उन लोगों ने जिन वेबसाइटों को निशाना बनाया उनमें अमेज़न और अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा जैसी काफ़ी जानी-मानी वेबसाइट हैं। अभियोक्ताओं के अनुसार सात में से छह एस्तोनियाई और एक रूसी है और उन्हें 'साइबर बैंडिट' कहा जा रहा है।

ये भी बताया जा रहा है कि ये अपने तरह का पहला मामला है जहाँ इन लोगों ने अपने सर्वर के ज़रिए गुप्त तरीक़े से इंटरनेट पर आने वाले लोगों को कुछ दूसरे ऑनलाइन विज्ञापनों की ओर भेज दिया।

बताया जा रहा है कि इन अभियुक्तों को विज्ञापन वालों ने धन दिया था और ये धन इस आधार पर दिया जाता था कि उनके विज्ञापन पर कितने लोगों ने क्लिक किया। अभियोग पत्र के अनुसार इन लोगों ने ऐसे विज्ञापनों पर इतने लोगों को भेज दिया कि अपने लिए लगभग डेढ़ करोड़ डॉलर जुटा लिए।

इस बारे में उदाहरण देते हुए बताया गया है कि अगर वॉल स्ट्रीट जर्नल की वेबसाइट पर किसी व्यक्ति ने 'अमेरिकन एक्सप्रेस' के विज्ञापन पर क्लिक किया तो तो वो विज्ञापन अचानक ही 'फ़ैशन गर्ल एलए' के विज्ञापन में बदल जाता था।

अभियोक्ताओं के अनुसार ये योजना इतनी कुशलता से बनाई गई थी कि उनके सॉफ़्टवेयर कंप्यूटरों में वायरस या अनचाहे विज्ञापन रोकने वाले सॉफ़्टवेयर के नए संस्करणों को लोड ही नहीं होने देते थे।

नासा ने अपनी वेबसाइट पर दो साल पहले ये वायरस पाया था। एजेंसी ने बताया था कि इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि उस सॉफ़्टवेयर ने उनके अभियानों पर किसी तरह का असर डाला हो।

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