैंक अधिकारी बन जानकारी लेकर

-आधार कार्ड की जानकारी पूछकर

-एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर

-एटीएम कार्ड को बदल कर

-व्यापार का लालच देकर

-लॉटरी में मोबाइल नंबर चयन के बहाने

-टॉवर लगाने के बहाने

-वेबसाइट की डुप्लीकेट वेबसाइट बनाकर

-हेल्पलाइन पर मदद के बहाने

-एयरपोर्ट से सामान मंगवाने के बहाने

-फर्जी आईडी बनाकर लोन के बहाने

-शॉपिंग वेबसाइट पर सामान खरीद के बहाने